वन संसाधन: वनोन्मूलन के कारण, वन संरक्षण के उपाय व वनों का महत्त्व

वन संसाधन (Forest Resources )

वन संसाधन (Forest Resources ) उन सभी प्राकृतिक वस्तुओं और सेवाओं को कहते हैं जो हमें वनों से प्राप्त होती हैं। इसमें लकड़ी, बांस, रेज़िन, गोंद, औषधीय पौधे, फल, फूल, पत्तियाँ, शहद आदि शामिल होते हैं। इसके अलावा, वन जलवायु को संतुलित करने, मिट्टी के कटाव को रोकने, वर्षा लाने और वन्यजीवों को आवास देने जैसे महत्वपूर्ण पारिस्थितिकीय कार्य भी करते हैं।

संक्षेप में, वन संसाधन वनों से मिलने वाले वे सभी उपयोगी तत्व और सेवाएँ हैं जो मानव जीवन के लिए लाभकारी होती हैं।

वनोन्मूलन ( Deforestation ) के कारण

वनोन्मूलन का अर्थ है — वनों की कटाई या नष्ट करना ताकि उस भूमि का उपयोग किसी और उद्देश्य जैसे कृषि, उद्योग, निर्माण या शहरीकरण के लिए किया जा सके। सरल शब्दों में वनोन्मूलन वह प्रक्रिया है जिसमें पेड़ों को बड़े पैमाने पर काटा जाता है और जंगलों को नष्ट किया जाता है।

वनोन्मूलन ( Deforestation ) के कारण

वनोन्मूलन के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :

(1) कृषि विस्तार — कृषि के लिए भूमि की बढ़ती मांग वनोन्मूलन का प्रमुख कारण है। नकदी फसलों जैसे सोयाबीन, ताड़ का तेल, और मवेशी पालन के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों को साफ किया जाता है। इससे न केवल वन क्षेत्र कम होता है, बल्कि मिट्टी का कटाव और जैव विविधता का नुकसान भी होता है।

(2) लकड़ी और ईंधन — लकड़ी की मांग, विशेष रूप से फर्नीचर, कागज और निर्माण उद्योगों के लिए, वनों की अंधाधुंध कटाई का कारण बनती है। ग्रामीण क्षेत्रों में ईंधन के रूप में लकड़ी का उपयोग भी वन क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाता है। इससे वन पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित होता है और कार्बन भंडारण की क्षमता कम होती है।

(3) शहरीकरण और बुनियादी ढांचा — बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के कारण शहरों का विस्तार, सड़कें, रेलवे और बांध जैसे बुनियादी ढांचे के लिए जंगलों को काटा जाता है। यह प्रक्रिया वन्यजीवों के आवास को नष्ट करती है और प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ाती है। साथ ही, यह जलवायु परिवर्तन को भी बढ़ावा देता है।

(4) खनन — कोयला, सोना, हीरा और अन्य खनिजों की निकासी के लिए बड़े पैमाने पर वन क्षेत्रों को साफ किया जाता है। खनन गतिविधियाँ मिट्टी और जल स्रोतों को प्रदूषित करती हैं, जिससे वन पारिस्थितिकी तंत्र को अपूरणीय क्षति होती है। यह स्थानीय समुदायों के जीवन को भी प्रभावित करता है।

(5) अवैध कटाई — लाभ के लिए अवैध रूप से पेड़ों की कटाई वैश्विक स्तर पर वनोन्मूलन का एक बड़ा कारण है। यह गतिविधि अक्सर संगठित अपराधों से जुड़ी होती है और इसे नियंत्रित करना मुश्किल होता है। इसके परिणामस्वरूप जैव विविधता और वन संसाधनों का तेजी से ह्रास होता है।

(6) जंगल की आग — प्राकृतिक कारणों जैसे बिजली गिरने या मानव-जनित गतिविधियों जैसे जलावन जलाने से जंगल में आग लग जाती है। ये आग बड़े वन क्षेत्रों को नष्ट कर देती हैं, जिसके पुनर्जनन में वर्षों लग जाते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी आग की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है।

(7) जलवायु परिवर्तन — बढ़ता तापमान और अनियमित वर्षा पैटर्न वनों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। सूखा और कीटों का प्रकोप वृक्षों को कमजोर करता है, जिससे वे आसानी से नष्ट हो जाते हैं। यह एक चक्र बनाता है, जहां वनोन्मूलन जलवायु परिवर्तन को और बढ़ावा देता है |

ये सभी कारण मिलकर वैश्विक पर्यावरण और मानव जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

वनों का महत्त्व

वन पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। निम्नलिखित बिंदुओं से वनों के महत्व को स्पष्ट किया जा सकता है:

(1) पारिस्थितिकी संतुलन

वनों को पृथ्वी का फेफड़ा कहा जाता है, क्योंकि वे कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जो जीवन के लिए आवश्यक है। वे जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और ग्रीनहाउस गैसों को कम करते हैं। इसके अलावा, वन मिट्टी के कटाव को रोकते हैं और प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन और बाढ़ से बचाव करते हैं।

(2) जैव विविधता का संरक्षण

वनों में लाखों प्रजातियों के पौधे, जानवर, कीड़े और सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं, जो जैव विविधता का आधार हैं। ये प्रजातियाँ खाद्य श्रृंखला और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखती हैं। वनों का संरक्षण इन प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाता है, जो वैज्ञानिक अनुसंधान और औषधि निर्माण के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

(3) जल चक्र का नियमन

वनों का जल चक्र में महत्वपूर्ण योगदान है, क्योंकि वे वर्षा को आकर्षित करते हैं और भूजल स्तर को बनाए रखते हैं। उनकी जड़ें मिट्टी में पानी को रोकती हैं, जिससे नदियों और झीलों को निरंतर जल आपूर्ति मिलती है। वनों की कमी से सूखा और जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है |

(4) आर्थिक संसाधन

वनों से लकड़ी, औषधीय पौधे, राल, शहद और अन्य वन उत्पाद प्राप्त होते हैं, जो अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं। ये उत्पाद स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका का स्रोत हैं। साथ ही, वन आधारित उद्योग जैसे कागज और फर्नीचर निर्माण रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं।

(5) सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व

वनों का कई समुदायों के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है, जहां वे पूजा स्थल या पवित्र स्थानों के रूप में माने जाते हैं। आदिवासी और स्थानीय समुदाय अपनी परंपराओं और जीवन शैली के लिए वनों पर निर्भर हैं। वन मानसिक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य प्रदान करते हैं, जो पर्यटन को भी बढ़ावा देता है।

(6) जलवायु परिवर्तन से संघर्ष

वनों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करता है। वे तापमान को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जिससे गर्मी की लहरों का प्रभाव कम होता है। वनों का संरक्षण वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित करने की रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

(7) मानव स्वास्थ्य के लिए लाभ

वनों से प्राप्त स्वच्छ हवा और पानी मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। औषधीय पौधों से निर्मित दवाइयाँ कई बीमारियों के इलाज में उपयोगी हैं। इसके अलावा, वनों में समय बिताने से तनाव कम होता है और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। वनों का संरक्षण न केवल पर्यावरणीय संतुलन के लिए, बल्कि मानव जीवन की गुणवत्ता और भावी पीढ़ियों के लिए भी अनिवार्य है। वनोन्मूलन को रोककर और वृक्षारोपण को बढ़ावा देकर हम इनके महत्व को बनाए रख सकते हैं।

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