नगर, व्यापारी और शिल्पीजन ( कक्षा-7 ) ( Towns, Traders And Craftspersons )

        ⚫️  नगर,  व्यापारी और शिल्पीजन ⚫️
        ( Towns, Traders And Craftspersons )

◼️ चोरों की राजधानी तंजावर (तमिलनाडु ) थी | तंजावर का बृहदेश्वर मंदिर विश्व विख्यात है जिसका निर्माण चोल राजा राजराज प्रथम ने करवाया था |
🔹कावेरी नदी तंजावर के पास बहती है | इस नगर के वास्तुकार कुंजर मल्लन राजराज  पेरुथच्चन थे |

🔹उरैयूर इसका निकटवर्ती नगर है यहां के सालीय बुनकर मंदिर के लिए झंडियों व अभिजात वर्ग के लिए सूती वस्त्र बुनते थे | यहां से कुछ दूरी पर ‘स्वामीमलाई‘ एक स्थान है जहां कांसे की मूर्तियां बनाई जाती थी | चोलों की कांसे की मूर्तियां विश्व विख्यात हैं |  ▪️कांसा एक मिश्र धातु होती है जो तांबे और टीन से बनाई जाती है |
🔹यह मूर्तियां ‘लुप्त मोम तकनीक’  से बनाई गई थी |
▪️ ‘लुप्त मोम तकनीक’ चोल काल में मूर्तियों के निर्माण करने की एक तकनीक थी | इस तकनीक में पहले मोम की एक सुंदर प्रतिमा बनाई जाती थी फिर उसके ऊपर मिट्टी की परत चढ़ा  दी जाती थी फिर उसमें एक छेद करके मोम को पिघला कर बाहर निकाल दिया जाता था और उसी छेद के रास्ते से पिघली  हुई धातु  उसमें डाली जाती थी जिसके सूखने के पश्चात उसके ऊपर से सावधानी पूर्वक मिट्टी की परत को हटा दिया जाता था और अंदर की मूर्ति को चमका दिया जाता था जिससे एक सुंदर मूर्ति का निर्माण हो जाता था |
◼️ अजमेर में महान सूफी संत ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है |  इसे ‘गरीब नवाज’ ( Garib Navaj ) भी कहा जाता है |  ख्वाजा मुइनुद्दीन यहां 12वीं सदी में बसे |
🔹अजमेर के पास ही पुष्कर ( Pushkar )  सरोवर है |
◼️ आठवीं सदी में ‘मंडपिका'( Mandpika )  मंडी को कहा जाता था | बाजार को ‘हट्ट’ या ‘हाट’  कहा जाता था |
🔹व्यापारियों के संघ को श्रेणी ( गिल्ड ) कहा जाता था |
🔹 दक्षिण भारत में ‘मणिग्रामम'( Manigramam )  और ‘नानादेशी’ ( Nanadeshi ) ऐसे ही व्यापारिक संगठन थे |
🔹 ‘चेट्टीयार’ ( Chettiyar ) भी व्यापारियों का संघ था |
🔹काबुल और कंधार रेशम मार्ग ( Silk Route ) से जुड़े थे | काबुल में घोड़ों का व्यापार बड़े पैमाने पर होता था |
🔹टैवर्नियर ( Tavernier ) ने  इस तथ्य का उल्लेख किया है |
◼️ बीदर के शिल्पकार तांबे और चांदी में जड़ाई के काम के लिए इतने प्रसिद्ध थे कि इस कला का नाम ‘बीदरी'( Bidri )  पड़ गया |
🔹सालियार या कैकोलार बुनकर थे |
◼️ हंपी : हंपी( Humpy )  नगर कृष्णा और तुंगभद्रा नदी की घाटी में स्थित था |  यहां 1336 ईस्वी में हरिहर और बुक्का ने विजयनगर ( Vijaynagar )  साम्राज्य की स्थापना की |
🔹डोमिनगो पेज ( Domingo Paes ) पुर्तगाल का यात्री था | उसने हंपी का सुंदर वर्णन अपने वृतांत में किया है |
🔹 हंपी का ‘विट्ठल मंदिर’  विश्व प्रसिद्ध है |
🔹हंपी का विरुपाक्ष मंदिर ( Virupaksh Temple )  भी प्रसिद्ध है | विरूपाक्ष शिव का स्थानीय नाम है |
