बादल राग : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ( Badal Raag : Suryakant Tripathi Nirala )

बादल राग : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

अभ्यास के प्रश्न ( बादल राग : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला )

(1) ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है और क्यों?

उत्तर — ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ पंक्ति में ‘दुख की छाया’ अनिष्ट का प्रतीक है? प्रस्तुत कविता में ‘दुख की छाया’ क्रांति की आशंका के लिए प्रयोग हुआ है | सुविधा संपन्न पूंजीपति लोगों के पास सुख के अनेक साधन होते हैं परंतु उनका यह सुख अस्थिर होता है क्योंकि उन्हें हमेशा क्रांति की आशंका सताती रहती है | जब भी कहीं क्रांति होती है तो उससे निर्धन वर्ग पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि क्रांति के आगमन से उनके जीवन में सुख के संचार की संभावना बलवती हो जाती है लेकिन शोषक धनी वर्ग मिट्टी में मिल जाता है, उनका वैभव छिन जाता है |

(2) ‘अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर’ पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया गया है?

उत्तर — ‘अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर’ पंक्ति में शोषक पूंजीपति वर्ग की ओर संकेत किया गया है | इस पंक्ति के माध्यम इस तथ्य को स्पष्ट किया गया है कि जब क्रांति का आगमन होता है तो धनी पूंजीपति वर्ग मिट्टी में मिल जाता है | जिस प्रकार बादलों के द्वारा किए गए अशनि पात से बड़े-बड़े भूधर मिट्टी में मिल जाते हैं उसी प्रकार पूंजीपति वर्ग भी क्रांति के आगमन से मिट्टी में मिल जाते हैं अर्थात उनका धन-वैभव और प्रभाव समाप्त हो जाता है |

(3) ‘विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते’ पंक्ति में ‘विप्लव-रव’ से क्या तात्पर्य है? ‘छोटे ही हैं शोभा पाते’ ऐसा क्यों कहा गया है?

उत्तर — ‘विप्लव-रव’ से तात्पर्य है – क्रांति की गर्जना | ‘विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते’ इसलिए कहा गया है क्योंकि जब भी क्रांति का आगमन होता है उससे छोटे लोगों का ही उद्धार होता है | दलित, पीड़ित और शोषित वर्ग के लोगों के जीवन में सुखद परिवर्तन की संभावना बलवती हो जाती है जबकि धनी शोषक वर्ग मिट्टी में मिल जाता है उनका धन-वैभव और प्रभाव समाप्त हो जाता है |

(4) बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है?

उत्तर — बादलों के आगमन से प्रकृति में अनेक परिवर्तन होते हैं | तेज हवाएं चलने लगती हैं, बादल गरजने लगते हैं | बादलों में बिजली चमकने लगती है, तड़ित-पात के कारण भयंकर गर्जना होती है | मूसलाधार वर्षा होने लगती है | अशनि पात और भयंकर बाढ़ के कारण बड़े-बड़े भूधर और बड़ी-बड़ी अट्टालिकाऐं मिट्टी में मिल जाती हैं | पृथ्वी के गर्भ में दबे प्रसुप्त बीज अंकुर के रूप में प्रस्फुटित हो जाते हैं | छोटे पौधे प्रसन्नता से खिल उठते हैं और ऐसा लगता है मानो हाथ हिला-हिला कर बादलों को बुला रहे हों |

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