अरस्तू का अनुकरण सिद्धांत

अरस्तू ( Aristotle ) (384 ईसा पूर्व – 322 ईसा पूर्व) प्राचीन ग्रीस के एक महान दार्शनिक, वैज्ञानिक और शिक्षक थे। वे प्लेटो (Plato) के शिष्य और सिकंदर महान (Alexander the Great) के गुरु थे। अरस्तू को “पश्चिमी दर्शन का जनक” कहा जाता है, क्योंकि उनकी शिक्षाओं ने दर्शन, विज्ञान, राजनीति, काव्य, नाटक, नैतिकता और तर्कशास्त्र को गहराई से प्रभावित किया।

अरस्तू का अनुकरण सिद्धांत

अरस्तू (Aristotle) का अनुकरण सिद्धांत (Theory of Imitation) उनकी साहित्यिक आलोचना का एक महत्वपूर्ण योगदान है। यह सिद्धांत मुख्य रूप से उनकी पुस्तक “पोएटिक्स” (Poetics) में मिलता है।

अनुकरण सिद्धांत का अर्थ

अरस्तू के अनुसार, कला वास्तविकता का अनुकरण (माइमिसिस) है। यानी, साहित्य, नाटक, और काव्य में जो कुछ प्रस्तुत किया जाता है, वह वास्तविक जीवन की नकल या प्रतिबिंब होता है। लेकिन यह मात्र साधारण नकल नहीं होती, बल्कि उसमें कुछ सृजनात्मकता और कल्पना का समावेश होता है, जिससे वह अधिक प्रभावशाली और सुंदर बन जाता है।

अरस्तू के अनुकरण सिद्धांत के प्रमुख बिंदु

(1) अनुकरण (Mimesis) का अर्थ

    अरस्तू के अनुसार, सभी कलाएँ वास्तविकता का अनुकरण (नकल) करती हैं, लेकिन यह मात्र सतही नकल नहीं होती, बल्कि उसमें कलाकार की कल्पना और सृजनात्मकता जुड़ी होती है।

    (2) कला जीवन का प्रतिबिंब है

      साहित्य, नाटक, चित्रकला और काव्य सभी मानव जीवन और समाज का प्रतिबिंब होते हैं।

      कलाकार केवल बाहरी घटनाओं की नकल नहीं करता, बल्कि उनके पीछे की गहरी सच्चाइयों को उजागर करता है।

      (3) अनुकरण का उच्च और निम्न रूप

        अरस्तू ने कहा कि कला दो प्रकार के जीवन का अनुकरण कर सकती है –

        श्रेष्ठ या आदर्श जीवन (Idealized Reality) – त्रासदी में उच्च कोटि के चरित्रों को प्रस्तुत किया जाता है।

        सामान्य या निम्न जीवन (Common or Lower Reality) – हास्य और व्यंग्य में साधारण या निम्न श्रेणी के लोगों का चित्रण किया जाता है।

        (4) काव्य और इतिहास में अंतर

          अरस्तू ने कहा कि इतिहास केवल घटनाओं का वर्णन करता है, जबकि काव्य और नाटक उन घटनाओं के पीछे की गहरी सच्चाइयों को उजागर करते हैं।

          इतिहास व्यक्तिगत घटनाओं की चर्चा करता है, जबकि काव्य और नाटक सार्वभौमिक सत्य (Universal Truths) को व्यक्त करते हैं।

          (5) कला की सृजनात्मकता:

            अनुकरण केवल वास्तविकता की नकल नहीं होता, बल्कि उसमें कलाकार की कल्पना शक्ति और भावनात्मक गहराई होती है।

            कलाकार वास्तविक जीवन को और अधिक सुंदर और प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत करता है।

            (6) त्रासदी (Tragedy) का अनुकरण

              त्रासदी में महान व्यक्तियों के पतन को दिखाया जाता है, जिससे दर्शकों के मन में करुणा और भय उत्पन्न होता है।

              इसका उद्देश्य कैथार्सिस (Catharsis) यानी भावनाओं की शुद्धि करना है।

              (7) हास्य और व्यंग्य (Comedy & Satire):

                हास्य और व्यंग्य निम्न कोटि के चरित्रों का अनुकरण करते हैं और उनकी कमजोरियों को उजागर करके मनोरंजन करते हैं।

                (8) कला का उद्देश्य

                  अरस्तू ने कहा कि कला केवल आनंद देने के लिए नहीं होती, बल्कि यह शिक्षा और नैतिकता का भी माध्यम होती है।

                  अच्छी कला दर्शकों को प्रभावित करती है और उनके विचारों को परिष्कृत करती है।

                  (9) महाकाव्य और नाटक

                    अरस्तू ने महाकाव्य (Epic) और नाटक की तुलना की और कहा कि दोनों ही अनुकरण के माध्यम हैं।

                    लेकिन नाटक अधिक प्रभावी होता है क्योंकि यह मंच पर प्रत्यक्ष रूप से दिखाया जाता है और दर्शकों के मन में गहरी भावना उत्पन्न करता है।

                    (10) अनुकरण की सार्वभौमिकता

                      अरस्तू ने कहा कि अनुकरण मानव स्वभाव का एक अभिन्न हिस्सा है।

                      बचपन से ही मनुष्य अनुकरण करके सीखता है, और इसी कारण कला भी समाज के लिए आवश्यक है।

                      निष्कर्ष

                      अरस्तू का अनुकरण सिद्धांत यह बताता है कि कला और साहित्य केवल वास्तविकता की नकल नहीं करते, बल्कि उसे एक अर्थपूर्ण, गहरे और प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत करते हैं। कला का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि शिक्षा, नैतिक उत्थान और भावनात्मक शुद्धि (Catharsis) भी है।

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