विकास के लिए जो मॉडल दिए गए हैं उनमें से एक है – कल्याणकारी राज्य का मॉडल | इस दृष्टिकोण के अनुसार विकास का अर्थ है – कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना | हम सभी जानते हैं कि राज्य का सबसे बड़ा उद्देश्य है – जनता का कल्याण | इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए राज्य देश का औद्योगिकरण करना चाहता है, कृषि में सुधार करना चाहता है, साथ ही वह चाहता है कि सर्वसाधारण का जीवन स्तर ऊंचा उठ सके अर्थात कल्याणकारी राज्य लोगों का सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक व आध्यात्मिक विकास करना चाहता है |
कल्याणकारी राज्य की प्रकृति को समझने के लिए इसके अर्थ, परिभाषा और विशेषताओं पर प्रकाश डालना आवश्यक है |
कल्याणकारी राज्य का अर्थ
कल्याणकारी राज्य का शाब्दिक अर्थ है – जनता का कल्याण चाहने वाला राज्य | इस प्रकार कल्याणकारी राज्य का मुख्य उद्देश्य आम जनता का सर्वांगीण विकास करना है | कल्याणकारी राज्य सर्वसाधारण का सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक विकास चाहता है साथ ही गरीबी, बीमारी, भुखमरी, उपद्रव, अशांति से मुक्ति दिलाना भी कल्याणकारी राज्य का मुख्य उद्देश्य है ताकि आम जनता शांतिपूर्वक व सुख पूर्वक जीवन यापन कर सके |
कल्याणकारी राज्य की परिभाषा
कल्याणकारी राज्य को परिभाषित करना एक कठिन कार्य है क्योंकि राज्य को कार्यों को सीमा में बांधना कठिन है फिर भी कुछ परिभाषाएं निम्नलिखित हैं : –
कैन्ट के अनुसार – “वह राज्य कल्याणकारी राज्य है जो अपने नागरिकों के लिए व्यापक सेवाओं की व्याख्या करता है |”
डॉ गार्नर के अनुसार – “कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य राष्ट्रीय जीवन, राष्ट्रीय धन तथा जीवन में भौतिक तथा नैतिक स्तर को विकसित करना है |”
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर स्पष्ट हो जाता है कि कल्याणकारी राज्य उन सभी सुविधाओं को प्रदान करता है जिनको प्राप्त करके व्यक्ति अपना सर्वांगीण विकास कर सकता है | विकास के इस मॉडल में किसी विशेष वर्ग, विशेष समुदाय या समाज के किसी विशेष अंग के हित की ओर ध्यान नहीं दिया जाता बल्कि इसका उद्देश्य संपूर्ण समाज के सामान्य हितों का ध्यान रखना है |
कल्याणकारी राज्य के उद्देश्य/ लक्षण या विशेषताएं (
1. विकास लोकतंत्र के रूप में
कल्याणकारी राज्य में शासन का मुख्य उद्देश्य लोक-कल्याण करना होता है | शासन के सभी कार्य जनता के कल्याण के लिए किए जाते हैं | कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य सभी नागरिकों के उत्थान की योजनाएँ लागू कर उनके जीवन को स्वस्थ, समृद्ध व सुखी बनाना है |
2. आर्थिक सुरक्षा के रूप में
कल्याणकारी राज्य का एक मुख्य उद्देश्य लोगों का आर्थिक कल्याण करना होता है | राज्य प्रत्येक नागरिक की की आजीविका का प्रबंध करता है | कल्याणकारी राज्य में कोई नागरिक गरीब नहीं होता | प्रत्येक नागरिक मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने में समर्थ होता है | नागरिकों में आर्थिक संसाधनों का संतुलित बंटवारा होता है | सभी नागरिकों के पास अपने कौशल को विकसित करके आर्थिक संसाधन जुटाने के अवसर होते हैं |
3. विकास सामाजिक सुरक्षा के रूप में
कल्याणकारी राज्य में प्रत्येक व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाती है | बूढ़े, अपाहिज व असहाय लोगों को राज्य सुरक्षा प्रदान करता है | राज्य सभी के स्वास्थ्य की व्यवस्था करता है |
