(Vakya : Arth, Paribhasha Evam Vargikaran)
🔷 वाक्य का अर्थ 🔷
( Vakya Ka Arth )
भाषा का प्रमुख लक्ष्य विचारों का संप्रेषण है | इस दृष्टि से वाक्य का विशेष महत्व है क्योंकि वाक्य पूर्ण अर्थ की अभिव्यक्ति की क्षमता रखता है| वैसे तो शब्द भी अपने आप में सार्थक होते हैं परंतु किसी भाव की अभिव्यक्ति तभी हो पाती है जब सार्थक शब्दों को एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित किया जाता है |
आधुनिक भाषा-वैज्ञानिक वाक्य को भाषा की सार्थक इकाई मानते हैं | रूपिमों व स्वनिमों का विवेचन वे वाक्य के बाद करते हैं |
पाणिनि ने अपनी पुस्तक ‘अष्टाध्यायी’ में भाषा का आरंभ वाक्य से ही माना है |
पतंजलि के अनुसार – ” क्रिया सहित अव्यय, कारक, विशेषण पदों के समूह को वाक्य कहते हैं |”
पतंजलि ने एक क्रिया वाले पद को भी वाक्य स्वीकार किया है |
एक लंबे चिंतन मनन के पश्चात भाषाविज्ञान इस निष्कर्ष पर पहुंचा है – ” वाक्य भाषा की सार्थक एवं सत्ता पूर्ण इकाई है |”
जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि भाषा का प्रमुख कार्य विचारों की अभिव्यक्ति है | विचार की अभिव्यक्ति वाक्य के माध्यम से ही होती है |
अतः किसी विचार की व्यक्त अवस्था का नाम वाक्य है
🔷 वाक्य की परिभाषा 🔷
( Vakya Ki Paribhasha )
वाक्य की कुछ प्रमुख परिभाषाएं निम्नलिखित हैं :-
▪️ महर्षि जैमिनी के अनुसार – ” एकार्थक पदों के समूह को वाक्य कहते हैं |”
▪️ महर्षि पतंजलि के अनुसार – ” साकांक्ष पदों के समूह को वाक्य कहते हैं |”
▪️ डॉ भोलानाथ तिवारी के अनुसार – ” सार्थक पद समूह जो एक भावपूर्ण का से अभिव्यक्त कर दे, वाक्य है |”
◼️ अतः सार्थक पदों का एक ऐसा समूह जो एक निश्चित क्रम में बंद कर एक विचार को पूर्णता से अभिव्यक्त करता है वाक्य कहलाता है |
🔷 वाक्य के भेद 🔷
( Vakya के Bhed )
सामान्यत : वाक्य का वर्गीकरण निम्नलिखित आधार पर किया जा सकता है –
1️⃣ आकृति के आधार पर
2️⃣ क्रिया के आधार पर
3️⃣ शैली के आधार पर
4️⃣ रचना के आधार पर
5️⃣ अर्थ के आधार पर
1️⃣ आकृति के आधार पर – आकृति के आधार पर वाक्य के दो भेद होते हैं – अयोगात्मक तथा योगात्मक |
🔹 अयोगात्मक वाक्य – जिन वाक्यों के पदों की रचना प्रकृति तथा प्रत्यय के योग से नहीं होती उनको योगात्मक वाक्य कहते हैं |
उदाहरण के रूप में चीनी भाषा अयोगात्मक है |
🔹 योगात्मक वाक्य – जिन वाक्यों के पदों की रचना प्रत्ययों, विभक्तियों या अनेक शब्दों के योग से होती है उनको योगात्मक वाक्य कहते हैं |
हरियाणवी या पंजाबी का शब्द ‘मखा’ (मैंने कहा) इसका उदाहरण है |
2️⃣ क्रिया के आधार पर – क्रिया के आधार पर वाक्य दो प्रकार के होते हैं – क्रियायुक्त वाक्य तथा क्रिया मुक्त वाक्य |
🔹 क्रिया युक्त वाक्य – जिन वाक्यों में कम से कम एक क्रिया का प्रयोग होता है वह क्रिया युक्त वाक्य कहलाते हैं |इनमें एक से अधिक क्रियाएं भी हो सकती हैं |
यथा – (क ) मैं फल खाता हूं | ( एक क्रिया )
(ख ) वह फल खा चुका होगा | (एक से अधिक क्रियाएं)
आगे क्रिया युक्त वाक्यों को भी तीन भेदों में बांटा जा सकता है |
• कर्तृवाच्य – मैं फल खाता हूं |
• कर्मवाच्य – मेरे द्वारा फल खाया जाता है |
• भाववाच्य – मुझसे पढ़ा नहीं जाता |
🔹 क्रियामुक्त वाक्य – जो वाक्य क्रिया के बिना भी पूर्ण हो और भाव की अभिव्यक्ति कराने में समर्थ हो, वह क्रिया मुक्त वाक्य कहलाते हैं | ऐसे वाक्य प्राय: एक शब्दात्मक होते हैं |
यथा :-
मोहन- सोहन तुम्हारे भैया कहां गए हैं?
