गुलाम बनाने वाले ( Gulam Banane Vale ) : डॉ धर्मवीर भारती

और भी पहले वे कई बार आये हैं

एक बार

जब उनके हाथों में भाले थे

घोड़ों की टापों से खैबर की चट्टानें काँपी थी

एक बार

जब भालों के बजाय

उनके हाथों में तिजारती परवाने थे

बगल में संगीने थी | (1)

लेकिन इस बार और चुपके से आए हैं |

आधे हैं, जिनके हाथों में हैं

कैमरे,

थैलियाँ,

टूरिस्ट पासपोर्ट,

रंग-बिरंगी फ़िल्में

आधे हैं जिनके पास

रंग-बिरंगे चेहरे

( जिनको वे हुक्म के मुताबिक बदल सकते हैं )

दो-दो आने वाले (

( दूर किसी नगरी में छपे हुए )

पैम्फलेट,

रोटी और पैम्फलेट के ढेरों में ढँक-ढँक कर आयी हैं

दूर किसी नगरी में ढली हुई जंजीरें ! (2)

ढंग है नया

लेकिन बात यह पुरानी है

घोड़ों पर रखकर, या थैली में भरकर,

या रोटी से ढँककर, या फिल्मों में रंगकर

वे जंजीरे, केवल जंजीरे ही लाये हैं,

और भी पहले वे कई बार आये हैं ! (3)

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