पत्रकारिता का सीधा संबंध समाचार पत्रों व पत्रिकाओं से है | कोई भी महत्वपूर्ण घटना जो लोगों को प्रभावित करती हो या जिससे लोग रोमांचित होते हों, समाचार कहलाती है | समाचार जिस पत्र में प्रकाशित होते हैं, वह समाचार पत्र कहलाते हैं और जिस प्रक्रिया के माध्यम से समाचार लिखित रूप तक पहुंचते हैं, उसे पत्रकारिता कहते हैं |
पत्रकारिता का स्वरूप ( Patrakarita Ka Swaroop )
पत्रकारिता के स्वरूप को स्पष्ट करने के लिए पहले समाचार के अर्थ को जानना प्रासंगिक होगा | समाचार के लिए अंग्रेजी में ‘न्यूज़’ ( NEWS ) शब्द का प्रयोग किया जाता है | ‘NEWS’ शब्द चार वर्णों के योग से बनता है —
N – North ( उत्तर )
E – East ( पूर्व )
W – West ( पश्चिम )
S – South ( दक्षिण )
इस प्रकार ‘न्यूज़’ ( NEWS ) का अभिप्राय है – पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण अर्थात् चारों दिशाओं से मिलने वाले समाचार |
वस्तुतः पत्रकारिता अपने आप में एक कला है | अंग्रेजी में इसके लिए ‘जर्नलिज्म’ ( Journalism ) शब्द का प्रयोग किया जाता है | ‘जर्नलिज्म’ शब्द की रचना ‘जर्नल’ से हुई है | ‘जर्नल’ का अर्थ है – दैनिक विवरण | हिंदी में ‘जर्नल’ के लिए ‘पत्रिका’ शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसे मैगजीन भी कहा जाता है |
पत्रकारिता की परिभाषा ( Patrakarita Ki Paribhasha )
◾️ चैम्बर तथा न्यू वेबस्टर के अनुसार — ” प्रकाशन, संपादन, लेखन एवं प्रसारण युक्त समाचार माध्यम का व्यवसाय ही पत्रकारिता है |पत्रकारिता अभिव्यक्ति की एक मनोरम कला है | इसका कार्य जनता तथा जन नेताओं के समक्ष लोक कल्याण संबंधी कार्यों की सूची प्रदान करना है |”
◾️ डॉ नरेश मिश्र के अनुसार — “पत्रकारिता समाज के लिए ज्ञानवर्धन, मनोरंजन और उद्बोधन का आधार है |”
◾️ डॉ रामचंद्र वर्मा के अनुसार — “पत्रकारिता वह विधा है जिसमें पत्रकारों के कार्यों, कर्तव्यों, उद्देश्य आदि का विवेचन होता है |”
◾️ सी जी मूलर के अनुसार — “सामाजिक ज्ञान का व्यवसाय ही पत्रकारिता है | इसमें तथ्यों की प्राप्ति, उनका मूल्यांकन और समुचित प्रस्तुतीकरण होता है |”
◾️ सुप्रसिद्ध पत्रकार प्रभाष जोशी पत्रकारिता के विषय में लिखते हैं — “न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और प्रेस में यदि मैं चौथा स्तंभ हूँ तो पत्रकार होने के नाते मेरा अधिकार और कर्तव्य है कि इन तीन स्तम्भों को मैं जज करूँ |”
◾️डेविड वेनराइट के अनुसार — “पत्रकारिता भावाभिव्यक्ति का साधन है | यह जनता की इच्छा और जानकारी के लिए नवीन तथ्यों को प्रस्तुत कर उनको संतुष्ट करती है |”
🔷 उपर्युक्त विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि पत्रकारिता एक ऐसा माध्यम है जो जनता का ज्ञान, मनोरंजन एवं उद्बोधन करती है | लोकतंत्र के इस युग में पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य कार्यपालिका, न्यायपालिका तथा विधानपालिका के कार्यों का सूक्ष्म निरीक्षण करना तथा उन्हें निरंकुश होने से रोकना है | परंतु स्वतंत्र प्रेस की अवधारणा से ही यह सब संभव हो सकता है अन्यथा पत्रकारिता का अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप सब परिवर्तित हो जाता है |
पत्रकारिता का महत्त्व / उपयोगिता ( Patrakarita Ka Mahattva Ya Upyogita )
आज प्रायः हर क्षेत्र में पत्रकारिता का अपना महत्व है | पत्रकारिता के महत्व को निम्नलिखित में शिक्षकों में रेखांकित किया जा सकता है —
