पियाजे का नैतिक विकास का सिद्धांत ( Piaget’s Moral Development Theory )

पियाजे की नैतिक विकास की अवस्थाएं 

     ( Stages Of Piaget’s Moral Development )

 पियाजे ने नैतिक विकास की निम्नलिखित चार अवस्थाएं बताई हैं :-
1. प्रतिमानहीनता (असंबंधिता) ( प्रथम 5 वर्ष)
2. परायत्तता – आप्तवचन ( 5 से 8 वर्ष)
3. परायत्तता – पारस्परिकता) (9 से 13 वर्ष )
4. स्वायत्तता ( 13 से 18 वर्ष )

1️⃣ प्रतिमानहीनता ( असम्बन्धिता ) (1-5 वर्ष ) :

                              इस अवस्था में बालक का व्यवहार न तो नैतिक होता है और न ही अनैतिक | इस अवस्था में बालक नैतिक मापदंडों द्वारा निर्देशित नहीं होता | उसके व्यवहार के नियंत्रक सुख और दुख होते हैं |

2️⃣ परायत्तता – आप्तवचन  ( 5-8 वर्ष )  :

                               इस अवस्था में बालक का व्यवहार वयस्कों द्वारा निर्देशित होता है |वास्तव में इस अवस्था में बालक का व्यवहार बाह्य सत्ता द्वारा नियंत्रित होता है |दंड व पुरस्कार उनके व्यवहार को नियंत्रित करते हैं |

3️⃣ परायत्तता – पारस्परिकता ( 8- 13 वर्ष ) :

                                इस अवस्था में बालक स्वार्थ की भावना से अपने सामाजिक संबंध विकसित करता है | वह दूसरों द्वारा बनाए गए मापदंडों में से उनका चयन करता है जो उसके स्वार्थ के अनुकूल होते हैं,  जैसे – समूह के साथ घनिष्ठता|

4️⃣ स्वायत्तता – किशोरावस्था ( 13-18वर्ष ) :

                              इस अवस्था में बच्चा स्वायत्तता प्रदर्शित करता है और स्वयं अपने मापदंड निर्धारित करता है | इस अवस्था में बच्चा कई बार समाज द्वारा निर्धारित मान्यताओं व परंपराओं का खंडन कर अपना चिंतन स्वयं विकसित करता है | स्वतंत्र चिंतन इस अवस्था की विशेषता है |

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