भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का सबसे अंतिम का सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन था यह आंदोलन 1942 ईस्वी में महात्मा गांधी जी ने चलाया |
इस आंदोलन का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है :-
भारत छोड़ो आंदोलन के प्रमुख कारण ( Bharat Chhodo Andolan Ke Pramukh Karan )
भारत छोड़ो आंदोलन के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे –
1. सरकार का अपने वादों से मुकरना
ब्रिटिश सरकार भारतीयों से अनेक वादे करती थी परंतु हर बार वह इन वादों को भूल जाते थी | 1909, 1919 तथा 1935 के अधिनियमों में अंग्रेजों ने भारतीयों को दिए गए किसी वादे को पूरा नहीं किया | इसके विपरीत हर बार वे कोई ऐसा कानून लेकर आते थे जिसका मुख्य उदेश्य या तो भारतीयों का शोषण करना होता था या भारतीयों में फूट डालना | अत: भारतीय अंग्रेजों से असंतुष्ट थे |
2. द्वितीय विश्वयुद्ध का प्रभाव
द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ने पर अनेक समस्याएं उत्पन्न हो गई | भारतीयों को अपना भविष्य अंधकारमय लगने लगा | अगर दूसरे विश्वयुद्ध में अंग्रेज पराजित हो जाते तो संभवत: भारत पर जर्मनी या जापान का अधिकार हो जाता | अतः भारतीय जल्दी से जल्दी स्वतंत्रता प्राप्त करना चाहते थे | इन्हीं आशंकाओं के कारण गांधी जी ने भारतीय भारत छोड़ो आंदोलन चलाने का निर्णय किया |
3. भारत को जबरन युद्ध में धकेलना
3 सितंबर, 1939 ईस्वी को ब्रिटेन ने युद्ध में हिस्सा लेने की घोषणा कर दी | इस प्रकार भारत को भी जबरन युद्ध में धकेल दिया गया |भारतीय जानते थे कि इस युद्ध के भारत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेंगे | अत: भारतीयों में असंतोष फ़ैलना स्वाभाविक था | लोग अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने की सोचने लगे | अनेक प्रमुख नेताओं का मानना था कि यह समय आंदोलन चलाने के लिए उपयुक्त था क्योंकि अंग्रेजी द्वितीय विश्व युद्ध में उड़ते हुए थे |
4. जापान के आक्रमण का भय
दूसरे विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र पराजित होने लगे | जापान लगातार आगे बढ़ रहा था | जापान बंगाल की खाड़ी तक आ पहुंचा | भारत पर उसके आक्रमण का खतरा बढ़ने लगा | गांधीजी का मानना था कि यदि जापान भारत पर आक्रमण करना चाहता है तो यह ब्रिटेन के कारण होगा | अतः वे अंग्रेजों को भारत से निकालना चाहते थे |यह जापान के आक्रमण से बचने का एकमात्र रास्ता था | अतः गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन चलाने की घोषणा की |
5. क्रिप्स मिशन की असफलता
क्रिप्स मिशन 1942 ईस्वी में भारत आया | इसने जो सुझाव दिए उनसे भारतीय संतुष्ट नहीं थे | इस प्रकार यह मिशन असफल सिद्ध हुआ परंतु अंग्रेज सरकार ने क्रिप्स मिशन की असफलता की सारी जिम्मेदारी कांग्रेस पर डाल दी | अत: भारतीय समझ गए कि अंग्रेज भारत को स्वतंत्र नहीं करना चाहते | अब देशवासियों ने स्वतंत्र होने के लिए एक बड़ा आंदोलन चलाने का निश्चय कर लिया |
6. सुभाष चंद्र बोस के क्रांतिकारी विचार
दूसरे विश्व युद्ध के समय देश में निराशा का माहौल था | ऐसे समय में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विचारों ने भारतवासियों में उत्साह का संचार किया | उन्होंने भारतवासियों को प्रेरणा दी कि छोटे-छोटे आंदोलनों से कुछ नहीं होगा | आवश्यकता एक बड़े आंदोलन की है ताकि अंग्रेजों को देश से बाहर निकाला जा सके | नेताजी ने ऐसे ओजस्वी भाषण दिए कि भारतवासियों में उत्साह भर गया | अब उन्होंने ठान लिया कि अंग्रेजों को देश से बाहर निकाल कर ही दम लेंगे |
7. गांधी जी के विचारों में परिवर्तन
क्रिप्स मिशन की असफलता तथा द्वितीय विश्वयुद्ध से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण गांधीजी निराश हो गए | अब उनके विचारों में अचानक परिवर्तन आ गया | अब उनकी विचारधारा थी – ‘करो या मरो’ | 5 जुलाई, 1942 को ‘हरिजन’ पत्रिका में उन्होंने लिखा – “अंग्रेजों, भारत छोड़ो” | उन्होंने आगे लिखा – “यदि तुम सोचते हो कि भारत छोड़ जाने से देश में अराजकता छा जाएगी तो छा जाने दो अराजकता |”
भारत छोड़ो आंदोलन का आरंभ
7-8 अगस्त, 1942 को मुंबई में कांग्रेस की एक बैठक हुई | इस बैठक में जवाहरलाल नेहरू ने भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव प्रस्तुत किया | 8 अगस्त, 1942 को विशाल बहुमत से इस प्रस्ताव को पास कर दिया गया | गांधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया और कहा – “या तो हम स्वतंत्रता प्राप्त करके रहेंगे या मृत्यु का आलिंगन करेंगे |”