1️⃣ सामाजिक महत्त्व — पत्रकारिता समाज से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है | समाज लोगों के समूह से बनता है और किसी भी समूह में सभी लोगों में पारस्परिक संबंध होता है | पत्रकारिता मानव संबंधों को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है | पत्रकारिता मानव संबंधों के निर्माण में आने वाली बाधाओं को न केवल उजागर करती है बल्कि उनको दूर करने के उपाय भी सुझाती है | यह समाज के विकास के लिए रचनात्मक कार्यों को बढ़ावा देती है | समाज में व्याप्त रूढ़ियों व अंधविश्वासों को दूर करने में पत्रकारिता का बहुत बड़ा योगदान है | 19वीं सदी में चले समाज सुधार आंदोलनों व भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को बढ़ावा देने में पत्रकारिता ने सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी | उन आंदोलनों के पश्चात ही आधुनिक भारत का निर्माण संभव हो पाया | पत्रकारिता के महत्व को उजागर करते हुए श्री अनंत गोपाल शेवड़े ने लिखा है — “……..पत्रकारिता के बिना हमारा सामाजिक जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता | समाचार पत्रों के बिना चारों ओर अफवाहों, षड्यंत्रों, और अंधविश्वासों का वातावरण फैल जाता |”
2️⃣ राजनीतिक महत्त्व — राजनीति के क्षेत्र में भी पत्रकारिता का विशेष महत्व है | वास्तव में समाचार पत्रों में अधिकांश समाचार राजनीति से जुड़े हुए होते हैं | इसका कारण यह है कि राजनीति ही हमारे समाज, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और जीवन-शैली को प्रभावित करती है | किसी भी देश में राजनीतिक सत्ता के परिवर्तन होने पर उस देश की दशा बदल सकती है | ऐसी स्थिति में पत्रकारिता का महत्व बढ़ जाता है | पत्रकारिता विभिन्न राजनीतिक दलों की विचारधारा को जनता तक लाती है तथा स्वस्थ जनमत का निर्माण करती है | लेकिन यदि पत्रकार चापलूस और बिकाऊ हैं तो ऐसी अवस्था में गलत व्यक्ति राजनीतिक सत्ता हथिया ले जाते हैं ; जाति और धर्म के नाम पर वोट हासिल किए जाते हैं और शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे हर मुद्दे पर विफलता के बावजूद सरकार लंबे समय तक अपनी सत्ता बनाए रखती है | प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है लेकिन सच तो यह है कि आज के युग में पत्रकारिता लोकतंत्र की नींव है जिसके खोखला होने पर लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती |
3️⃣ सांस्कृतिक महत्त्व — मानव के सामाजिक तथा आध्यात्मिक विकास से उसकी संस्कृति का निर्माण होता है | संस्कृति ही मानव जाति का आधार स्तंभ है | वह हमेशा समाज को विकास की ओर ले जाती है | पत्रकारिता हमारी संस्कृति के उज्ज्वल पक्षों को बढ़ावा देती है और लोगों में उसके प्रति लगाव उत्पन्न करती है | वस्तुतः पत्र-पत्रिकाएं हमारी सांस्कृतिक धरोहर की रक्षक हैं | नृत्य, नाटक, लोक साहित्य, लोक कला, लोक गीत, तीज-त्योहार व रीति-रिवाज आदि संस्कृति के विभिन्न बिंदु हैं | समाचार पत्र विभिन्न उत्सवों और त्यौहारों का विवरण प्रस्तुत करते हैं और उसके साथ-साथ संस्कृति से संबंधित धार्मिक स्थानों से भी हमें परिचित कराते हैं | संस्कृति व शिक्षा मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा ‘संस्कृति’ नामक पत्रिका प्रकाशित की जाती है जिसका मुख्य कार्य भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति की रक्षा करना है व उसका प्रचार-प्रसार करना है | विभिन्न पत्र-पत्रिकाएं त्योहार विशेषांक भी प्रकाशित करती हैं |
