भाषा का युद्ध ( Bhasha Ka Yuddh ) : रघुवीर सहाय

अब हम भाषा के लिए लड़ने के वक्त

यह देख लें कि हम उससे कितनी दूर जा पड़े हैं

जिनके लिए हम लड़ते हैं

उनको हमको भाषा की लड़ाई पास नहीं लाई

क्या कोई इसलिए कि वह झूठी लड़ाई थी

नहीं बल्कि इसलिए कि हम उनके शत्रु थे

क्योंकि हम मालिक की भाषा भी

उतनी ही अच्छी तरह बोल लेते हैं

जितनी मालिक बोल लेता है | 1️⃣

वही लड़ेगा अब भाषा का युद्ध

जो सिर्फ अपनी भाषा बोलेगा

मालिक की भाषा का एक शब्द भी नहीं

चाहे वह शास्त्रार्थ न करे जीतेगा

बल्कि शास्त्रार्थ वह नहीं करेगा

वह क्या करेगा अपने गूंगे गुस्से को

वह कैसे कहेगा? तुमको शक है

गुस्सा करना ही

गुस्से की एक अभिव्यक्ति जानते हो तुम

वह और खोज रहा है, तुम जानते नहीं | 2️⃣

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