सल्तनत काल / Saltnat Kaal ( 1206 ईo – 1526 ईo )

सल्तनत कालीन वंशावली

(A) गुलाम वंश / दास वंश

(B) ख़िलजी वंश

(C) तुग़लक़ वंश

(D) सैयद वंश

(E) लोदी वंश

( A ) गुलाम वंश

  1. कुतुबद्दीन ऐबक ( 1206 ईo से 1210 ईo )

2. इल्तुतमिश ( 1211 ईo से 1236 ईo )

3. रजिया बेगम ( 1236 ईo से 1240 ईo )

4. ग्यासुद्दीन बलबन ( 1266 ईo से 1286 ईo )

( B ) ख़िलजी वंश

1. जलालुद्दीन ख़िलजी ( 1290 ईo से 1296 ईo )

2. अलाउद्दीन ख़िलजी ( 1296 ईo से 1316 ईo )

3. कुतुबद्दीन मुबारक ख़िलजी ( 1316 ईo से 1320 ईo )

(C ) तुग़लक़ वंश

1. ग्यासुद्दीन तुग़लक़ ( 1320 ईo से 1325 ईo )

2. मुहम्मद बिन तुग़लक़ ( 1325 ईo से 1351 ईo )

3. फिरोजशाह तुग़लक़ ( 1351 ई o से 1388 ईo )

( D ) सैयद वंश

1. ख़िज्र खां ( 1414 ईo से 1421 ईo )

2. मुबारक शाह ( 1421 ईo से 1434 ईo )

3. मुहम्मद शाह ( 1434 ईo से 1445 ईo )

4. अलाउद्दीन आलम शाह ( 1445 ईo से 1450 ईo )

( E ) लोदी वंश

1. बहलोल लोदी ( 1451 ईo से 1489 ईo )

2. सिकंदर लोदी ( 1489 ईo से 1517 ईo )

3. इब्राहिम लोदी ( 1517 ईo से 1526 ईo )

( A ) गुलाम वंश ( Gulam Vansh )

  1. कुतुबद्दीन ऐबक ( 1206 ईo से 1210 ईo )

🔹 कुतुबुद्दीन ऐबक मोहम्मद गौरी का महत्वपूर्ण गुलाम था | उसने 1206 ईo में गुलाम वंश की स्थापना की |

🔹 उसने अपनी राजधानी लाहौर बनाई |

🔹 दानी स्वभाव के कारण उसे ‘लाख बख्श’ की उपाधि दी गई |

🔹 कुतुबुद्दीन ऐबक ने क़ुतुब मीनार का निर्माण कार्य आरंभ करवाया | इसकी केवल एक मंजिल उसके काल में बनी | अगली तीन मंजिलों का निर्माण इल्तुतमिश के काल में तथा पांचवी मंजिल फिरोजशाह तुगलक ने बनवाई | कुतुब मीनार (दिल्ली ) लगभग 73 मीटर ऊंचा है | कुतुबमीनार में 379 सीढ़ियां हैं |

🔹 कुतुब मीनार का निर्माण सूफी संत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की याद में करवाया गया |

🔹 कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली में ‘कुव्वत उल इस्लाम’ तथा अजमेर में ‘अढाई दिन का झोपड़ा’ मस्जिदों का निर्माण भी करवाया |

🔹 1210 ईo में चौगान ( पोलो ) खेलते समय घोड़े से गिरकर उसकी मृत्यु हो गई | उसके पश्चात उसका पुत्र आरामशाह शासक बना |

2. इल्तुतमिश ( 1211 ईo से 1236 ईo )

🔹 आरामशाह की हत्या करके 1211 ईo में इल्तुतमिश दिल्ली की गद्दी पर बैठा | वह कुतुबुद्दीन ऐबक का दामाद था |

🔹 सुल्तान बनने से पहले वह बदायूं का सूबेदार था | उसे दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक माना जाता है |

🔹 वह लाहौर से राजधानी दिल्ली लाया |

🔹 अमीरों की शक्ति को नष्ट करने के लिए उसने गुलाम सरदारों का एक संगठन बनाया था जिसका नाम ‘तुर्कान-ए-चिहालगानी’ था |

🔹 वह पहला शासक था जिसने बगदाद के खलीफा से ‘सुल्तान‘ की पदवी प्राप्त की थी |

🔹 मिनहाज उस सिराज उसके दरबार का विद्वान था | इल्तुतमिश ने इक्ता प्रणाली की शुरुआत की |

