18वीं सदी के आरंभ में यूरोप में औद्योगिक क्रांति का प्रादुर्भाव हुआ | सर्वप्रथम यह क्रांति इंग्लैंड में हुई | तत्पश्चात धीरे-धीरे यूरोप के अन्य देशों में औद्योगिक क्रांति हुई | औद्योगिक क्रांति के कारणों व प्रभावों का विस्तृत वर्णन करने से पूर्व औद्योगिक क्रांति के अर्थ को जानना नितांत प्रासंगिक होगा |
औद्योगिक क्रांति का अर्थ ( Audyogik Kranti Ka Arth )
18वीं सदी से पूर्व मनुष्य पुराने ढंग से उत्पादन करता था | सारा कार्य हाथों से किया जाता था | अतः उत्पादन बहुत कम होता था | परंतु कालांतर में वैज्ञानिक आविष्कारों ने मशीनी युग को जन्म दिया | अब घरेलू पद्धति के स्थान पर कारखाना पद्धति आरंभ हो गई जिससे उत्पादन बहुत अधिक बढ़ गया | इस नई प्रक्रिया को ही औद्योगिक क्रांति कहते हैं |
औद्योगिक क्रांति के कारण ( Audyogik Kranti Ke Karan )
औद्योगिक क्रांति का उदय सबसे पहले इंग्लैंड में हुआ | इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के निम्नलिखित कारण थे :–
(1) जनसंख्या वृद्धि
इंग्लैंड की जनसंख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही थी | अतः वस्तुओं की मांग भी तेजी से बढ़ती जा रही थी | इस मांग को पूरा करने के लिए औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास किए जाने लगे |
(2) उपनिवेशों की स्थापना
अंग्रेजों ने अपने कई उपनिवेश स्थापित कर लिए थे | इन उपनिवेशों में भी वस्तुओं की मांग बढ़ती जा रही थी | इसके अतिरिक्त इन उपनिवेशों से कच्चा माल भी सस्ती दरों पर प्राप्त किया जा सकता था | यह सभी कारण औद्योगिक क्रांति में सहायक सिद्ध हुए |
(3) कच्चे माल की सुलभता
अंग्रेजों का साम्राज्य काफी विस्तृत था | अंग्रेज अपने अधीन देशों में अपना माल भेज भी सकते थे तथा वहां से कच्चा माल ले भी सकते थे | कच्चे माल की सुलभता के कारण औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में हुई |
(4) समृद्धि
इंग्लैंड एक समृद्ध देश था | प्रधानमंत्री वालपोल की नीतियों के कारण इंग्लैंड और अधिक समृद्ध हो गया था | यहाँ के धनी लोग उद्योगों में धन लगा सकते थे | यहां के धनी लोग केवल इंग्लैंड में ही नहीं बल्कि इंग्लैंड के उपनिवेशों में भी निवेश करने के लिए तैयार थे |
(5) बैंकों की अधिकता
इंग्लैंड में बैंकिंग प्रणाली सफलतापूर्वक कार्य कर रही थी | इंग्लैंड में अनेक बैंक थे | धन के लेन-देन में बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका थी | बैंकिंग प्रणाली ने औद्योगिक क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया |
(6) शांति का वातावरण
इंग्लैंड में शांति का वातावरण था | प्रधानमंत्री वालपोल ने इंग्लैंड को युद्धों से दूर रखा | शांति के वातावरण में लोग उद्योगों और व्यापार पर ध्यान केंद्रित करने लगे |
(7) अनुकूल जलवायु
इंग्लैंड का बहुत सा भाग समुद्र के निकट है | अतः यहां की जलवायु आर्द्र है | यह जलवायु कपड़ा उद्योग के लिए आदर्श है | यही कारण है कि सूती वस्त्र उद्योग सर्वप्रथम इंग्लैंड में ही विकसित हुआ |
