( The Revolution of 1857 )सन 1857 का विद्रोह ( The Revolt of 1857 )
🔷 विद्रोह के कारण 🔷
चर्बीयुक्त कारतूसों ( Charbi vaale Kartoos ) के प्रयोग और सैनिकों से सम्बंधित मुद्दों को इस विद्रोह का मुख्य कारण माना गया लेकिन वर्त्तमान शोध द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि कारतूसों का प्रयोग न तो विद्रोह का एकमात्र कारण था और न ही मुख्य कारण | वास्तव में यह विद्रोह सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक-धार्मिक आदि अनेक कारणों का सम्मिलित परिणाम था|
🔹सामजिक और धार्मिक कारण: ब्रिटिशों ने भारतीयों के सामजिक-धार्मिक जीवन में दखल न देने की नीति से हटकर सती-प्रथा उन्मूलन (1829) और हिन्दू-विधवा पुनर्विवाह(1856) जैसे अधिनियम पारित किये | ईसाई मिशनरियों को भारत में प्रवेश करने और धर्म प्रचार करने की अनुमति प्रदान कर दी गयी | 1950 ई. के धार्मिक निर्योग्यता अधिनियम के द्वारा हिन्दुओं के परंपरागत कानूनों में संशोधन किया गया |इस अधिनियम के अनुसार धर्म परिवर्तन करने के कारण किसी भी पुत्र को उसके पिता की संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकेगा|
🔹आर्थिक कारण: ब्रिटिश शासन ने ग्रामीण आत्मनिर्भरता को समाप्त कर दिया | कृषि के वाणिज्यीकरण ने कृषक-वर्ग पर बोझ को बढ़ा दिया| इसके अलावा मुक्त व्यापार नीति को अपनाने,उद्योगों की स्थापना को हतोत्साहित करने और धन के बहिर्गमन आदि कारकों ने अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से नष्ट कर दिया|
🔹सैनिक कारण: भारत में ब्रिटिश उपनिवेश के विस्तार ने सिपाहियों की नौकरी की परिस्थितियों को बुरी तरह से प्रभावित किया |उन्हें बगैर किसी अतिरिक्त भत्ते के भुगतान के अपने घरों से दूर नियुक्तियां प्रदान की जाती थीं | सैन्य असंतोष का महत्वपूर्ण कारण जनरल सर्विस एन्लिस्टमेंट एक्ट ,1856 था,जिसके द्वारा सिपाहियों को आवश्यकता पड़ने पर समुद्र पार करने को अनिवार्य बना दिया गया | 1954 के डाक कार्यालय अधिनियम द्वारा सिपाहियों को मिलने वाली मुफ्त डाक सुविधा भी वापस ले ली गयी|
🔹राजनीतिक कारण: भारत में ब्रिटिश क्षेत्र का अंतिम रूप से विस्तार डलहौजी के शासन काल में हुआ था| डलहौजी ने 1849 ई. में घोषणा की कि बहादुरशाह द्वितीय के उत्तराधिकारियों को लाल किला छोड़ना होगा| बाघट और उदयपुर के सम्मिलन को किसी भी तरह से रद्द कर दिया गया और वे अपने शासक-घरानों के अधीन बने रहे | जब डलहौजी ने करौली (राजस्थान) पर व्यपगत के सिद्धांत को लागू करने की कोशिश की तो उसके निर्णय को कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स द्वारा निरस्त कर दिया गया |
🔷 प्रमुख नेता 🔷
🔹 बैरकपुर : मंगल पांडे ( Mangal Pandey )
🔹दिल्ली : बहादुरशाह जफ़र ( Bahadur Shah Zafar ) ,जनरल बख्त ( Bakht Khan ) , हाकिम खां अहसानुल्लाह(बहादुरशाह द्वितीय का मुख्य सलाहकार)
🔹 लखनऊ : बेगम हजरत महल ( Begum Hazrat Mahal )बिजरिस कादिर,अहमदुल्लाह(अवध के पूर्व नवाब के मुख्य
सलाहकार)