🔹 उसने दो सिक्के चलाए- चांदी का ‘टका‘ और तांबे का ‘जीतल‘ | उसने सिक्कों पर टकसाल का नाम लिखने की परंपरा भी शुरू की |

3. रजिया बेगम ( 1236 ईo से 1240 ईo )

🔹 रजिया सुल्तान दिल्ली सल्तनत की प्रथम एवं अंतिम महिला शासक थी |

🔹 रजिया ने मलिक जमालुदीन याकूत को ‘अमीर-ए-आखूर’ ( अश्वशाला का प्रधान ) पद पर नियुक्त किया था |

🔹 रजिया के विरुद्ध दो विद्रोह हुए प्रथम कबीर खां तथा दूसरा अल्तूनिया ( Altuniya ) ने किया |

🔹 रजिया ने अल्तूनिया से विवाह किया था |

🔹 रजिया की अनुपस्थिति में असंतुष्ट अमीरों ने बहरामशाह को सुल्तान घोषित कर दिया | दिल्ली को पुनः प्राप्त करने के लिए रजिया ने संघर्ष किया परंतु पराजित हुई |

🔹 1240 में कैथल के समीप डाकुओं द्वारा उसकी हत्या कर दी गई |

🔹 एलफिंस्टन के अनुसार – “यदि रजिया स्त्री ने होती तो उसका नाम भारत के महान मुस्लिम शासकों में लिया जाता |”

4. ग्यासुद्दीन बलबन ( 1266 ईo से 1286 ईo )

🔹 गयासुद्दीन बलबन इलबरी तुर्क था | उसका मूल नाम बहाउद्दीन था |

🔹 रजिया के समय में वह ‘अमीर-ए-शिकार‘ के पद पर आसीन था |

🔹 सुल्तान नसीरुद्दीन ने बलबन को अपना ‘नायबे-मुमालिक’ ( प्रधानमंत्री ) नियुक्त किया |

🔹 1266 ईस्वी में वह दिल्ली का सुल्तान बना | उसे दिल्ली सल्तनत का द्वितीय संस्थापक भी माना जाता है |

🔹 वह स्वयं को तुर्की वीर अफरा सियाब का वंशज मानता था |

🔹 उसने दरबार में सिजदा ( अष्टांग प्रणाम ) और पैबोस ( चरण चूमना ) की परंपरा शुरू कर दरबार की प्रतिष्ठा को बढ़ाया |

🔹 उसने प्रतिवर्ष ईरानी त्यौहार नौरोज को मनाना शुरू किया |

🔹उसने लौह और रक्त की नीति अपनाई ||

🔹 उसने तुर्कान ए चिहालगानी का दमन किया |

🔹 फारसी के विद्वान अमीर हसन ( Amir Hasan ) और अमीर खुसरो ( Amir Khusro ) उसके दरबार की शोभा थे | गुलाम वंश का अंतिम शासक शमसुद्दीन कयूम अर्श था

🔹 राजत्व का दैवीय सिद्धांत देने वाला वह दिल्ली का पहला शासक था |

🔹 गुलाम वंश का अंतिम शासक शम्सुद्दीन कयूमर्श था |

( B ) ख़िलजी वंश ( 1290 ईo से 1320 ईo )

  1. जलालुद्दीन ख़िलजी ( 1290 ईo से 1296 ईo )

🔹 जलालुद्दीन खिलजी ने 1290 ईo में खिलजी वंश की स्थापना की |

🔹 दिल्ली के लोगों के भय के कारण उसने अपना राजतिलक दिल्ली के निकट किलोखरी में करवाया था |

🔹 बलबन के भतीजे मलिक छज्जू ने जलालुद्दीन खिलजी के विरुद्ध असफल विद्रोह किया था |

🔹 जलालुद्दीन खिलजी ने सिद्दी मौला को अशिष्ट व्यवहार के कारण हाथी के पैरों तले कुचलवाकर मरवा डाला था |

🔹 उसने मंगोलों के आक्रमण को विफल किया था | उसके शासनकाल में लगभग 2000 मंगोलों ने इस्लाम धर्म ग्रहण किया और मुगलपुर में बस गए और नवीन मुसलमान कहलाए |

