जहां शब्द का अर्थ अभिधा तथा लक्षणा शब्द-शक्तियों के द्वारा नहीं निकलता वहाँ शब्द की गहराई में छिपे हुए अर्थ को प्रकट करने वाली शक्ति व्यंजना शब्द-शक्ति कहलाती है | इससे जो अर्थ प्रकट होता है, उसे व्यंग्यार्थ कहते हैं |
‘व्यंजना’ शब्द ‘वि+अंजना’ से बना है जिसका अर्थ है – विशेष दृष्टि | इसका अर्थ यह है कि इसमें विशेष दृष्टि से देखकर अर्थ निकालना पड़ता है |
उदाहरण – घर गंगा में है | यहाँ व्यंग्यार्थ है कि घर गंगा की तरह पवित्र है |
व्यंजना शब्द-शक्ति के भेद ( Vyanjana Shabd Shakti Ke Bhed )
व्यंजना शब्द शक्ति के दो भेद हैं – ( क ) शाब्दी व्यंजना, (ख ) आर्थी व्यंजना |
(क ) शाब्दी व्यंजना – जहाँ व्यंजना शब्द-विशेष के कारण उत्पन्न होती है, वहाँ शाब्दी व्यंजना होती है | अगर उस शब्द के स्थान पर उसका कोई समानार्थक शब्द रख दिया जाए तो व्यंग्यार्थ नहीं निकलता |
उदाहरण – चिर जीवो जोरी जुरै, क्यों न स्नेह गंभीर |
को घटि ये वृषभानुजा, वे हलधर के बीर ||
यहाँ वृषभानुजा ( वृषभानु +जा ) का अर्थ वृषभानु की पुत्री ( राधा ) निकालने पर हलधर का अर्थ बलराम होगा और हलधर के बीर का अर्थ होगा-कृष्ण |
वृषभानुजा ( वृषभ +अनुजा ) का अर्थ बछिया लेने पर हलधर का अर्थ बैल होगा और हलधर के बीर का अर्थ सांड होगा |
यहां व्यंजना ‘वृषभानुजा’ और ‘हलधर के बीर’ पर आधारित है यदि इन दोनों शब्दों के स्थान पर इनके समानार्थक शब्द रख दिए जाएं तो व्यंग्यार्थ नहीं निकलेगा | अत: यहाँ शाब्दी व्यंजना है |
(ख ) आर्थी व्यंजना – जहाँ व्यंजना शब्द-विशेष पर आधारित न होकर अर्थ पर आधारित होती है, उसे आर्थी व्यंजना कहते हैं | आर्थी व्यंजना के दो प्रकार हैं – (अ ) अभिधामूलक आर्थी व्यंजना, (आ ) लक्षणामूलक आर्थी व्यंजना |
(अ ) अभिधामूलक आर्थी व्यंजना – जहाँ पहले अभिधार्थ यानि मुख्यार्थ निकलता है तथा फिर व्यंग्यार्थ निकलता है, वहाँ अभिधामूलक व्यंजना होती है |
उदाहरण – अनेकार्थी शब्दों में अभिधामूला आर्थी व्यंजना होती है | उदाहरण के लिये ‘हरि’ शब्द के अनेक अर्थ हैं, जैसे भगवान, विष्णु, इंद्र, मर्कट, सिंह आदि | ऐसे में भगवान के अतिरिक्त जितने भी अर्थ निकलेंगे वे अभिधामूला आर्थी व्यंजना के उदाहरण होंगे |
( आ ) लक्षणामूलक आर्थी व्यंजना – प्रयोजनवती लक्षणा के सभी उदाहरण लक्षणामूलक आर्थी व्यंजना के उदाहरण भी हैं |
उदाहरण – सुरेश निरा बंदर है | इस वाक्य में प्रयोजनवती लक्षणा है | क्योंकि सुरेश की शरारती प्रवृत्ति के कारण इसमें उस पर व्यंग्य किया गया है | इसलिए यहाँ लक्षणामूलक आर्थी व्यंजना भी है |