क्या है CAB, CAA और NRC

दिल्ली , यूपी समेत देश भर में संशोधित नागरिकता कानून ( Citizenship Amendment Act ) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर या एनआरसी ( NRC- National Registor of Citizens ) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन पर लगी रोक के बावजूद गुरुवार को सड़कों पर उतरने के चलते सैकड़ों छात्रों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं को हिरासत में लिया गया, जबकि कई इलाकों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। कई मेट्रो स्टेशनों को भी बंद कर दिया गया, जिससे शहर में यातायात प्रभावित हुआ। वहीं नये नागरिकता कानून के खिलाफ उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में हिंसा भड़क उठी। उपद्रवियों ने पथराव किया, वाहनों को आग लगा दी जबकि संभल में दो सरकारी बसों को आग के हवाले कर दिया। कर्नाटक में प्रसिद्ध इतिहासकार व पदमभूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता रामचंद्रगुहा सहित तमाम प्रदर्शनकारी हिरासत में लिए गए। कोलकाता में रैली में विभिन्न क्षेंत्रों की नामचीन हस्तियों, छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और छात्रों ने गुरुवार को यहां ऐतिहासिक अगस्त क्रांति मैदान में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया |
CAA और NRC में अन्तर में
– नागरिकता संशोधन कानून (CAA ) जहां धर्म पर आधारित है वहां राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC ) का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। नागरिक संशोधन कानून (CAA) में गैर मुस्लिम (छह प्रमुख धर्म) के लोगों को जगह दी गई है।
– CAA के तहत मुस्लिम बहुल आबादी वाले देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीड़न के कारण भाग कर भारत आए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया। इसमें यही एक बिंदु विवाद उत्पन्न करने के लिए काफ़ी है हालांकि कानूनी जानकर इसमें संवैधानिक दृष्टि से और भी कई विसंगतियां मानते हैं |
वैसे भी मुस्लिमों को इस प्रकार अलग कर देना न तो संभव है और न ही मानवीय दृष्टि से सही है | लेकिन अगर बहुमत के बल पर इस कानून को लागू कर भी दिया तो यह लोकतंत्र की अवधारणा के विरुद्ध होगा क्योंकि धर्मनिरपेक्षता कोई स्वतन्त्र अवधारणा नहीं वरन मनुष्य की स्वतंत्रता का एक हिस्सा है | कोई मनुष्य चाहे किसी भी धर्म का अनुयायी बने या सभी धर्मों में अविश्वास प्रकट करे ; ये वैयक्तिक स्वतंत्रता का मामला है | राज्य यदि धर्म के आधार पर भेदभाव करता है तो निश्चित रूप से लोकतान्त्रिक मूल्य खतरे में हैं |
वैसे भी मुस्लिमों को इस प्रकार अलग कर देना न तो संभव है और न ही मानवीय दृष्टि से सही है | लेकिन अगर बहुमत के बल पर इस कानून को लागू कर भी दिया तो यह लोकतंत्र की अवधारणा के विरुद्ध होगा क्योंकि धर्मनिरपेक्षता कोई स्वतन्त्र अवधारणा नहीं वरन मनुष्य की स्वतंत्रता का एक हिस्सा है | कोई मनुष्य चाहे किसी भी धर्म का अनुयायी बने या सभी धर्मों में अविश्वास प्रकट करे ; ये वैयक्तिक स्वतंत्रता का मामला है | राज्य यदि धर्म के आधार पर भेदभाव करता है तो निश्चित रूप से लोकतान्त्रिक मूल्य खतरे में हैं |
– एनआरसी में अवैध अप्रवासियों की पहचान करने की बात कही गई है, चाहे वे किसी भी जाति, वर्ग या धर्म के लोग हों, उनकी पहचान कर उन्हें देश से बाहर किया जाएगा।
NRC अभी सिर्फ असम में लागू है जबकि CAA को पूरे देश में लागू किया गया है | हालांकि कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसका विरोध करते हुए उनके राज्य में इस कानून को लागू नहीं करने की बात कही है, लेकिन संविधान के जानकारों का मानना है कि इसके लागू किए जाने पर अंतिम फैसला केंद्र सरकार का होगा। यानि राज्य सरकारों द्वारा इसको नकारना संभव ही नहीं होगा |
CAA को लेकर एक धारणा बन गई है कि इससे भारतीय मुस्लिम अपने अधिकारों से वंचित हो जाएंगे, लेकिन सच यह है कि ऐसा करना चाहें तो भी इस कानून के तहत ऐसा नहीं किया जा सकता है। दरअसल CAA को देशभर में प्रस्तावित NRC से जोड़कर देखा जा रहा है, इसलिए ऐसी धारणा बनी है। लेकिन मुसलमानों के साथ-साथ प्रत्येक गैर हिन्दू के मन में यह कानून एक जायज संदेह अवश्य उत्पन्न करता है |
ऐसे अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, वे भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के पास आवेदन कर सकेंगे।
कुल मिलाकर NRC के कुछ बिंदुओं पर आपत्ति है तो वहीं CAA पूरी तरह से ‘लोकतंत्र की हत्या’ का प्रयास है |
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जेट वायु धाराएं ( Jet Streams )
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