राष्ट्र भाषा उस भाषा को कहते हैं जो किसी देश की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक होती है तथा संचार, प्रशासन और शिक्षा में व्यापक रूप से प्रयुक्त होती है। यह भाषा देश के नागरिकों को आपस में जोड़ने का कार्य करती है और राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाती है।
परिभाषा — राष्ट्रभाषा की कुछ परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं —
(1) डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी के अनुसार – “राष्ट्र भाषा वह भाषा होती है जो किसी देश की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता की प्रतीक होती है तथा जनसंख्या के बड़े भाग द्वारा बोली और समझी जाती है।”
(2) डॉ. रामचंद्र वर्मा के अनुसार – “राष्ट्र भाषा किसी राष्ट्र की पहचान होती है, जो वहां के लोगों की भावनाओं, विचारों और प्रशासनिक कार्यों की अभिव्यक्ति का प्रमुख माध्यम बनती है।”
विशेषताएँ — सामान्यत: राष्ट्रभाषा की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं :
(1) राष्ट्रीय एकता का प्रतीक – राष्ट्रभाषा राष्ट्रीय एकता का प्रतीक होती है | यह किसी देश की सांस्कृतिक और भावनात्मक एकता को दर्शाती है तथा विभिन्न भाषाई और सांस्कृतिक समूहों को जोड़ने का कार्य करती है।
(2) व्यापक प्रचलन – इसे देश के अधिकांश नागरिक बोलते, पढ़ते और समझते हैं, जिससे यह संचार का मुख्य माध्यम बनती है।
(3) प्रशासन और शिक्षा में उपयोग – राष्ट्रभाषा का उपयोग सरकारी कामकाज, प्रशासन, न्याय व्यवस्था और शिक्षा प्रणाली में किया जाता है।
(4) साहित्य और संचार की भाषा – राष्ट्रभाषा में साहित्य, मीडिया, समाचार पत्र, टेलीविजन और डिजिटल प्लेटफॉर्म का विकास किया जाता है, जिससे यह सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का महत्वपूर्ण साधन बनती है।
(5) भावनात्मक जुड़ाव की भाषा – यह भाषा देश के नागरिकों में राष्ट्र के प्रति प्रेम और गर्व की भावना उत्पन्न करती है तथा समाज में समरसता बनाए रखने में सहायक होती है।
भारत की आधिकारिक रूप से कोई राष्ट्रभाषा नहीं है लेकिन उपर्युक्त विशेषताओं के आधार पर हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा माना जा सकता है |