पाइका विद्रोह ( Paika Rebel )

                    पाइका  विद्रोह 
                 ( Paika Rebel )
 
अंग्रेजों के विरुद्ध प्रथम विद्रोह 1857 ईस्वी के विद्रोह को माना जाता है परन्तु इससे पहले भी एक बड़े विद्रोह का सामना अंग्रेजों को करना पड़ा जिसे दबाने के लिए अंग्रेजों को भरसक प्रयत्न करना पड़ा |
आज से 202 वर्ष पहले 1817 में ओडिशा ( Orisa ) राज्य के खुर्दा ( Khurda )  में सैनिकों का एक विद्रोह हुआ था जिसका नेतृत्व बक्शी जगबंधु अर्थात बिद्याधर महापात्र  ने किया था। इस विद्रोह को पाइका विद्रोह ( Paika Rebel )  कहते हैं।

पाइका विद्रोह

विद्रोह के कारण 

◾️ उड़ीसा के पारम्परिक जमींदार सैनिकों को पाइका कहा जाता था। जब 1803 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस राज्य के अधिकांश भाग को कब्जे में ले लिया तो खुर्दा के राजा का प्रभुत्व समाप्त हो गया और इसके साथ पइका जनों की शक्ति और प्रतिष्ठा में भी गिरावट आ गई। अंग्रेज़ लोग इन आक्रामक और योद्धा लोगों से चिंतित रहा करते थे और इसलिए इनको रास्ते पर लाने के लिए उन्होंने वाल्टर एवर की अध्यक्षता में कि आयोग का गठन किया गया |
◾️ इस आयोग ने सुझाव दिया कि पाइका लोगों को जो लगान रहित पैत्रिक भूमि दी गई थी उसे ब्रिटिश शासन अपने कब्जे में ले ले। इस सुझाव का कठोरता से पालन किया जाने लगा। इस पर पाइका लोगों ने विद्रोह कर दिया।

◾️इस विद्रोह के कुछ अन्य कारण भी थे, जैसे – नमक के मूल्य में वृद्धि, कर के भुगतान के लिए दी जाने वाली कौड़ी मुद्रा को समाप्त करना और भूमि लगान को वसूलने के लिए अपनाई गई शोषणकारी नीति।

◾️विद्रोह के आरम्भ में कंपनी को मुश्किलों का सामना करना पड़ा, परन्तु मई 1817 तक विद्रोह को दबाने में सफल रही। कई पइका नेताओं को फाँसी दे दी गई अथवा देश निकाला दे दिया गया। आठ वर्षों के बाद जगबंधु ने भी 1825 में आत्मसमर्पण कर दिया।

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