भारत छोड़ो आंदोलन का कार्यक्रम
भारत छोड़ो आंदोलन का अहिंसात्मक कार्यक्रम बनाया गया जिस के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं :-
🔹 किसान भूमि कर न दें
🔹 जमींदारों को भी कर न दिया जाये
🔹 सरकारी कर्मचारी नौकरी में रहते हुए आंदोलन का समर्थन करें
🔹 सैनिक सरकारी आदेश न मानें आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज ना करें
🔹 विद्यार्थी शिक्षण संस्थाएं छोड़ दें
🔹 सार्वजनिक संस्थाओं की स्थापना की जाए
🔹 हड़तालें की जायें
भारत छोड़ो आंदोलन की प्रगति ( विकास )
ब्रिटिश सरकार ने 9 अगस्त, 1942 को गांधीजी सहित देश के बड़े नेताओं को बंदी बना लिया | कांग्रेस को अवैध संस्था घोषित कर दिया गया | जैसे ही जनता को अपने प्रिय नेताओं की गिरफ्तारी का समाचार मिला है तो जनता सड़कों पर उतर आई | सरकार के विरोध में हड़ताल होने लगी | नेतृत्व के अभाव में आंदोलन हिंसक रूप ले गया | चारों तरफ ‘अंग्रेजों, भारत छोड़ो’ के नारे गूंजने लगे | सबसे पहले 9 अगस्त को मुंबई में जनता ने सरकारी संपत्ति को आग लगाने तथा पुलिस पर पथराव करना शुरू कर दिया | इन घटनाओं का असर जल्दी ही सारे देश में दिखाई देने लगा | हर स्थान पर जनता सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने लगी | सरकार ने स्कूल, कॉलेज, दुकानें आदि बंद करने के आदेश दे दिए परंतु जनता का विरोध उग्र होता गया महाराष्ट्र में यह आंदोलन सबसे अधिक उग्र था |
पटना में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया गया | अतः जनता भड़क उठी | सरकार ने कर्फ्यू लगा दिया परंतु फिर भी जनता पर नियंत्रण करना सरकार के लिए मुश्किल हो गया |
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, बनारस, मेरठ, जौनपुर, नैनीताल आदि सभी बड़े शहरों में उग्र प्रदर्शन होने लगे | महिलाओं ने भी इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया | बंगाल और असम में भी भारत छोड़ो आंदोलन व्यापक रूप ले चुका था |
उत्तर भारत में भी यह आंदोलन समान रूप से उग्र था | पेशावर में खान अब्दुल गफ्फार खान ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया |
इस प्रकार भारत छोड़ो आंदोलन ( Quit India Movement ) एक जन आंदोलन बन गया | इसमें हर वर्ग तथा व्यवसाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया | सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया | टेलीफोन और तार की लाइनें काट दी गई | रेल लाइनें उखाड़ दी गई | पुलिस चौकियों तथा डाक घरों को जला दिया गया | कई स्थानों पर जेलों को तोड़कर कैदियों को रिहा कर दिया गया | सरकारी कार्यालयों पर तिरंगे झंडे फहरा दिए गए |
भारत छोड़ो आंदोलन और सरकार का दमन-चक्र
भारत छोड़ो आंदोलन ( Bharat Chhodo Andolan ) को दबाने के लिए सरकार ने दमन की नीति का सहारा लिया | अनेक स्थानों पर गोलीबारी तक की गई जिसमें हजारों लोग मारे गए |लगभग एक लाख लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया | जनता पर लाठीचार्ज किया गया | सरकारी दमन चक्र के कारण यह आंदोलन अनेक स्थानों पर कमजोर पड़ने लगा |
भारत छोड़ो आंदोलन और गांधीजी का योगदान
भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पास करते समय गांधीजी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया था | उन्होंने कहा था कि इस बार हम मरते दम तक लड़ेंगे | उनके इस कथन का ही यह प्रभाव था कि सारा देश आंदोलन में कूद पड़ा | अंग्रेजों ने आंदोलनकारियों पर अनेक अत्याचार किए परंतु जनता के उत्साह में कोई कमी नहीं आई | अंग्रेजी सरकार ने गांधी जी पर अराजकता तथा हिंसा का आरोप लगाया | उन्होंने 1948 में आत्म शुद्धि के लिए पुणे जेल में 21 दिन का उपवास रखा | 1944 ईस्वी में जब लॉर्ड वेवल नया वायसराय बना तो उसने गांधीजी को रिहा कर दिया | जेल से बाहर आकर गांधी जी ने लॉर्ड वेवल से कहा कि अगर सरकार भारत को स्वतंत्र करने के विषय में कदम आगे बढ़ाती है तो हम आंदोलन स्थगित कर देते हैं परंतु सरकार ने उनकी मांग ठुकरा दी |
महत्व – भारत छोड़ो आंदोलन का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्ण स्थान है | यद्यपि यह आंदोलन भारत को स्वतंत्र कराने में उस समय सफल नहीं रहा परंतु इस आंदोलन ने अंग्रेजों के मन में यह बात बैठा दी कि अब अधिक दिनों तक भारत पर शासन नहीं किया जा सकता | यही कारण है कि 1946 में कैबिनेट मिशन भारत आया जिसने भारत की स्वतंत्रता के विषय में महत्वपूर्ण सुझाव दिए | जल्दी ही 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया | यह स्वतंत्रता वास्तव में भारत छोड़ो आंदोलन का ही परिणाम थी |