(8) लोहे एवं कोयले की उपलब्धता
लोहा और कोयला औद्योगिकरण का आधार है | इंग्लैंड में लोहे एवं कोयले की पर्याप्त खानें हैं | यह खानें एक दूसरे के समीप भी हैं | लोहे और कोयले की खानों की बहुलता और पारस्परिक निकटता इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति लाने में सहायक सिद्ध हुई |
(9) विदेशी व्यापार का विस्तार
मध्यकाल में अनेक भौगोलिक खोजें हुई | इससे एशिया, यूरोप अफ्रीका व अमेरिका के आपसी संबंध बन गए | विदेशी व्यापार का विस्तार होने लगा व नई मंडियों की खोज हुई | इससे औद्योगिक क्रांति को बल मिला |
(10) समुद्री बेड़ा
अंग्रेजों के पास शक्तिशाली समुद्री बेड़ा था | इससे माल को लाने तथा भेजने में काफी सुविधा मिली | उनके पास उत्तम बंदरगाहें भी थी | इससे अंग्रेजों का विदेशी व्यापार विकसित हो गया | यही कारण है कि इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति सबसे पहले हुई |
(11) नवीन आविष्कार
इंग्लैंड में विचारों की स्वतंत्रता थी | सरकार की तरफ से कोई प्रतिबंध नहीं था | यही कारण है कि इंग्लैंड में नए-नए आविष्कार हुए | यह आविष्कार औद्योगिक क्रांति का मूल कारण बने |
औद्योगिक क्रांति का विकास या प्रगति ( Audyogik Kranti Ka Vikas Ya Pragati )
निम्नलिखित आविष्कार धीरे-धीरे औद्योगिक क्रांति की प्रगति के कारक बने : —
(1) फ्लाइंग शटल
फ्लाइंग शटल का आविष्कार 1773 ईस्वी में जॉन के ने किया | अब कपड़ा शीघ्रता से गुना जाने लगा | कपड़े की चौड़ाई भी पहले से दोगुनी हो गई | इस अविष्कार ने सूती कपड़ा उद्योग में क्रांति ला दी |
(2) स्पिनिंग जेनी
स्पिनिंग जेनी का आविष्कार 1765 ईस्वी में जेम्स हरग्रीव्स ने किया | इस मशीन में आठ तकलियां लगी थी | इस प्रकार सूत तेजी से काता जाने लगा | यह मशीन आठ मजदूरों के बराबर काम करती थी | इस मशीन के आविष्कार से उत्पादन में तेजी आ गई |
(3) वाटर फ्रेम
वाटर फ्रेम का आविष्कार 1769 ईस्वी में आर्कराइट ने किया | यह मशीन जल शक्ति से चलती थी | यह मशीन घरों में नहीं चलाई जा सकती थी | इससे कारखाना पद्धति की शुरुआत हुई | इस मशीन से बुना कपड़ा अपेक्षाकृत रूप से अधिक मजबूत होता था |
(4) म्यूल
म्यूल का आविष्कार 1779 इसी में सैमुअल क्रॉन्पटन ने किया | इस मशीन में स्पिनिंग जेनी और वाटर फ्रेम दोनों के गुण विद्यमान थे | यह मशीन भी जल शक्ति से चलती थी | इसमें कई धागे एक साथ काते जा सकते थे |
(5) पावर लूम
पावर लूम का आविष्कार 1785 ईस्वी में कार्टराइट ने किया | यह मशीन भाप की शक्ति से चलाई जाती थी | इससे कपड़ा तेजी से बुना जाने लगा |
(6) कॉटन जिन
कॉटन जिन का आविष्कार 1793 ईस्वी में अमेरिका के व्हिटनी ने किया | इस मशीन के द्वारा बिनौले कपास से अलग किए जाते थे |
(7) भाप इंजन
भाप इंजन का आविष्कार औद्योगिक क्रांति का सबसे बड़ा कारण बना | भाप इंजन का आविष्कार सर्वप्रथम न्यूकॉमन ने किया | बाद में जेम्स वाट ने इसकी दक्षता में सुधार करके इसे कारखानों में प्रयोग करने के लिए उपयोगी बना दिया | वास्तव में औद्योगिक क्रांति का आरंभ भाप इंजन के आविष्कार के बाद ही हुआ |