🔹 जलालुद्दीन खिलजी ने ‘दीवान-ए-वकूफ’ नामक व्यय-विभाग की स्थापना की |

🔹 अलाउद्दीन खिलजी जलालुद्दीन खिलजी का भतीजा तथा दामाद था | जलालुद्दीन खिलजी के समय में वह अवध का सूबेदार था |

🔹 1296 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने जलालुद्दीन ख़िलजी का वध कर दिया |

2. अलाउद्दीन खिलजी ( 1296 ईo से 1316 ईo )

🔹 अलाउद्दीन खिलजी 1296 ईस्वी में अपने चाचा तथा ससुर जलालुद्दीन खिलजी को मारकर दिल्ली का सुल्तान बना |

🔹 उसने सिकंदर सानी ( द्वितीय ) की उपाधि धारण की |

🔹 वह बलबन की भांति अपने को पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि मानता था | उसने धर्म मांस धर्मास्वों ( धार्मिक भूदान ) तथा माफी की भूमि को जब्त कर लिया |

🔹 अमीरों के सामाजिक सम्मेलनों व परस्पर वैवाहिक संबंधों पर प्रतिबंध लगा दिया |

🔹 अलाउद्दीन ने राजस्व में कठोरता से वृद्धि की | भूमि कर उपज का 50% निर्धारित कर दिया गया |

🔹 अलाउद्दीन ने सैनिकों का हुलिया लिखने व घोड़ा दागने की परंपरा चलाई |

🔹 सेना के निरीक्षण के लिए ‘आरिज ए मुमालिक’ नामक अधिकारी की नियुक्ति की |

🔹 बाजार का प्रबंध करने के लिए ‘दीवाने रियासत’ नामक अधिकारी की नियुक्ति की | उसके अधीन ‘शहना-ए-मंडी’ नामक अधिकारी काम करता था |

🔹 अलाउद्दीन खिलजी को सल्तनत काल का अर्थशास्त्री भी कहा जाता है |

🔹 उत्तर भारत की विजय के लिए उसने सेना की कमान उलग खां और नुसरत खां को सौंपी |

🔹 उसने दक्षिण विजय के लिए मलिक काफूर को सेनापति बनाया |

🔹 मालिक काफूर ने 1303 ईस्वी में वारंगल के राजा प्रताप रूद्र देव द्वितीय ( काकतीय साम्राज्य ) को पराजित किया जिसने मलिक काफूर को कोहिनूर हीरा भेंट किया |

🔹 अमीर खुसरो और अमीर हसन उसके दरबार की शोभा थे |

🔹 अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली में सीरी का किला, हजार खंभा महल, अलाई दरवाजा और हौज खास का निर्माण करवाया |

3. कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी (1316 ईo से 1320 ईo )

🔹 इसने अलाउद्दीन खिलजी के कठोर आदेशों को रद्द कर दिया |

🔹 यह पहला शासक था जिसने स्वयं को ‘खलीफा‘ घोषित किया |

🔹 उसे नग्न स्त्री-पुरुष की संगत पसंद थी | इसी कारण उसे ‘नंगा फकीर’ भी कहा जाता है |

🔹 1320 ईo में खुसरो खां ने क़ुतुबद्दीन मुबारकशाह का कत्ल कर दिया और स्वयं सुल्तान बन गया |

🔹 लगभग चार महीने बाद गाजी खां ने खुसरो खां को परास्त कर दिया और दिल्ली का सुल्तान बना | उसे ही ग्यासुद्दीन तुगलक के नाम से जाना जाता है |

( C ) तुगलक वंश ( 1320 ईo से 1414 ईo )

  1. ग्यासुद्दीन तुगलक ( 1320 ईo से 1325 ईo )

🔹 गयासुद्दीन तुगलक 1320 इसी में खुसरो खां को पराजित करके दिल्ली का सुल्तान बना और उसने तुगलक वंश की स्थापना की |

