मुख्यार्थ के बाधित होने पर जब किसी अन्य अर्थ का बोध होता है तो उस अर्थ को लक्ष्यार्थ कहते हैं तथा वह शब्द-शक्ति जो यह अर्थ प्रकट करवाती है उसे लक्षणा शब्द-शक्ति कहते हैं |
उदाहरण – सुरेश तो निरा बंदर है | इस वाक्य में सुरेश को बंदर बताया गया है जबकि वास्तव में वह बंदर नहीं है | अत: मुख्यार्थ में बाधा पड़ती है | इसलिए यहां लक्षणा शब्द-शक्ति काम करेगी | लक्षणा शब्द-शक्ति के द्वारा ‘बंदर’ से तत्सम्बन्धी अर्थ निकला – शरारती | अब अर्थ निकलता है कि सुरेश बहुत शरारती है | ‘बंदर’ शब्द से ‘शरारती’ अर्थ निकालना लक्षणा शब्द-शक्ति द्वारा ही संभव हुआ |
लक्षणा शब्द-शक्ति के भेद ( Lakshna Shabd Shakti Ke Bhed )
लक्षणा शब्द-शक्ति के दो भेद हैं – ( क ) रूढ़ि लक्षणा, (ख ) प्रयोजनवती लक्षणा |
(क ) रूढ़ि लक्षणा – जब ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो अपने परंपरागत अर्थ को छोड़कर किसी अन्य अर्थ के लिए रूढ़ हो जाते हैं तो वहाँ रूढ़ि लक्षणा शब्द-शक्ति का प्रयोग होता है |
सभी मुहावरे एवं लोकोक्तियां रूढ़ि लक्षणा के उदाहरण हैं क्योंकि ये अपनी मुख्यार्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ में रूढ़ हो गए हैं |
उदाहरण के लिए ‘दाँत खट्टे करना’ मुहावरे को लें | इसमें प्रयुक्त शब्दों ने अपने मुख्यार्थ को छोड़ दिया है और अब इनका अर्थ निकलता है – हराना | अत: यहाँ रूढ़ि लक्षणा है |
(ख ) प्रयोजनवती लक्षणा – जब वक्ता किसी रूढ़ि के कारण नहीं अपितु किसी विशेष प्रयोजन ( उद्देश्य ) के कारण जानबूझकर उल्टे-सीधे शब्दों का प्रयोग करता है, तब प्रयोजनवती लक्षणा होती है |
उदाहरण के लिए “मंजू तो गाय है” इस वाक्य में मंजू के लिए ‘गाय’ शब्द का प्रयोग किया गया है | ‘गाय’ का मुख्यार्थ है – चार टाँगों, दो सींगों एवं एक लंबी पूंछ वाला एक विशेष दुधारू पशु | लेकिन मंजू की न तो चार टाँगें हैं न दो सींग और न ही लम्बी पूँछ | अत: यहाँ मुख्यार्थ में बाधा पड़ती है | बाधा पड़ने पर यहाँ लक्षणा द्वारा ‘गाय’ का अर्थ निकला सीधी-सादी या भोली | अब ‘मंजू गाय है’ का अर्थ निकला ‘मंजू भोली है’ | ‘गाय’ शब्द से ‘भोलापन’ अर्थ किसी रूढ़ि के कारण नहीं निकला और ना ही ‘गाय’ शब्द ने अपने मुख्यार्थ को छोड़ा है | ‘गाय’ शब्द अब भी अपने मुख्यार्थ अर्थात चार टाँगों, दो सींग और एक लम्बी पूंछ वाले विशेष दुधारू पालतू पशु के लिए ही प्रयोग होता है | अत: स्पष्ट है कि वक्ता ने जानबूझकर अपने प्रयोजन ( उद्देश्य ) की सिद्धि के लिए ‘गाय’ शब्द का प्रयोग किया है किसी रूढ़ि के कारण नहीं | अत: यहाँ प्रयोजनवती लक्ष्णा है |
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