4. विकास राजनीतिक सुरक्षा के रूप में
कल्याणकारी राज्य कानून और व्यवस्था बनाए रखता है | लोगों के जीवन की सुरक्षा के लिए राज्य पुलिस आदि की व्यवस्था करता है तथा सभी लोगों के राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करता है | कल्याणकारी राज्य में सभी लोगों को राजनीतिक जीवन में भाग लेने के पूर्ण अधिकार प्राप्त होते हैं |
5. विकास भेदभाव के अंत के रूप में
कल्याणकारी राज्य में भाषा, लिंग, जाति, वर्ण, क्षेत्र आदि के आधार पर नागरिकों में भेदभाव नहीं किया जाता | सभी के साथ समानता का व्यवहार किया जाता है | कल्याणकारी राज्य उन सभी परंपराओं का विरोध करता है और उनके उन्मूलन के लिए कानून बनाता है जो समाज में भेदभाव को जन्म देती हैं |
6. विकास विश्व-शांति के विश्वास के रूप में
कल्याणकारी राज्य विश्व-शांति में विश्वास रखता है | अतः कल्याणकारी राज्य सभी पडोसी देशों के साथ मित्रता के प्रयास करता है | कल्याणकारी राज्य अंतरराष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण ढंग से निपटारे में विश्वास करता है | दूसरे शब्दों में कल्याणकारी राज्य युद्ध का विरोध करता है और विश्व शांति स्थापित करना चाहता है |
कल्याणकारी राज्य के कार्य
अनेक विद्वानों द्वारा राज्य के कार्यों को दो भागों में विभक्त किया गया है – (1) ऐच्छिक कार्य तथा (2) अनिवार्य कार्य
लेकिन कल्याणकारी राज्य इस विभाजन में विश्वास नहीं रखता | कल्याणकारी राज्य के लिए प्रजा के कल्याण संबंधी सभी कार्य अनिवार्य हैं | कल्याणकारी राज्य के कुछ कार्यों का वर्णन इस प्रकार है –
1. आंतरिक दंगों तथा विदेशी आक्रमणों से रक्षा
कल्याणकारी राज्य अपने नागरिकों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है | वह अपने नागरिकों को आंतरिक दंगों तथा विदेशी आक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करता है | इसके लिए राज्य पुलिस व सेना की व्यवस्था करता है |
2. जीवन और संपत्ति की रक्षा
राज्य का प्रमुख कार्य लोगों की रक्षा करना है | राज्य का जन्म भी इसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए हुआ है | यदि राज्य अपने नागरिकों की संपत्ति व जीवन की रक्षा नहीं कर पाएगा तो उसका अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा | लोगों का विश्वास राज्य से उठ जाएगा | व्यक्ति राज्य में इसीलिए रहता है क्योंकि राज्य उसके जीवन और संपत्ति की रक्षा करता है |
3. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना
कल्याणकारी राज्य का मुख्य कार्य उन सभी सुविधाओं को जुटाना है जो नागरिकों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक हैं | इस दृष्टि से शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा का विशेष रूप से उल्लेख किया जा सकता है | राज्य शिक्षण-संस्थाओं और चिकित्सालयों की स्थापना करता है ताकि नागरिक शिक्षित हों व स्वस्थ रह सकें |
4. न्याय-व्यवस्था स्थापित करना
समाज में रहते हुए व्यक्तियों के बीच विभिन्न विवाद होते रहते हैं| इन विवादों का निपटारा करने के लिए राज्य न्यायिक-व्यवस्था स्थापित करता है | यह कल्याणकारी राज्य का प्रमुख कार्य है कि सभी व्यक्तियों को बिना भेदभाव के न्याय मिल सके |
5. कृषि, उद्योग और व्यवसायों का विकास