🔹 उस का मूल नाम गाजी खां था |

🔹 वह दिल्ली का पहला सुल्तान था जिसने ‘गाजी‘ की उपाधि धारण की |

🔹 नहरों का निर्माण करने वाला वह दिल्ली का पहला सुल्तान था |

🔹 गयासुद्दीन तुगलक का सूफी संत निजामुद्दीन औलिया से मनमुटाव हो गया | इसलिए सुल्तान ने औलिया को धमकी भरा खत लिखा कि दिल्ली आकर वह उसका कत्ल कर देगा | औलिया ने प्रत्युत्तर में कहा था कि ‘दिल्ली अभी दूर है’ | 1325 ईo में बंगाल अभियान से लौटते हुए जूना खां ने गयासुद्दीन तुगलक के स्वागत के लिए एक लकड़ी का महल बनवाया जिसके नीचे दबकर सुल्तान की मृत्यु हो गई | यही जूना खां बाद में मोहम्मद बिन तुगलक के नाम से दिल्ली का सुल्तान बना |

2. मुहम्मद बिन तुगलक ( 1325 ईo से 3151 ईo )

🔹 ग्यासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के 3 दिन बाद जूना खां मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से दिल्ली का सुल्तान बना |

🔹 उसने राजधानी दिल्ली से देवगिरी स्थानांतरित की और उसका नाम दौलताबाद रखा |

🔹 आय में वृद्धि करने के लिए उसने दोआब में कर वृद्धि की |

🔹 उसने कृषि विभाग ‘दीवान ए कोही’ का गठन किया |

🔹 उसने सांकेतिक मुद्रा चलाई | उसने चांदी के स्थान पर तांबे के सिक्के चलाए |

🔹 उसने खुरासान विजय और कराचल विजय की योजना भी बनाई |

🔹 मोरक्को यात्री इब्नबतूता 1333 ईo में उसके दरबार में आया | उसके यात्रा वृतांत का नाम ‘रेहला’ ( सफरनामा ) है |

🔹 मुहम्मद बिन तुगलक मध्यकालीन भारत में सर्वाधिक शिक्षित व विद्वान शासक था लेकिन अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं की असफलता के कारण मूर्ख विद्वान कहा जाता है |

🔹 उसने हिंदुओं के प्रति उदारवादी नीति अपनाई | वह दिवाली और होली जैसे त्योहारों में भी भाग लेता था | हिंदुओं के प्रति ऐसी नीति अपनाने वाला पहला सुल्तान था |

🔹 उसने अपने दरबार में राजशेखर और जैन विद्वान जिन प्रभु सूरी का स्वागत किया |

🔹 1351 ईस्वी में मोहम्मद बिन तुगलक की तीव्र ज्वर के कारण मृत्यु हो गई | उसकी मृत्यु पर बदायूनी ने लिखा है – “सुल्तान को उसकी प्रजा से तथा प्रजा को सुल्तान से मुक्ति मिल गई |”

3. फिरोजशाह तुगलक ( 1351 ईo से 1358 ईo )

🔹 1351 ईo में मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के पश्चात उसका चचेरा भाई फिरोजशाह तुगलक दिल्ली का सुल्तान बना | उसने सुल्तान बनते ही 23 करों को समाप्त कर दिया तथा केवल चार कर – जजिया, जकात, खराज, खम्स को जारी रखा |

🔹 जजिया – गैर मुसलमानों से लिया जाने वाला कर |

🔹 जकात – एक धार्मिक कर जो संपत्ति का 2.5 प्रतिशत था | 🔹 खराज – भूमि कर जो भूमि का 1/3 भाग था |

🔹 खम्स – युद्ध में लूटा गया धन | इसका 4/5 भाग सैनिकों में बांट दिया जाता था |

🔹 फिरोजशाह तुगलक पहला सुल्तान था जिसने ब्राह्मणों से भी जजिया वसूल किया

🔹 फिरोज शाह ने फिरोजाबाद ( दिल्ली ), फिरोजपुर, जौनपुर, हिसार आदि लगभग 300 नगरों की स्थापना की | उसने जौनपुर की स्थापना अपने भाई जूना खां ( मुहम्मद तुग़लक़ ) की याद में की |

🔹 फिरोजशाह ने अपनी आत्मकथा ‘फुतुहात ए फिरोजशाही’ की रचना की |

🔹 उसने दिल्ली में फिरोज शाह कोटला दुर्ग का निर्माण करवाया | वह टोपरा एवं मेरठ से अशोक स्तंभ दिल्ली लाया |

🔹 उसके शासनकाल में कुतुब मीनार की पांचवीं मंजिल का निर्माण हुआ |

🔹 इलियट और एलफिंस्टन ने उसे ‘सल्तनत काल का अकबर’ कहा है |

🔹 तुगलक वंश का अंतिम शासक नसीरुद्दीन महमूद था जिसके समय में मंगोल शासक तैमूर लंग ( 1398 ईo ) ने आक्रमण किया |

