इमारतें, चित्र तथा किताबें प्राचीन भारत के राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक इतिहास को जानने के महत्त्वपूर्ण व विश्वासनीय स्रोत हैं | इतिहास इनके आधार पर इतिहास का पुनर्निर्माण करते हैं |
लौह स्तंभ : महरौली (दिल्ली) में कुतुबमीनार के परिसर में एक लौह स्तंभ खड़ा है | इसकी ऊंचाई 7.2 मीटर तथा वजन 3 टन है | इस पर खुदे अभिलेख से हमें ‘चंद्र‘ नामक एक शासक की जानकारी मिलती है | यह संभवतः चंद्रगुप्त द्वितीय हैं | यह उस समय की धातु-विज्ञान का उत्कृष्ट नमूना माना जाता है क्योंकि इसको आज तक जंग नहीं लगी |
◼️ स्तूप का शाब्दिक अर्थ होता है – टीला | स्तूप में एक छोटा सा डिब्बा रखा रहता है | इन डिब्बों में बुद्ध या उनके अनुयायियों के शरीरों के अवशेष ( दांत, हड्डी, राख़ आदि ), उनके द्वारा प्रयुक्त वस्तुएं या कीमती पत्थर या सिक्के रखे हैं |
इसे धातु-मंजूषा भी कहते हैं |
🔹 प्राय: स्तूप के चारों ओर परिक्रमा करने के लिए एक वृत्ताकार पथ बना होता था जिसे प्रदक्षिणा पथ कहते हैं | इस रास्ते को रेलिंग से घेर दिया जाता है जिसे वेदिका कहते हैं |
🔹 अमरावती ( महाराष्ट्र )( Amravati ka stoop ) का स्तूप एक भव्य स्तूप था |
🔹 सांची ( Sanchi ) का स्तूप मध्यप्रदेश में है |
◼️ इस काल में हिंदू मंदिरों का भी निर्माण हुआ | विष्णु, शिव तथा दुर्गा जैसे देवी-देवताओं के मंदिर बनाए गए | मंदिरों का सबसे महत्वपूर्ण भाग ‘गर्भगृह’ था जहां देवता या देवी की मूर्ति रखी जाती थी |
🔹 उत्तर प्रदेश के भीतर गांव में बना मंदिर 1500 साल पुराना है |
🔹 महाबलीपुरम (तमिलनाडु) के मंदिर एक ही चट्टान को काटकर बनाए गए हैं |
🔹 ऐहोल ( कर्नाटक राज्य, बागलकोट जिला ) का दुर्गा मंदिर 1400 साल पहले बनाया गया |
🔹 अधिकतर मंदिरों में एक सभागार होता था जहां लोग एकत्रित होते थे इसे मंडप कहा जाता था |
🔹 उड़ीसा में एक जैन मठ है जिसे पहाड़ी को खोदकर बनाया गया है यह दो मंजिली इमारत है |
🔹 मंदिरों के प्रवेश द्वार को ‘तोरण‘ कहा जाता है |
◼️ अजंता ( महाराष्ट्र ) की गुफाओं में बौद्ध धर्म से संबंधित चित्र हैं | इनका निर्माण लगभग 1500 साल ( गुप्त काल ) पहले हुआ |
◼️ लगभग 1800 साल पहले तमिल महाकाव्य ‘सिलप्पदिकारम‘ की रचना ‘इलांगो‘ नामक कवि ने की |
🔹’मणिमेखलई‘ एक तमिल महाकाव्य है इसकी रचना लगभग 1400 साल पहले ‘सतनार’ ( Satnar ) ने की थी |
🔹 कालिदास संस्कृत में लिखते थे | अभिज्ञान शाकुंतलम्, मेघदूत, रघुवंशम्, कुमारसंभव आदि उनके प्रसिद्ध नाटक थे | वे चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबारी कवि थे |
🔹 पुराणों की रचना भी इसी काल में हुई | इनमें विष्णु, शिव, दुर्गा या पार्वती से जुड़ी कहानियां हैं | ये संस्कृत भाषा में रचित हैं |
🔹 ‘महाभारत‘ की रचना वेदव्यास ने की पुराणों का संकलन में भी व्यास नामक ऋषि ने किया |
🔹 ‘भगवतगीता‘ महाभारत का ही अंश है |
🔹 ‘रामायण‘ की रचना महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में कि इसमें कोशल नरेश राम की कथा है |
🔹 गणितज्ञ व खगोलज्ञ आर्यभट्ट ने ने संस्कृत में ‘आर्यभट्टीय‘ पुस्तक की रचना की |
🔹 आर्यभट्ट ने बताया कि दिन-रात पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण बनते हैं | ग्रहण का वैज्ञानिक तर्क दिया | वृत्त की परिधि निकालने की विधि बतायी |
🔹 शून्य की खोज भारत में हुई | रोम के निवासी शून्य का प्रयोग किए बिना गिनती करते थे |
◼️ कागज का आविष्कार 1900 साल पहले ‘काई लून’ नामक व्यक्ति ने चीन में किया |
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