( New Kings And Kingdoms )
◼️ दंतीदुर्ग ने ‘हिरण्यगर्भ अनुष्ठान’ किया और क्षत्रियत्व प्राप्त किया |
◼️ ‘हिरण्यगर्भ’ ( Hiranygarbh ) एक ऐसा अनुष्ठान था जो ब्राह्मणों की सहायता से संपन्न किया जाता था और जिसके पश्चात अनुष्ठानकर्ता जन्मजात क्षत्रिय न होने पर भी क्षत्रिय माना जाने लगता था |
◼️ एलोरा की गुफा ( औरंगाबाद, महाराष्ट्र ) में विष्णु के नरसिंह अवतार की कृति राष्ट्रकूट काल की है |
◼️ ग्वालियर ( मध्यप्रदेश ) में प्रतिहार नरेश नागभट्ट (Nagbhatt ) की एक प्रशस्ति मिली है | यह संस्कृत भाषा में रचित है |
◼️ 12वीं सदी में कल्हण ( Kalhan ) ने संस्कृत भाषा में ‘राजतरंगिणी’ ( Rajtarangini ) की रचना की | इससे कश्मीर के इतिहास की जानकारी मिलती है |
◼️ त्रिपक्षीय संघर्ष पाल, प्रतिहार और राष्ट्रकूटों के बीच हुआ | यह संघर्ष कन्नौज पर अधिकार करने के लिए हुआ |
🔷 अफगानिस्तान के गजनी का शासक महमूद गजनवी था | उसने 997 ईस्वी से 1030 ईस्वी तक शासन किया |
🔹1025 ईस्वी में उसने सोमनाथ के मंदिर ( गुजरात) पर आक्रमण किया |
🔹 अलबेरूनी ( Al Biruni ) गजनवी के साथ भारत आया उसने ‘किताब अल हिंद’ ( Kitab Al Hind / Tahkik e Hind ) पुस्तक की रचना की |
◼️ चौहान वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा पृथ्वीराज तृतीय यानी पृथ्वीराज चौहान ( 1175-1192 ईo) था | उसने तराइन की पहली लड़ाई (1191 ईo ) में मुहम्मद गौरी नामक अफगान शासक को पराजित किया परंतु तराइन की दूसरी लड़ाई में (1192 ईस्वी) उसके हाथों पराजित हुआ |
◼️ ‘उरैयूर‘ एक स्थान का नाम था जहां चोल वंशीय ‘विजयालय’ रहता था | कावेरी नदी के डेल्टा पर ‘मट्टरियार‘ परिवार की सत्ता थी | विजयालय ने मट्टरियारों को हराकर कावेरी नदी के डेल्टा पर कब्जा कर लिया |
◼️ उसने उरैयूर में तंजावर शहर और निशुंभसूदिनी देवी का मंदिर बनवाया |
◼️ राजराज प्रथम सबसे शक्तिशाली चोल शासक माना जाता है | वह 985 ईo में शासक बना | उसने चोल साम्राज्य का विस्तार किया |
◼️ तंजावर के बृहदेश्वर मंदिर / राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण राजराज प्रथम ने करवाया |
◼️ राजराज प्रथम के पुत्र राजेंद्र चोल ने उसकी नीति को जारी रखा |
‘गंगईकोंडचोलपुरम’ ( Gangaikond cholpuam ) के मंदिर का निर्माण राजेंद्र चोल ने करवाया |
◼️ चोलों ( Cholas ) की कांस्य प्रतिमाएं सबसे उत्कृष्ट माने जाते हैं |
◼️ चोल काल में किसानों की बस्तियों को ‘उर’ कहा जाता था | इस तरह की बस्तियों के समूह को ( गांव के समूह ) को ‘नाडु‘ कहा जाता था | धनी किसानों को ‘वेल्लाल’ कहा जाता था |
🔷 चोल काल में भूमि के प्रकार 🔷
▪️वेल्लनवगाई– गैर ब्राह्मण किसानों की भूमि|
▪️ब्रह्मदेय– ब्राह्मणों को उपहार में दी गई भूमि |
▪️ शालाभोग– विद्यालय को दी गई भूमि |
▪️देवदान– मंदिर को उपहार में दी गई भूमि |
▪️पल्लिच्चंदम– जैन संस्थानों को दान में दी गई भूमि |
👉 नगरम (Nagram) – व्यापारियों के संघ को ‘नगरम‘ कहा जाता था |
👉 तमिलनाडु के ‘उत्तरमेरुर‘ अभिलेख से ब्राह्मणों की सभा के संगठन के विषय में पता चलता है |
◼️ चीन में सातवीं से दसवीं सदी तक टांग वंश / तांग वंश ( Tang Vansh ) का शासन था | इसकी राजधानी शियान थी |
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