( Ishwar Se Anurag )
◼️ 7वीं सदी से 9वीं सदी के बीच कुछ धार्मिक आंदोलनों का उदय हुआ | नयनार वह अलवार ऐसे ही आंदोलन थे |
🔹 नयनार ( Nayanar ) शिव की उपासना करते थे
🔹अलवार ( Alvar ) विष्णु की उपासना करते थे |
🔹इनमें सभी जातियों के लोग शामिल थे | ‘पुलैया'( Pulaiya ) और ‘पनार'( Panar ) जैसी अस्पृश्य समझी जाने वाली जातियां भी इसमें शामिल थी |
🔹कुल मिलाकर 63 नयनार थे | इनमें सर्वाधिक प्रमुख नयनार संत थे – अप्पार( Appar), संबंदर(Sabandar ), सुंदरार ( Sundrar ), मणिक्कवसागर ( Manikvsagar) |
🔹 उनके गीतों के दो संकलन हैं – तेवरम ( Tevaram ), तिरुवाचनाम ( Vachnam )|
🔹 अलवार संतो की संख्या 12 थी | उनमें सर्वाधिक प्रसिद्ध अलवार संत थे – पेरियअलवार ( Periyalvar ), उनकी पुत्री अंडाल ( Andal ), तोंडरडिप्पोड़ीअलवार ( Tondardippodialvar ), नम्मालअलवार ( Nammalalvar ) |
🔹उनके गीतों का संकलन ‘दिव्य प्रबंधन'( Divya Prabandham ) है |
◼️ शंकराचार्य ( Shankracharya ) का जन्म 8वीं सदी में केरल में हुआ | उन्होंने ‘अद्वैतवाद'( Advaitvad ) का दर्शन दिया | इस दर्शन के अनुसार परमात्मा और आत्मा एक ही हैं |
◾️रामानुज( Ramanuja ) 11वीं सदी में तमिलनाडु में पैदा हुए | वह विष्णु भक्त अलवार ( Alvar ) संतो से प्रभावित थे |
🔹 रामानुज ने ‘विशिष्टाद्वैतवाद’ ( Vishishtadvaitvad ) का दर्शन दिया |
◼️ वीरशैव ( Veer Shaiv ) : बसवन्ना( Basvanna ), अल्लामा प्रभु ( Allama Prabhu ) और अक्क महादेवी ( Akk Mahadevi ) वीरशैव आंदोलन के संत थे |
🔹यह आंदोलन 12वीं सदी के मध्य में कर्नाटक में फैला |
🔹 वीर शैव सभी प्रकार के कर्मकांड और मूर्ति पूजा के विरोधी थे |
🔷 महाराष्ट्र के संत 🔷
◼️ 13वीं सदी से 17 वीं सदी तक महाराष्ट्र में अनेक संत हुए | इन्होंने सरल मराठी भाषा में गीतों की रचना की |
🔹इनमें प्रमुख संत थे – ज्ञानेश्वर ( Gyaneshvar ), नामदेव ( Namdev ), एकनाथ ( Eknath ), तुकाराम ( Tukkaram ) |
🔹इनमें सखूबाई( Sakhubai ) जैसी स्त्रियां तथा चोखा मेला ( Chokhamela ) (महार जाति) जैसे संत भी थे |
🔹भक्ति की यह परंपरा विट्ठल( Vitthal ) ( विष्णु का एक रूप ) और ईश्वर संबंधी विचारों पर केंद्रित थी |
🔹 इनका दृष्टिकोण मानवतावादी था |
🔹 ‘अभंग'(Abhang) मराठी भक्ति गीत को कहा जाता है |
◼️ गुजरात के संत नरसी मेहता( Narsi Mehta ) ने कहा था – “वैष्णव जन तो तेने कहिए पीर पराई जाने रे |”
◼️ मुस्लिम विद्वानों (उलेमा ) ने शरीयत नाम से धार्मिक कानून बनाए परंतु सूफी संतों ने मुस्लिम धार्मिक विचारों व कर्मकांडों को अस्वीकार कर दिया |
🔹 उन्होंने प्रियतमा के रूप में ईश्वर की आराधना की |
🔹मध्य एशिया के महान सूफी संतों में गजाली ( Gajjali ), रूमी( Rumi ),सादी (Sadi ) का नाम उल्लेखनीय है |
🔹 उन्होंने किसी औलिया या पीर की देखरेख में जिक्र( नाम-स्मरण ) चिंतन, समा ( गाना ), रक्स ( नाच ), नीति-चर्चा, सांस पर नियंत्रण आदि के जरिए प्रशिक्षण की विस्तृत नीतियों का विकास किया |
◼️ सिलसिला वह परंपरा है जो मुर्शीद को मुरीद से मिलाती है | भारत में चिश्ती सिलसिला सर्वाधिक लोकप्रिय था |
🔹इसके प्रमुख सूफी संत थे – अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, दिल्ली के कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी, पंजाब के बाबा फरीद, दिल्ली के निजामुद्दीन औलिया, गुलबर्ग के बंदा नवाज गेसूदराज |
◼️ खानकाह ( Khankah ) वह स्थान होता था जहां सूफी संत रहते थे | इन खानकाहों में आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा होती थी |
🔹 जलालुद्दीन रूमी ( Jaluluddin Rumi ) 13वीं सदी के महान सूफी शायर थे |
उत्तर भारत में धार्मिक बदलाव
