शब्द और अर्थ का आपस में अभिन्न संबंध होता है | जो बोला या लिखा जाता है वह शब्द होता है तथा उस बोले अथवा लिखे हुए से सुनने वाले की समझ में जो आता है वह अर्थ होता है |
उदाहरण के लिए अगर किसी ने बोला ‘गाय’ | इस शब्द को सुनकर सुनने वाले के मन में एक विशेष प्रकार के पशु की आकृति उभर आती है | यह आकृति वस्तुतः उस शब्द का अर्थ है |
अब प्रश्न यह उठता है कि ‘गाय’ शब्द सुनते ही हमारी आंखों के सामने एक विशेष पशु का आकार ही क्यों उभरता है किसी पक्षी अथवा किसी वृक्ष अथवा किसी अन्य पशु का क्यों नहीं | इससे स्पष्ट होता है कि शब्द और अर्थ के अतिरिक्त एक तीसरी वस्तु और भी है जो किसी शब्द में छिपे अर्थ का बोध कराती है, उसे शब्द शक्ति कहते हैं |
शब्द-शक्ति के भेद ( Shabd Shakti Ke Bhed )
शब्द-शक्ति के तीन भेद हैं – (1) अभिधा, (2) लक्षणा और (3) व्यंजना |
(1) अभिधा – ऐसे शब्द जो सीधे-सादे कोषगत अथवा संकेतिक अर्थ को प्रकट करते हैं, उन्हें वाचक शब्द कहते हैं, उनसे जो अर्थ प्रकट होता है उसे वाच्यार्थ या मुख्यार्थ कहते हैं तथा वह शक्ति जो यह अर्थ प्रकट करवाती है उसे अभिधा शब्द-शक्ति कहते हैं | उदाहरण – वाटिका में सुंदर फूल खिले हैं | इस वाक्य में ‘फूल’ शब्द अपने कोशगत अर्थ को प्रकट करता है |
(2) लक्षणा – मुख्यार्थ के बाधित होने पर जब किसी अन्य अर्थ का बोध होता है तो उस अर्थ को लक्ष्यार्थ कहते हैं तथा वह शब्द-शक्ति जो यह अर्थ प्रकट करवाती है उसे लक्षणा शब्द-शक्ति कहते हैं | उदाहरण – सुरेश तो निरा बंदर है | इस वाक्य में सुरेश को बंदर बताया गया है जबकि वास्तव में वह बंदर नहीं है | अत: मुख्यार्थ में बाधा पड़ती है | इसलिए यहां लक्षणा शब्द-शक्ति काम करेगी | लक्षणा शब्द-शक्ति के द्वारा बंदर से तत्सम्बन्धी अर्थ निकला – शरारती | अब अर्थ निकलता है कि सुरेश बहुत शरारती है | बंदर शब्द से शरारती अर्थ निकालना लक्षणा शब्द-शक्ति द्वारा ही संभव हुआ |
(3) व्यंजना – जहां शब्द का अर्थ अभिधा तथा लक्षणा शब्द-शक्तियों के द्वारा नहीं निकलता वहाँ शब्द की गहराई में छिपे हुए अर्थ को प्रकट करने वाली शक्ति व्यंजना शब्द-शक्ति कहलाती है | इससे जो अर्थ प्रकट होता है उसे व्यंग्यार्थ कहते हैं |
उदाहरण – घर गंगा में है | यहाँ व्यंग्यार्थ है कि घर गंगा की तरह पवित्र है |
यह भी देखें
अभिधा शब्द-शक्ति : अर्थ व प्रकार ( Abhidha Shabd Shakti Ka Arth V Prakar )
लक्षणा शब्द-शक्ति का अर्थ व प्रकार ( Lakshna Shabd Shakti Ka Arth V Prakar )
व्यंजना शब्द-शक्ति की परिभाषा एवं भेद ( Vyanjana Shabd Shakti : Arth, Paribhasha Evam Bhed )
काव्य के प्रमुख तत्त्व ( Kavya Ke Pramukh Tattv )
काव्य गुण : अर्थ, परिभाषा और प्रकार ( Kavya Gun : Arth, Paribhasha Aur Swaroop )
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