आहार श्रृंखला के घटक, विशेषताएँ व महत्त्व

आहार श्रृंखला (Food Chain) उस क्रम को कहते हैं जिसमें जीव-जंतु एक-दूसरे को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं। यह प्रकृति में ऊर्जा और पोषक तत्वों के स्थानांतरण को दर्शाती है। एक आहार श्रृंखला आमतौर पर उत्पादकों (जैसे पौधे) से शुरू होती है, जो सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करके भोजन बनाते हैं, और … Read more

सफल वक्ता के गुण

एक सफल वक्ता में निम्नलिखित गुण होने चाहिएँ : (1) आत्मविश्वास: एक सफल वक्ता अपनी बात को पूरे विश्वास के साथ रखता है। यह आत्मविश्वास श्रोताओं को प्रभावित करता है और उनकी नज़रों में वक्ता की विश्वसनीयता बढ़ाता है। (2) स्पष्टता: वह अपनी बात को साफ और सरल तरीके से व्यक्त करता है, ताकि हर … Read more

भाषण कला का विकास

भाषण को निखारने के लिए कुछ प्रभावी तरीके निम्नलिखित हैं: (1) अभ्यास करें: नियमित रूप से बोलने का अभ्यास करें | आईने के सामने या दोस्तों के साथ प्रैक्टिस करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और हिचकिचाहट कम होती है। (2) स्पष्टता और गति: धीरे और स्पष्ट बोलें। शब्दों को जल्दबाजी में न बोलें, ताकि श्रोता … Read more

भाषण के विषय चयन की सावधानियाँ

भाषण के लिए विषय का चयन करते समय कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए ताकि आपका भाषण प्रभावी, संतुलित और दर्शकों के लिए उपयोगी बन सके। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण सावधानियाँ दी गई हैं: 1. विवादास्पद या संवेदनशील विषयों से सावधान रहें धर्म, राजनीति, जाति, लिंग आदि से जुड़े विषयों पर बोलते समय संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए | … Read more

नेतृत्व का अर्थ व नेता के गुण

नेतृत्व का अर्थ नेतृत्व (Leadership) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति किसी समूह या संगठन को निर्देशित, प्रेरित और मार्गदर्शित करता है ताकि सामूहिक लक्ष्यों की प्राप्ति हो सके। यह एक सामाजिक प्रभाव की प्रक्रिया है जिसमें नेता अपने अनुयायियों को प्रभावित करके उनसे कार्य करवाता है। नेतृत्व की परिभाषा ( Definition Of Leadership … Read more

पर्यावरण प्रदूषण : अर्थ, प्रकार, कारण व रोकथाम के उपाय )

( Environment Pollution : Meaning, Types Causes and Steps to control) पर्यावरण प्रदूषण का सामान्य अर्थ है — पर्यावरण का दूषित हो जाना | जब अवांछित पदार्थ पर्यावरण में मिल जाते हैं तो पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाता है और मानव व अन्य जीव-जंतुओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है | प्राकृतिक पर्यावरण में हानिकारक पदार्थों … Read more

पारिस्थितिक तन्त्र : परिभाषा, घटक, विशेषताएँ व प्रकार

परिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) एक प्राकृतिक इकाई है जिसमें जीव (पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव) और उनका पर्यावरण (मिट्टी, पानी, हवा आदि) शामिल होते हैं। ये सभी घटक आपस में जुड़े होते हैं और एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। परिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह और पोषक तत्वों का चक्रण होता है। परिस्थितिक तंत्र की परिभाषाएँ ( Definitions … Read more

आलेख : अर्थ, विशेषताएँ व प्रकार

“आलेख” का शाब्दिक अर्थ होता है “लिखित विवरण”। यह एक प्रकार का गद्यात्मक वर्णन होता है, जिसमें किसी विषय पर सुव्यवस्थित, तर्कसंगत और विस्तृत रूप से विचार प्रस्तुत किए जाते हैं। परिभाषा : “आलेख एक लिखित रचना है जिसमें किसी विषय पर लेखक अपने विचारों, तर्कों और अनुभवों को व्यवस्थित और सुसंगत ढंग से प्रस्तुत … Read more

