1968 ईस्वी के पश्चात लोक प्रशासन के क्षेत्र में नवीन विचारों का सूत्रपात हुआ और इन्हीं विचारों को नवीन लोक प्रशासन की संज्ञा दी गई | 1971 ईस्वी में फ्रैंक मैरिनी द्वारा संपादित पुस्तक ‘नवीन लोक प्रशासन की दिशाएं – मिन्नोब्रुक परिप्रेक्ष्य’ के प्रकाशन के साथ ही नवीन लोक प्रशासन की अवधारणा को मान्यता प्राप्त हुई |
नवीन लोक प्रशासन का अर्थ ( Navin Lok Prashasan Ka Arth )
नवीन लोक प्रशासन का तात्पर्य है – लोक प्रशासन की प्रचलित व्यवस्था में नए तथ्यों तथा नई विधियों को लागू करना | दूसरे शब्दों में नवीन लोक प्रशासन प्रशासनिक संगठन, विधियों व प्रक्रियाओं में संगठित एवं व्यवस्थित सुधार है | इस प्रकार नवीन लोक प्रशासन में पुराने मूल्यों के साथ-साथ प्रासंगिकता एवं विकास को ध्यान में रखते हुए कुछ अन्य नवीन मूल्यों का समावेश किया गया है |
संक्षेप में नवीन लोक प्रशासन सामाजिक उपयोगिता के साथ परिवर्तन पर बल देता है |
नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य अथवा उद्देश्य ( Navin Lok Prashasan Ke Lakshya Athva Uddeshya )
(1) लोक प्रशासन का ज्ञान एवं शोध समाज की आवश्यकताओं के संदर्भ में प्रासंगिक होना चाहिए | वस्तुतः लोक प्रशासन उन विषयों से जुड़ा है जिनका समाधान समाज को करना है |
(2) नवीन लोक प्रशासन का मुख्य उद्देश्य विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग का अंत कर समाज के कमजोर वर्ग के लिए सामाजिक न्याय की व्यवस्था करना है |
(3) नवीन लोक प्रशासन का उद्देश्य सामाजिक समानता एवं न्याय के लिए परिवर्तन पर बल देना है | अतः नवीन लोक प्रशासन आर्थिक व सामाजिक विषमता को दूर कर समतामूलक समाज की स्थापना करना चाहता है |
(4) नवीन लोक प्रशासन स्पष्ट रूप से आदर्शात्मक है | नवीन लोक प्रशासन मूल्यों के प्रति तटस्थता को अस्वीकार करता है |
नवीन लोक प्रशासन की विशेषताएं / लक्षण ( Naveen Lok Prashasan Ki Visheshtaen / Lakshan )
मिन्नोब्रुक सम्मेलन में अभिव्यक्त विचारों के आधार पर नवीन लोक प्रशासन की निम्नलिखित विशेषताएं बताई जा सकती हैं —
(1) नवीन लोक प्रशासन प्रासंगिकता के सिद्धांत पर आधारित है | इसके समर्थकों का मानना है कि समाज के सामाजिक, राजनीतिक आर्थिक एवं तकनीकी परिवेश में अत्यधिक परिवर्तन आ रहा है | इसलिए प्रशासन में समाज के अनुसार बदलाव होना चाहिए |
(2) नवीन लोक प्रशासन के समर्थक सामाजिक समता के सिद्धांत पर बल देते हैं | उनके विचार से सामाजिक समता की प्राप्ति ही नवीन लोक प्रशासन का उद्देश्य है |
(3) नवीन लोक प्रशासन के समर्थक मानते हैं कि लोक प्रशासन में मूल्य तटस्थता न तो संभव है और न ही आवश्यक | पुराने लोक प्रशासन में मूल्यों की उपेक्षा की जाती थी परंतु नवीन लोक प्रशासन मूल्य आधारित व्यवस्था का समर्थन करता है |
(4) नवीन लोक प्रशासन की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह प्रत्यक्षवाद के विरुद्ध है | तात्पर्य यह है कि यह सारे वैज्ञानिक आधारों का अतिक्रमण करता है | यूरोपीय वैज्ञानिक क्रांति में से जन्म लेकर प्रत्यक्षवाद ने यह स्वीकार किया कि प्रकृति के कानून अब भी हैं तथा आनुभाविक अवलोकन से इनका पता लगाया जा सकता है | अतः नवीन लोक प्रशासन के समर्थक घटना क्रिया विज्ञान की ओर मुड़ गए |
(5) नवीन लोक प्रशासन के समर्थक प्रशासन में नागरिकों की अधिकतम भागीदारी पर बल देते हैं | वे निर्णय-निर्माण में जन-प्रतिनिधियों को अधिक महत्व देते हैं |
(6) नवीन लोक प्रशासन का यह भी मानना है कि सरकार को अपने व्यापक व जटिल कार्यों को संपन्न करने के लिए आधुनिक विधियों व प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना चाहिए |
(7) नवीन लोक प्रशासन का मानना है कि लोक सेवकों को दलगत तटस्थता तो बनाए रखनी चाहिए परंतु सामाजिक कार्यक्रमों को लागू करते समय उन्हें तटस्थता का आवरण हटा देना चाहिए |
नवीन लोक प्रशासन का मूल्यांकन ( Navin Lok Prashasan Ka Mulyankan )
नवीन लोक प्रशासन के अनेक विद्वान इसे एक नया व मौलिक विषय मानते हैं परंतु अधिकांश विद्वान इसे परंपरागत लोक प्रशासन का ही एक संशोधित रूप मानते हैं |
तमाम आलोचनाओं के बावजूद नवीन लोक प्रशासन के महत्व को नकारा नहीं जा सकता | नवीन लोक प्रशासन से संबंधित लेखों को काफी सराहा गया है | नीग्रो एंड नीग्रो का विचार है कि नवीन लोक प्रशासन ने प्रशासन के विषय में निश्चय ही नए अनुसंधान किए हैं तथा इसमें नए तत्वों को जोड़ा है |
संक्षेप में नवीन लोक प्रशासन की धारणा से लोक प्रशासन संबंधी परंपरागत धारणा एवं विचारों को गहरा धक्का लगा है और लोक प्रशासन का क्षेत्र बढ़ा है | नवीन लोक प्रशासन ने प्रशासन का संबंध आम जनता से जोड़ा है | यह कोई कम उपलब्धि नहीं है |
परंतु भारत में अभी नवीन लोक प्रशासन की धारणा का प्रसार नहीं हुआ है | यह विशुद्ध रूप से एक अमेरिकी अवधारणा है | नवीन लोक प्रशासन विषय की भारत में अभी जड़ें गहरी नहीं हैं | भारत में इसके क्रियान्वयन के लिए धन का भी पर्याप्त अभाव है | यही कारण है कि भारत की राजनीतिक संस्कृति में नवीन लोक प्रशासन अभी अपना स्थान नहीं बना पाया |
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