जब आदमी आदमी नहीं रह पाता ( Jab Aadami Aadami Nahin Rah Pata ) : कुंवर नारायण

दरअसल मैं वह आदमी नहीं हूँ जिसे आपने

जमीन पर छटपटाते हुए देखा था |

आपने मुझे भागते हुए देखा होगा

दर्द से हमदर्द की ओर | 1️⃣

वक्त बुरा हो तो आदमी आदमी नहीं रह पाता | वह भी मेरी ही और

आपकी तरह आदमी रहा होगा | लेकिन आपको यकीन दिलाता हूँ

वह मेरा कोई नहीं था, जिसे आपने भी

अंधेरे में मदद के लिए चिल्ला-चिल्लाकर

दम तोड़ते सुना था |

शायद उसी मुश्किल वक्त में

जब मैं एक डरे हुए जानवर की तरह

उसे अकेला छोड़कर बच निकला था खतरे से सुरक्षा की ओर,

वह एक फंसे हुए जानवर की तरह

खूंखार हो गया था | 2️⃣

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