कल्याणकारी राज्य का मुख्य कार्य लोगों का आर्थिक विकास करना है | नागरिकों की आजीविका का प्रबंध करना है | इसके लिए राज्य कृषि, व्यापार, उद्योग व व्यवसाय को बढ़ावा देता है | सिंचाई के साधन उपलब्ध कराता है | उद्योग-धंधों को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं चलाता है | ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न करने की कोशिश करता है जो कृषि, व्यापार, उद्योग तथा अन्य व्यवसायों के लिए लाभकारी हों |
6. आर्थिक-शोषण की समाप्ति
कल्याणकारी राज्य आर्थिक-शोषण की समाप्ति के प्रयास करता है | इस कार्य के लिए राज्य उद्योगों पर नियंत्रण स्थापित करता है | उद्योगों के लिए बहुत से ऐसे नियम बनाता है जो मजदूरों के शोषण को रोक सकें | आवश्यकता पड़ने पर वह कुछ उद्योगों को राष्ट्रीयकृत कर देता है |
7. श्रमिकों के हितों की रक्षा करना
श्रमिकों के हितों का ध्यान रखना कल्याणकारी राज्य का एक प्रमुख कार्य है | इस कार्य के लिए राज्य श्रमिकों के हित में कानून बनाता है | जैसे – काम के घंटे निर्धारित करना, न्यूनतम वेतन निर्धारित करना, उनके लिए विभिन्न प्रकार के अवकाश की व्यवस्था करना, बोनस आदि दिलाने के संबंध में कानून बनाना राज्य का प्रमुख कार्य है |
8. समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करना
समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर कर समाज सुधार करना भी राज्य का एक प्रमुख कार्य है | राज्य अंधविश्वास, छुआछूत, जाति-प्रथा, सांप्रदायिकता, दहेज प्रथा, बाल विवाह आदि सामाजिक कुप्रथाओं को समाप्त करने का प्रयास करता है | इसके लिए कई बार राज्य कानून बनाता है तो कई बार लोगों में जागृति उत्पन्न करने की कोशिश करता है |
9. नागरिकों का नैतिक विकास करना
कल्याणकारी राज्य नागरिकों को राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक सुरक्षा ही प्रदान नहीं करता बल्कि अपने नागरिकों के नैतिक विकास की भी चिंता करता है | इसके लिए राज्य नैतिक शिक्षा का प्रबंध करता है |श्रेष्ठ साहित्य को प्रोत्साहन देता है तथा अश्लील साहित्य को प्रतिबंधित करता है |
कल्याणकारी राज्य की अवधारणा की आलोचना
कल्याणकारी राज्य की अवधारणा की कुछ विद्वान निम्नलिखित कारणों से आलोचना करते हैं : –
1. कुछ आलोचक मानते हैं कि कल्याणकारी राज्य की व्यवस्था अत्यंत खर्चीली है | इसका उपयोग केवल संपन्न देश ही कर सकते हैं |
2. पूंजीपति कल्याणकारी राज्य का विरोध करते हैं क्योंकि कल्याणकारी राज्य उन पर अनेक प्रतिबंध लगा देता है |
3. इस व्यवस्था में नौकरशाही को अनावश्यक रूप से अधिक महत्व दिया गया है जिससे कई बार नौकरशाही व्यवस्था में निरंकुशता आ जाती है |
4. यह व्यवस्था नागरिकों की स्वतंत्रता पर अनेक प्रतिबंध लगाती है |
5. यह अवधारणा अस्पष्ट है | इस व्यवस्था को क्रियान्वित करना कठिन है |
◼️ निष्कर्षत: कहा जा सकता है कि यद्यपि आलोचक कल्याणकारी राज्य के विरुद्ध अनेक तर्क देते हैं परंतु उनके तर्क खोखले नजर आते हैं | वास्तव में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा एक आदर्श अवधारणा है | इस अवधारणा से ही राज्य का सुंदर स्वरूप हमारे सामने आता है | यदि कल्याणकारी राज्य के बिंदुओं को राज्य के कार्यों से हटा दिया जाए तो राज्य की अवधारणा विभत्स हो जाएगी और राज्य की स्थापना का कोई औचित्य ही नहीं रहेगा | यह कहना भी नितांत भ्रांत प्रतीत होता है कि इस अवधारणा को क्रियान्वित नहीं किया जा सकता | सच्चे मन और दृढ़ संकल्प को अपनाकर कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को लागू किया जा सकता है |