काव्य – अभिनव गुप्त ने काव्य के विषय में लिखा है ‘कवनीय काव्यम’ अर्थात जो कुछ वर्णनीय है, वही काव्य है |
अंग्रेजी भाषा में कवि का पर्याय शब्द ‘Poet’ है जिसका अर्थ है – निर्माता या रचनकर्त्ता | अंग्रेजी में काव्य को ‘Poem’ कहते हैं जिसका अर्थ है – निर्माण या रचना | इस प्रकार काव्य का अर्थ हुआ – कवि-कर्म |
संस्कृत एवं हिंदी में भी काव्य-निर्माता को कवि रहते हैं और कवि कर्म को काव्य |
काव्य की परिभाषा ( Kavya Ki Paribhasha )
भिन्न-भिन्न विद्वानों ने काव्य की परिभाषा अपने-अपने ढंग से दी है | काव्य के स्वरूप को जानने के लिए हम यहां संस्कृत विद्वानों, पाश्चात्य विद्वानों और हिंदी विद्वानों की परिभाषाओं पर विचार करेंगे : –
(1) आचार्य विश्वनाथ ने काव्य की बड़ी ही सुंदर परिभाषा दी है |
“वाक्यं रसात्मकं काव्यम् |”
अर्थात रसात्मक वाक्य काव्य है |
(2) आचार्य जगन्नाथ काव्य की परिभाषा देते हुए कहते हैं –
“रमणीयार्थ प्रतिपादक: शब्द: काव्यम् |”
रमणीय अर्थ का प्रतिपादक शब्द काव्य है |
(3) पाश्चात्य विद्वान् कॉलरिज के अनुसार –
” Poetry is the best words in the best order.”
अर्थात सर्वोत्तम शब्दों का सर्वोत्तम क्रम ही काव्य है |
(4) पाश्चात्य कवि वर्ड्सवर्थ के अनुसार – “भावों का सहज उच्छलन ही कविता है |”
(5) महाकवि जयशंकर प्रसाद के अनुसार –
” काव्य आत्मा की संकल्पनात्मक अनुभूति है |”
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि कविता साहित्य की एक ऐसी विधा है जिसका संबंध मनुष्य की भावनाओं से है | जब कोई व्यक्ति अपनी भावनाओं को सुंदर ढंग से और सुंदर शब्दों में अभिव्यक्त करता है तो वह काव्य बन जाता है |
यह भी पढ़ें
काव्य : अर्थ, परिभाषा( काव्य लक्षण ) और स्वरूप ( Kavya : Arth, Paribhasha V Swaroop )
काव्य-प्रयोजन : अर्थ, परिभाषा, स्वरूप ( Kavya Prayojan : Arth, Paribhasha, Swaroop )
काव्य के भेद / प्रकार ( Kavya Ke Bhed / Prakar )
साधारणीकरण : अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप
सहृदय की अवधारणा ( Sahridya Ki Avdharna )
अलंकार सिद्धांत : अवधारणा एवं प्रमुख स्थापनाएँ
रीति सिद्धांत : अवधारणा एवं स्थापनाएँ
ध्वनि सिद्धांत ( Dhvani Siddhant )
वक्रोक्ति सिद्धांत : स्वरूप व अवधारणा ( Vakrokti Siddhant : Swaroop V Avdharna )
औचित्य सिद्धांत : अवधारणा एवं स्थापनाएं
B.A