राजभाषा अधिनियम, 1963

राजभाषा अधिनियम (Official Languages Act – 1963) भारत में संघ के कार्यालयी प्रयोजनों के लिए हिंदी और अंग्रेजी के प्रयोग को नियंत्रित करने वाला कानून है। यह अधिनियम 1963 में पारित किया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्थापित करना है। … Read more

लोंजाइनस का उदात्त सिद्धांत

लोंजाइनस प्राचीन यूनान के महान साहित्यशास्त्री व आलोचक थे | उनके जन्म को लेकर विद्वान् एकमत नहीं हैं | अधिकांश विद्वान् ईसा की तीसरी सदी उनका जीवन काल मानते हैं | उनकी रचना ‘पेरिइप्सुस’ पाश्चात्य काव्यशास्त्र की महत्वपूर्ण पुस्तक है | लोंजाइनस (Longinus) का उदात्त सिद्धांत (Sublime Theory) प्राचीन साहित्यिक आलोचना का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत … Read more

अरस्तू का विरेचन सिद्धांत

अरस्तू (Aristotle) प्राचीन ग्रीस का एक महान दार्शनिक और वैज्ञानिक था। अरस्तू का जन्म 384 ईo पूo में स्तगिरा, यूनान में हुआ था | वह प्लेटो (Plato) का शिष्य और सिकंदर महान (Alexander the Great) का गुरु था। अरस्तू ने तर्कशास्त्र, नीतिशास्त्र, राजनीति, काव्य, जीव विज्ञान और भौतिकी जैसे कई विषयों पर गहन अध्ययन किया … Read more

सतत पोषणीय विकास : अर्थ, इतिहास, घटक या आयाम व उद्देश्य

सतत पोषणीय विकास (Sustainable Development) वह विकास प्रक्रिया है जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग इस ढंग से किया जाता है कि वे भावी पीढ़ियों के लिये भी सुरक्षित रहें । सतत विकास की अवधारणा संसाधनों के संरक्षण व उनके उचित उपयोग पर बल देती है | सतत विकास का इतिहास सतत विकास की अवधारणा नई … Read more

अरस्तू का अनुकरण सिद्धांत

अरस्तू ( Aristotle ) (384 ईसा पूर्व – 322 ईसा पूर्व) प्राचीन ग्रीस के एक महान दार्शनिक, वैज्ञानिक और शिक्षक थे। वे प्लेटो (Plato) के शिष्य और सिकंदर महान (Alexander the Great) के गुरु थे। अरस्तू को “पश्चिमी दर्शन का जनक” कहा जाता है, क्योंकि उनकी शिक्षाओं ने दर्शन, विज्ञान, राजनीति, काव्य, नाटक, नैतिकता और … Read more

भाषण का अर्थ, प्रकार व अच्छे भाषण की विशेषताएँ या गुण

भाषण से अभिप्राय एक ऐसे मौखिक संप्रेषण (verbal communication) से है, जिसमें कोई व्यक्ति किसी समूह या सभा के सामने अपने विचार, ज्ञान, अनुभव, या जानकारी को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करता है। इसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना, प्रेरित करना, शिक्षित करना या किसी विषय पर अपनी राय व्यक्त करना हो सकता है। भाषण … Read more

भाषण : उद्देश्य, तत्त्व व प्रकार

भाषण शब्द संस्कृत की ‘भाष’ धातु से बना है जिसका अर्थ होता है — बोलना या वाणी द्वारा व्यक्त करना | लेकिन सभी लोगों का बोलना भाषण नहीं होता | भाषण आम बोलचाल से भिन्न एक विशेष कला है जिसमें वक्ता लोगों के एक बड़े समूह के समक्ष अपने विचार व्यवस्थित रूप से रखता है … Read more