🔹कानपुर : नाना साहिब ( Nana Sahib ) ,राव साहिब (नाना साहिब के भतीजे),तांत्या टोपे/ रामचंद्र पांडुरंग टोपे ( Tatya Tope ) ,अज़ीमुल्लाह खान (नाना साहिब के सलाहकार)
🔹 झाँसी : रानी लक्ष्मीबाई ( Rani Lakshmibai )
🔹बिहार : कुंवर सिंह ,अमर सिंह
🔹इलाहाबाद और बनारस : मौलवी लियाकत अली
🔹फैजाबाद : मौलवी अहमदुल्लाह (इन्होनें विद्रोह को अंग्रजों के विरुद्ध जिहाद कहा )
🔹फर्रूखाबाद : तुफजल हसन खान
🔹बिजनौर : मोहम्मद खान
🔹मुरादाबाद : अब्दुल अली खान
🔹बरेली : खान बहादुर खान
🔹मंदसौर : फिरोजशाह
🔹असम : कंदपरेश्वर सिंह ,मनीराम दत्ता
🔹कुल्लू : राजा प्रताप सिंह
🔹राजस्थान : जयदयाल सिंह ,हरदयाल सिंह
🔹गोरखपुर : गजधर सिंह
🔹मथुरा : सेवी सिंह ,कदम सिंह
🔷 विद्रोह से सम्बंधित ब्रिटिश अधिकारी 🔷
( British Officials Associated with 1857 Revolt )
🔹 जनरल जॉन निकलसन( General john Nicholson ) : 20 सितम्बर,1857 को दिल्ली पर अधिकार किया | लड़ाई में मिले घाव के कारण जल्दी ही निकोल्सन की मृत्यु हो गयी|
🔹मेजर हडसन ( Major Hudson ) : दिल्ली में बहादुरशाह के पुत्रों व पोतों की हत्या कर दी|
🔹 सर ह्यूग व्हीलर ( Sir Hugh Wheeler ): 26 जून, 1857 तक नाना साहिब की सेना का सामना किया | 27 तारीख को ब्रिटिश सेना ने इलाहाबाद से सुरक्षित निकलने का आश्वासन प्राप्त करने के बाद आत्मसमर्पण कर दिया|
🔹 जनरल नील ( General Neil ): जून, 1857 में बनारस और इलाहाबाद को पुनः अपने कब्जे में लिया |नाना साहिब की सेना द्वारा अंग्रेजों की हत्या के प्रतिशोधस्वरुप उसने कानपुर में भारतीयों की हत्या की|विद्रोहियों से संघर्ष के दौरान लखनऊ में उसकी मृत्यु हो गयी|
🔹 सर कॉलिन कैम्पबेल ( Sir Colin Campbell ) : 6 दिसंबर, 1857 को अंतिम रूप से कानपुर पर अधिकार किया | 21 मार्च, 1858 को अंतिम रूप से लखनऊ पर अधिकार कर लिया | 5 मई, 1858 को बरेली को पुनः अधिकार में लिया|
🔹हेनरी लॉरेंस ( Henry Lawrence ): अवध के मुख्य प्रशासक थे | उनकी हत्या विद्रोहियों द्वारा 2 जुलाई, 1857 को लखनऊ रेजीडेंसी पर कब्जे के दौरान कर दी गयी थी |
🔹मेजर जनरल हैवलॉक (Major General Havelock ) : 17 जुलाई 1857 को नाना साहिब की सेना को हराया| दिसंबर 1857 को लखनऊ में इनकी मृत्यु हो गयी|
🔹विलियम टेलर और आयर ( william Tylor and Eyer ) : अगस्त, 1857 में आरा में विद्रोह का दमन किया|
🔹सर ह्यूगरोज ( Sir Hugh Rose ) : झाँसी में विद्रोह का दमन किया और 20 जून 1858 को ग्वालियर पर पुनः कब्ज़ा किया | उन्होंने संपूर्ण मध्य भारत और बुंदेलखंड को पुनः ब्रिटिश शासन के अधीन ला दिया|
🔹 कर्नल ओंसेल ( Colonel Oncell) : बनारस को पुन: ब्रिटिश कब्जे में ले लिया|
◼️ निष्कर्ष:
1857 का विद्रोह भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी |हालाँकि इसका आरम्भ सैनिको के विद्रोह द्वारा हुआ था लेकिन यह कम्पनी के प्रशासन से असंतुष्ट और विदेशी शासन को नापसंद करने वालों की शिकायतों व समस्याओं की सम्मिलित अभिव्यक्ति थी|
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