🔹महानवमी डिब्बा (Mahanavmi Dibba )  पर महानवमी पर्व का आयोजन किया जाता था |
🔹 1565 ईस्वी में तालीकोटा ( Talikota ) की लड़ाई हुई |  इस लड़ाई में विजयनगर साम्राज्य का अंत हो गया |  गोलकुंडा,  बीजापुर, अहमदनगर, बरार और बीदर के शासकों ने विजयनगर को इस लड़ाई में पराजित किया |
◼️ सूरत : सूरत गुजरात में स्थित एक बंदरगाह है |  इसे ‘पश्चिम का द्वार’   कहा जाता था | मुगल काल में सूरत, कैंबे (आज का खंभात) और अहमदाबाद पश्चिमी व्यापार के केंद्र थे |
🔹 सूरत को ‘मक्का का प्रस्थान-द्वार’ भी कहा जाता है क्योंकि अनेक हज यात्री यहां से जहाज में सवार होकर मक्का जाते थे |
🔹17वीं  सदी में सूरत में पुर्तगालियों अंग्रेजों व डचों  के कारखाने थे |
🔹 अंग्रेज इतिहासकार ओविंगटन ने लिखा है (1689 ईस्वी में ) की सूरत में किसी भी समय लगभग एक सौ जहाज लंगर डाले खड़े होते थे |
🔹सूरत से जारी हुंडियां मिस्र में काहिरा, इराक में बसरा, और बेल्जियम तक मान्य थी |
▪️हुंडी : हुंडी  एक ऐसा दस्तावेज होता है जिसमें एक व्यक्ति द्वारा जमा कराई गई रकम दर्ज रहती है | हुंडी  को कहीं और प्रस्तुत करके जमा की गई राशि प्राप्त की जा सकती है |
🔹 17 वी सदी में सूरत सबसे प्रसिद्ध बंदरगाह थी परंतु 17वीं सदी के अंत तक इसका पतन आरंभ हो गया था क्योंकि 1668 ईस्वी में मुंबई में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना मुख्यालय स्थापित कर लिया था |
◼️ मसूलीपट्टनम : मसूलीपट्टनम या मछलीपट्टनम कृष्णा नदी के डेल्टा पर स्थित बंदरगाह है |
🔹17वीं सदी में मसूलीपट्टनम आंध्र प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध बंदरगाह था |  इंग्लैंड और हॉलैंड दोनों ने इस पर अधिकार करने का प्रयत्न किया |
🔹 ‘मसूलीपट्टनम का किला’  होलेंडवासियों ( डचों ) ने बनवाया |
▪️गुमाश्ता : गुमाश्ता  ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा नियुक्त कर्मचारी होते थे जो बुनकरों पर निगरानी रखते थे |
◼️ 1686-87 ईसवी में मुगल सम्राट औरंगजेब ने गोलकुंडा पर अधिकार कर लिया |
◼️ मुल्लाअब्दुल गफूर और वीर जी वोरा भारतीय व्यापारी थे जिन्होंने विदेशी व्यापारियों से आरंभ में कड़ी प्रतिस्पर्धा की परंतु बाद में पिछड़ गए |
◼️ मद्रास,  मुंबई, कोलकाता जैसे नगरों के उदय ( 18वीं सदी ) के साथ देसी व्यापारी व कारीगर ‘ब्लैक टाउंस'( Black Towns )  में स्थानांतरित हो गए |
🔹 गोरों ने मद्रास में ‘फोर्ट सेंट जॉर्ज’  और कोलकाता में ‘फोर्ट सेंट विलियम’ में अपने आवास बनाए |
◼️ पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा अटलांटिक महासागर के साथ-साथ यात्रा करते हुए ‘केप ऑफ गुड होप’  से निकलकर हिंद महासागर को पार करके 1498 ईस्वी में कालीकट पहुंचा |
🔹 इटली का क्रिस्टोफर कोलंबस ( columbus) 1492 ईस्वी में वेस्टइंडीज के तट पर पहुंचा |

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