◼️ 13वीं सदी के बाद उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन की लहर आई | इस युग में इस्लाम धर्म, ब्राह्मणवादी हिंदू धर्म, सूफी मत, सिद्धों, नाथों व योगियों ने परस्पर एक दूसरे को प्रभावित किया |
🔹 कबीर और नानक जी ने सभी प्रकार के धार्मिक आडंबरों का विरोध किया |
🔹तुलसीदास जी ने राम को ईश्वर के रूप में स्वीकार किया और अवधी भाषा (पूर्वी उत्तर प्रदेश की भाषा ) में ‘रामचरितमानस'( Ramcharitmanas ) की रचना की |
🔹सूरदास( Surdas ) जी कृष्ण के भक्त थे | सूरसागर, सूर सारावली और साहित्य लहरी उनकी रचनाएं हैं |
🔹असम के शंकर देव ने विष्णु की भक्ति पर बल दिया | उन्होंने असमिया भाषा में कविताएं और नाटक लिखे | इन्होंने ही नामघर (कविता पाठ व प्रार्थना गृह) स्थापित करने की पद्धति चलाई |
🔹 दादूदयाल, रविदास और मीराबाई भी प्रमुख संत कवि थे |मीरा राजपूत घराने से संबंध रखती थी | उसका विवाह 16वीं सदी में मेवाड़ के राजघराने में हुआ | उसने रविदास को अपना गुरु माना | उन्होंने कृष्ण भक्ति के गीत रचे और उच्च जातियों की नीतियों को चुनौती थी उनके गीत राजस्थान व गुजरात में लोकप्रिय हुए |
🔹 कबीर : कबीर ( Kabirdas )का जन्म 1398 ईसवी में काशी में हुआ |उनका पालन-पोषण नीरू और नीमा नामक मुस्लिम जुलाहा दंपत्ति ने किया | उनकी एकमात्र रचना बीजक ( Bijak ) है | कबीरदास जी के कुछ पद गुरु ग्रंथ साहब में भी संकलित हैं | उनकी मृत्यु 1518 ईस्वी में मगहर में हुई | वह सिकंदर लोदी के समकालीन थे |
🔹 गुरु नानक देव : गुरु नानक देव जी( Guru Nanak Dev ) का जन्म 1469 ईस्वी में तलवंडी में ( पाकिस्तान में ननकाना साहब) में हुआ | उन्होंने करतारपुर में रावी नदी के तट पर एक केंद्र स्थापित किया ( डेरा बाबा नानक ) जिसमें उन्होंने धर्म के सही स्वरूप और मानव सेवा के विषय में अपने अनुयायियों को उपदेश दिए | उनके अनुयायी सांझी रसोई में खाते थे जिसे ‘लंगर’ ( Langar ) कहा जाता था | आज भी सिख संप्रदाय में लंगर प्रथा चल रही है | गुरु नानक ने धार्मिक कार्यों के लिए जो जगह नियुक्त कि उसे ‘धर्मसाल’ (Dharamsal ) कहा गया | आज उसे ‘गुरुद्वारा'(Gurudvara ) कहते हैं | उनकी मृत्यु 1539 ईस्वी में हुई |
🔹उन्होंने अपने एक अनुयायी लहणा ( Lahana ) को अपना उत्तराधिकारी चुना जो गुरु अंगद देव ( Guru Angad Dev ) के नाम से जाने गए |
🔹 पांचवें गुरु ‘गुरु अर्जुन देव’ ( Guru Arjun Dev ) ने 1604 ईस्वी में पूर्ववर्ती सिख गुरुओं की रचनाओं के साथ कबीर, रविदास, नामदेव आदि की रचनाओं का संग्रह ‘आदि ग्रंथ'( Aadigranth ) में किया जिसे गुरु ग्रंथ साहब (Guru Granth Sahab ) भी कहा जाता है |
🔹सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह( Guru Govind Dev ) जी ने 1706 में इस ग्रंथ को प्रमाणित किया |
🔹यह ग्रंथ गुरुमुखी ( Gurmukhi ) लिपि में लिखा गया है | स्वर्ण मंदिर ( Golden Temple ) की नींव अर्जुन देव (Guru Arjun Dev ) ने रखी | अमृतसर की नींव गुरु रामदास (Guru Ramdas ) जी ने रखी |
🔹 इतिहासकार इस युग के सिख समुदाय को “राज्य के अंतर्गत राज्य” मानते हैं |
🔹 1606 ईस्वी में जहांगीर ( Jahangir ) ने गुरु अर्जुन देव को मृत्युदंड दिया |
🔹औरंगजेब ( Aurangzeb ) ने गुरु तेग बहादुर ( Guru Tegbahadur ) को मृत्यु दंड दिया |
🔹1699 ईस्वी में गुरु गोविंद सिंह जी ने ‘खालसा पंथ’ (Khalsa Panth ) की स्थापना की |
🔹 नानक जी ने अपने उपदेशों का सार तीन शब्दों में दिया : 1). नाम (सच्ची उपासना ), 2). दान (दूसरों का भला करना), 3). अस्नान ( स्नान /आचार विचार की पवित्रता ) |
◼️ मार्टिन लूथर (Martin Luthar ) (1483-1546) में यूरोप में धर्म सुधार आंदोलन चलाया | उसने बाइबल (Bible) का अनुवाद जर्मन भाषा में किया
🔹 उसने कैथोलिक धर्म की बुराइयों को उजागर किया और प्रोटेस्टेंट धर्म का प्रचार किया |
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