( यहाँ NCERT की कक्षा 6 की इतिहास की पाठ्य पुस्तक ‘हमारे अतीत-1’ में संकलित ‘व्यापारी, राजा और तीर्थ यात्री’ अध्याय के महत्त्वपूर्ण तथ्यों को संकलित किया गया है | )
▪दक्षिण भारत सोना , मसाले और ख़ास तौर पर काली मिर्च व क़ीमती पत्थरों के लिए प्रसिद्ध था । काली मिर्च की रोमन साम्राज्य में इतनी माँग थी कि इसे ‘काले सोने’ के नाम से बुलाते थे ।
🔹समुद्री मार्ग तथा स्थल मार्ग से यह सामान रोम पहुँचता था ।
🔹दक्षिण भारत में रोमन साम्राज्य के सोने की सिक्के मिले हैं ।
🔹‘पुहार’ ( Puhar ) पूर्वी तट स्थित एक प्रसिद्ध बंदरगाह थी ।
▪संगम कविताओं में ‘मूवेंदार’ ( Muvendar ) की चर्चा मिलती है । यह एक तमिल शब्द है जिसका अर्थ है -तीन मुखिया । इसका प्रयोग तीन शासक परिवारों के लिए किया गया है । ये थे – चोल ,चेर ,पांड्य । ये 2300 साल पहले दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंश थे ।
🔹चोलों का प्रसिद्ध पत्तन ‘पुहार‘ या ‘कावेरीपट्टनम‘ तथा पांड्यों की राजधानी मदुरै प्रमुख व्यापारिक केंद्र थे ।
▪इसके लगभग दो सौ वर्ष बाद ( लगभग 2000 या 2100 साल पहले ) सातवाहन वंश का प्रभाव पश्चिमी भारत में बढ़ गया ।
🔹सातवाहनों का सबसे प्रसिद्ध राजा गौतमी पुत्र शातकर्णी था ।
🔹गौतमीपुत्र शातकर्णी की माँ का नाम गौतमी बलश्री था ।
🔹सातवाहन दक्षिणापथ के शासक कहे जाते थे । दक्षिणापथ का अर्थ होता है – दक्षिण की ओर जाने वाला रास्ता ।
▪लगभग 7000 साल पहले रेशम बनाने की तकनीक का अविष्कार सबसे पहले चीन में हुआ ।
🔹रेशम मार्ग ( Silk Route ) एशिया , अफ़्रीका और यूरोप को जोड़ता था । इसका जाना माना हिस्सा उत्तरी रेशम मार्ग है जो चीन से होकर पहले मध्य एशिया में तथा बाद में यूरोप जाता था । इसकी एक शाखा भारत की ओर जाती थी ।
🔹रेशम मार्ग ( Silk Route) पर नियंत्रण करने वाले शासकों में सबसे प्रसिद्ध कुषाण ( Kushanas) थे । पेशावर और मथुरा इनके शक्तिशाली केंद्र थे । तक्षशीला भी इनके साम्राज्य का हिस्सा था ।
🔹भारत में सबसे पहले सोने के सिक्के कुषाणों ने चलाए थे ।
🔹कुषाणों का सबसे प्रसिद्ध राजा कनिष्क ( Kanishka ) था । उसने लगभग 1900 साल पहले ( 100 ई० ) शासन किया ।
🔹उसने एक बौद्ध परिषद का गठन किया ।
🔹अश्वघोष ( Ashvghosha ) उसका दरबारी कवि था जिसने ‘बुद्धचरित‘ की रचना की । अश्वघोष तथा अन्य दरबारी कवियों ने उस समय संस्कृत में लिखना आरम्भ कर दिया था । उस समय रचा गया बौद्ध साहित्य संस्कृत में मिलता है ।
🔹कनिष्क के समय में बौद्ध धर्म की एक नई शाखा ‘महायान’ ( Mahayana ) का विकास हुआ । कनिष्क महायान का अनुयायी था । दूसरी शाखा हीनयान ( Hinyana ) थी |
🔹पीपल का पेड़ बुद्ध की निर्वाण प्राप्ति का प्रतीक था ।
🔹कनिष्क के काल में बुद्ध की अनेक मूर्तियों का निर्माण हुआ जिनमें से अधिकांश का निर्माण मथुरा व तक्षशीला में हुआ ।
🔹महायान शाखा में बौधिसत्वों की पूजा होने लगी । इसके बाद बौद्ध धर्म मध्य एशिया , चीन , कोरिया तथा जापान तक फैल गया ।
🔹थेरवाद ( Thervad ) भी बौद्ध धर्म की एक शाखा है जो दक्षिण पूर्वी एशिया में लोकप्रिय हुई ।
◾️कार्ले की गुफ़ा ( Karle Ki Gufa ) महाराष्ट्र में है जो बौद्ध धर्म से सम्बद्ध है ।
◾️चीनी बौद्ध यात्री फा-शिएन 1600 साल पहले भारत आया , श्वेनत्सांग 1400 साल पहले तथा तथा उसके 50 साल बाद ह्यूनसांग भारत आया । इन सभी यात्रियों ने बुद्ध से जुड़ी जगहों का भ्रमण किया तथा यात्रा वृतांत लिखे ।
🔹फ़ा-शिएन बंगाल से जावा पहुँचा और वहाँ पाँच महीने रुकने के बाद जावा से चीन पहुँचा ।
🔹श्वेनसांग भू-मार्ग से ( उत्तर-पश्चिम और मध्य एशिया ) से चीन वापस लौटा ।
🔹श्वेनसांग तथा अन्य तीर्थ यात्रियों ने नालंदा ( Nalanda) विश्वविद्यालय में अध्ययन किया ।
▪मध्यप्रदेश के एरण में विष्णु के वराह रूप की मूर्ति मिली है ।
▪अप्पार एक शिव भक्त तमिल कवि था जो एक ‘वेल्लाल’ ( तमिल भू-स्वामी ) था ।
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