सोहन – कुरुक्षेत्र | ( क्रिया मुक्त वाक्य )
मोहन – वह कुरुक्षेत्र से कब लौटेंगे?
सोहन – कल | ( क्रिया मुक्त वाक्य )
3️⃣ शैली के आधार पर : शैली के आधार पर वाक्य के तीन भेद हैं – शिथिल वाक्य, समीकृत वाक्य, आवर्तक वाक्य |
🔹 शिथिल वाक्य – जिस वाक्य में वक्ता बिना किसी अलंकार के सीधे-सादे ढंग से अपनी बात कह जाता है, उसे शिथिल वाक्य कहते हैं |यथा :-
(क ) मैं फल खाता हूं |
(ख ) राम का जन्म अयोध्या में हुआ |
(ग ) राम ने 14 वर्ष का वनवास भोगा |
🔹 समीकृत वाक्य – जिन वाक्यों में वक्ता साम्यमूलक या वैषम्यमूलक संगति द्वारा अपने भावों को अभिव्यक्त करता है, उनको हम समीकृत वाक्य कहते हैं | यथा :-
(क ) जो सेवा करता है वह मेवा पाता है | ( साम्यमूलक )
(ख ) जिन ढूंढा तिन पाइयां | ( साम्यमूलक )
(ग ) कहां राजा भोज कहां गंगू तेली | ( वैषम्यमूलक )
(घ ) कहां राम-राम और कहां टें-टें |( वैषम्यमूलक )
🔹 आवर्तक वाक्य – जिन वाक्यों में वक्ता पहले तो श्रोताओं में उत्सुकता जगाता है और पर्याप्त समय के बाद अपने मत को व्यक्त करता है ; ऐसे अवसर पर अक्सर आवर्तक वाक्यों का प्रयोग होता है |
यथा :- “यदि हम जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं, यदि हम समाज में अपना स्थान बनाना चाहते हैं, यदि हम राष्ट्र को आगे ले जाना चाहते हैं तो हमें अथक परिश्रम करना ही होगा |”
4️⃣ रचना के आधार पर : रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद माने गए हैं – सरल या साधारण वाक्य, संयुक्त वाक्य तथा मिश्र या जटिल वाक्य |
🔹 सरल वाक्य – जिस वाक्य में एक कर्त्ता और एक क्रिया अथवा एक उद्देश्य और एक विधेय होता है, उसे सरल वाक्य कहा जाता है | इसे साधारण वाक्य भी कहते हैं |
यथा :- राम पढता है |
यहां ‘राम’ उद्देश्य है तथा ‘पढता है’ विधेय | अतः यह सरल वाक्य है |
🔹 संयुक्त वाक्य – जिस वाक्य में एक से अधिक सरल वाक्य किसी समुच्चयबोधक, अथवा, या, परंतु, किंतु, अन्यथा, इसलिए, अतः द्वारा जुड़े हों, वह वाक्य संयुक्त वाक्य कहलाता है |
यथा – राम और दशरथ रोते हैं तथा प्रजा उन्हें रोते हुए देखती है |
यह वाक्य संयुक्त वाक्य है जो तीन सरल वाक्यों से बना है :-
▪️ राम रोता है |
▪️ दशरथ रोता है |
▪️ प्रजा उन्हें रोते हुए देखती है |
🔹 मिश्र अथवा जटिल वाक्य – मिश्र वाक्य में दो या अधिक सरल वाक्य इस प्रकार मिले होते हैं कि उनमें से एक मुख्य वाक्य होता है और शेष उस पर आश्रित गौण वाक्य होते हैं |
उदाहरण – “उसने कहा कि हर किसी को अपना-अपना कार्य करने की स्वतंत्रता मिले ताकि हर कोई विकास कर सके |”
यह एक मिश्रित/ मिश्र /जटिल वाक्य है तथा इसमें तीन उपवाक्य हैं :-
▪️ उसने कहा | ( मुख्य वाक्य )
▪️ हर किसी को अपना-अपना कार्य करने की स्वतंत्रता मिले | ( गौण /आश्रित वाक्य )
▪️ हर कोई विकास कर सके | ( गौण / आश्रित वाक्य )
5️⃣ अर्थ के आधार पर – अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ भेद हैं :-
▪️ विधानवाचक वाक्य – लड़का जाता है |
▪️ निषेधवाचक वाक्य – लड़का नहीं जाता है |
▪️ प्रश्नवाचक वाक्य – क्या लड़का जाता है?
▪️ आज्ञावाचक वाक्य – दरवाजा बंद कर दो |
▪️ इच्छावाचक वाक्य – ईश्वर तुम्हारा भला करे |
▪️ संदेहवाचक वाक्य – संभवत: आज वह आ जाए|
▪️ संकेतवाचक वाक्य – यदि वह आए तो मैं चलूँ |
▪️ विस्मयबोधक वाक्य – वाह ! कितना सुंदर दृश्य है |
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