( D ) सैयद वंश ( 1414 ईo से 1454 ईo )

  1. खिज्र खां ( 1414 ईo से 1421 ईo )

🔹 सैयद वंश का संस्थापक ख़िज्र खां था | उसने सुल्तान की उपाधि धारण न करके ‘रैयत ए आला’ की उपाधि धारण की |

2. मुबारक शाह ( 1421ईo से 1434 ईo )

🔹 खिज्र खां ने अपने जीवनकाल में ही मुबारक शाह को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था |

🔹 मुबारक शाह ने ‘शाह‘ की उपाधि धारण कर अपने नाम के सिक्के ढलवाए तथा अपने नाम से खुतबा पढ़ावाया |

🔹 याहिमा बिन अहमद सरहिंदी ने फ़ारसी भाषा में ‘तारीख ए मुबारकशाही‘ नामक पुस्तक लिखी |

3. मुहम्मद शाह ( 1434 ईo से 1445 ईo )

🔹 मुबारक शाह को मारकर वजीर सरवर उल मुल्क ने मुहम्मद शाह को गद्दी पर बैठाया |

🔹 मुहम्मद शाह वजीर सरवर उल मुल्क के हाथों की कठपुतली बना रहा मुहम्मद शाह ने बहलोल लोदी का सम्मान किया | उसे अपना पुत्र कहकर पुकारा तथा ‘खान ए खाना’ ( khan-e-khana ) की उपाधि प्रदान की |

4. आलमशाह ( 1445 ईo से 1450 ईo )

🔹 मुहम्मद शाह की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र आलम शाह 1445 ईo में गद्दी पर बैठा | वह सैयद वंश का अंतिम शासक था |

( E ) लोदी वंश ( 1451 ईo से 1526 ईo )

  1. बहलोल लोदी ( 1451 ईo से 1489 ईo )

🔹 बहलोल लोदी ने लोदी वंश की नींव 1451 ईo में रखी |

🔹 वह प्रथम अफगान शासक था उसका संबंध अफगानों की एक शाखा ‘शाहूखेल’ से था |

🔹 बहलोल लोदी अपने सरदारों का सम्मान करता था | वह उनको ‘मकसद ए अली’ कहकर पुकारता था | उसने बहलोली सिक्के चलवाये |

2. सिकंदर लोदी ( 1489 ईo से 1517 ईo )

🔹 बहलोल लोदी के पश्चात उसका पुत्र सिकंदर लोदी 1489 ईo में शासक बना | उसका मूल नाम निजाम खान था |

🔹 उसने बिहार के शासक हुसैन शाह शर्की को परास्त कर बिहार पर अधिकार किया |

🔹 वह एक धर्मांध मुसलमान था | उसने ‘ताजिए’ और ‘मुहर्रम’ पर प्रतिबंध लगा दिया |

🔹 उसने ‘गज’ चलाया जो प्राय: 30 इंच का होता था | वह सिकंदरी गज के नाम से जाना जाता था |

🔹 सिकंदर लोदी ने 1504 ईo में आगरा की स्थापना की तथा 1506 ईसवी में इसे अपनी राजधानी बनाया |

🔹 वह ‘गुलरूखी‘ नाम से कविता लिखता था |

🔹 1517 ईस्वी में आगरा में उसकी मृत्यु हो गई |

3. इब्राहिम लोदी ( 1517 ईस्वी से 1526 ईo )

🔹 सिकंदर लोदी की मृत्यु के पश्चात 1517 ईस्वी में इब्राहिम लोदी गद्दी पर बैठा |

🔹 1517-18 में इब्राहिम लोधी व राणा सांगा के बीच ‘घटोली/घाटोली का युद्ध’ हुआ जिसमें इब्राहिम लोदी की हार हुई |

🔹 पंजाब के शासक दौलत खां लोदीइब्राहिम लोदी के चाचा आलम खां ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया | अप्रैल 1526 ईसवी में बाबर तथा इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत की पहली लड़ाई हुई | इस लड़ाई में इब्राहिम लोदी की हार हुई | दिल्ली सल्तनत का अंत हो गया और मुगल वंश की स्थापना हुई |

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