4️⃣ शैक्षणिक महत्त्व — प्राचीन काल से ही मानव जीवन में शिक्षा का एक विशेष महत्व रहा है | शिक्षा के बिना कोई भी समाज सभ्य नहीं बन सकता | किसी भी समाज का विकास उसकी शिक्षा पर निर्भर करता है | अत: शिक्षा-व्यवस्था में समय के साथ बदलाव लाना अनिवार्य है | जब किसी समाज की शिक्षा समय के अनुसार पिछड़ जाती है तो वह समाज दुनिया से पिछड़ जाता है | विभिन्न समाचारपत्र तथा पत्रिकाएं शिक्षा में आई कमियों को उजागर करती हैं | विभिन्न शिक्षा शास्त्री अपने अनुभवों को पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जनता तक लाते हैं | ‘शिक्षक संसार‘, ‘शिक्षण संवाद, ‘शिक्षा सारथी आदि अनेक पत्रिकाएं शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं | इन पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों के आधार पर न केवल शिक्षक अपनी शिक्षण-पद्धति में परिवर्तन लाते हैं बल्कि सरकार भी नई शिक्षा-नीति का निर्माण करने पर विचार करने लगती है |
5️⃣ राष्ट्रीय महत्त्व — पत्रकारिता का राष्ट्रीय महत्व इतना अधिक है कि इसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है | पत्रकारिता किसी भी राष्ट्र के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक व सांस्कृतिक विकास का आधार बनती है | लोकतंत्र की सुरक्षा का कार्य पत्रकारिता ही करती है | पत्रकारिता न केवल नागरिकों को उनके अधिकारों से अवगत कराती है बल्कि उन्हें उनके कर्तव्यों का भी स्मरण दिलाती है | पत्रकारिता सरकार की गलत नीतियों के विरुद्ध आवाज उठाती है और सरकार को निरंकुश होने से रोकती है | भारतेंदु युग और द्विवेदी युग की अनेक पत्र-पत्रिकाओं ने देश में राष्ट्रीयता की भावना का विकास किया | प्रताप, सैनिक, कर्मवीर, नवशक्ति आदि समाचार पत्रों ने राष्ट्रीय जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | स्वतंत्रता के पश्चात पत्रकारिता की भूमिका में बदलाव आया आज पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य सरकार की नीतियों को जनता तक पहुंचाना, सरकार की गलत नीतियों के विरुद्ध आवाज उठाना, जनता की विभिन्न मांगों और आवश्यकताओं को सरकार तक पहुंचाना तथा सरकार द्वारा दी गई सार्वजनिक सुविधाओं का मूल्यांकन करना है |
6️⃣ अंतरराष्ट्रीय महत्त्व — वैज्ञानिक व तकनिकी विकास के कारण आज हमारा संसार सिकुड़ कर बहुत छोटा हो गया है | संचार के साधनों से हम घर बैठे संसार की विभिन्न गतिविधियों को तत्काल जान सकते हैं | दुनिया के किसी भी देश में यदि कोई घटना घटित होती है तो वह लाइव दूरदर्शन द्वारा सारे संसार में पहुंच जाती है | एक देश का घटनाक्रम पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से पूरा संसार जान जाता है | कई बार पत्रकारिता दो देशों के बीच के आपसी संबंधों को निर्धारित करती है | यदि पत्रकारिता के कारण देशों के पारस्परिक संबंध सुदृढ़ बनते हैं तो कई बार पत्रकारिता के कारण आपसी संबंध बिगड़ भी सकते हैं | ऐसी अवस्था में पत्रकारिता का उत्तरदायित्व बढ़ जाता है |
अत: स्पष्ट है कि पत्रकारिता का आज के युग में एक विशेष महत्व है | यह किसी देश के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक विकास के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है |
यह भी देखें
हिंदी पत्रकारिता का उद्भव एवं विकास ( Hindi Patrakarita Ka Udbhav Evam Vikas )
पत्रकारिता के प्रकार / क्षेत्र या आयाम
फीचर का अर्थ, परिभाषा, स्वरूप, विशेषताएँ / गुण
संपादक : गुण व दायित्व ( Sampadak : Gun V Dayitv )
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शीर्षक-लेखन का महत्त्व एवं विशेषताएँ