(8) लोहे व कोयले के उद्योग में क्रांति
लोहे और कोयले के उद्योग ने जोर पकड़ लिया | बड़े पैमाने पर खनन होने लगा | नई खानों की खोज होने लगी | लकड़ी का स्थान कोयले ने ले लिया | लोहे की मशीनें बनने लगी | हैंफ्री डेवी ने सेफ्टी लैंप का आविष्कार किया | इससे मजदूरों के लिए खानों में काम करना आसान हो गया |
(9) सड़कों का निर्माण
आरंभ में सड़कें कच्ची थी | बाद में पक्की सड़कें बनने लगी लेकिन उन सड़कों की दशा भी अच्छी नहीं थी | माल की ढुलाई में कठिनाई आती थी | 18वीं सदी में स्कॉटलैंड के एक इंजीनियर ने सड़कें बनाने के लिए पत्थरों का प्रयोग किया | बाद में टेलफॉर्ड और मैटकॉफ ने सड़क निर्माण में क्रांतिकारी परिवर्तन किए | इनके द्वारा बनाई गई सड़कों ने यातायात एवं परिवहन बहुत सुगम बना दिया |
(10) नहरों का निर्माण
18वीं सदी में नहरों का निर्माण होने लगा | इंग्लैंड में पहली नहर ब्रिंडले नामक इंजीनियर की देखरेख में बनी | बाद में अनेक नहरों का निर्माण हुआ |
औद्योगिक क्रांति के प्रभाव या परिणाम ( Audyogik Kranti Ke Prabhav Ya Parinaam )
औद्योगिक क्रांति के अनेक आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक प्रभाव पड़े जिनमें से कुछ प्रभावों का वर्णन निम्नलिखित है : —
(1) औद्योगिक क्रांति के कारण इंग्लैंड व अन्य औद्योगिक राष्ट्रों की राष्ट्रीय आय में वृद्धि हुई |
(2) कुटीर उद्योगों का अंत हो गया | लघु व कुटीर उद्योगों का स्थान बड़े-बड़े उद्योगों ने ले लिया जिनमें से कुछ की शाखाएँ विदेशों तक फैलने लगी |
(3) औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप माल सस्ता व बहुतायत में हो गया |
(4) अनेक शहर औद्योगिक शहरों के रूप में विकसित हो गए | औद्योगिक क्रांति के कारण मैनचेस्टर, लंकाशायर, बर्मिंघम जैसे औद्योगिक नगरों का उदय हुआ |
(5) औद्योगिक कंपनियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई | प्रतिस्पर्धा के कारण सामान की गुणवत्ता में सुधार हुआ |
(6) घरेलू उद्योग बंद हो गए और बड़े उद्योगों में मशीनरी के प्रयोग के कारण कम मजदूरों की आवश्यकता थी जिससे बेरोजगारी फैल गई |
(7) औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप समाज में दो वर्गों का उदय हुआ – पूंजीपति वर्ग तथा मजदूर वर्ग | पूंजीपति वर्ग के हाथ में उत्पादन के सभी साधन आ गए | मजदूर अपना श्रम बेचने लगे |
(8) औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप भूमिहीन मजदूरों की संख्या बढ़ गई| ये मजदूर कारखानों में काम करने लगे |
(9) छोटे बच्चों तथा स्त्रियों से भी कारखानों में काम लिया जाने लगा जिनमें से कुछ ऐसे कारखाने भी थे जो सेहत के लिए बहुत अधिक हानिकारक थे |
(10) मजदूरों की हालत दयनीय बन गई | उन्हें ऐसे वातावरण में काम करना पड़ता था जो स्वास्थ्य के प्रतिकूल था | वे अनेक बीमारियों का शिकार होने लगे |
(11) मजदूरों की दशा सुधारने के लिए फैक्ट्री एक्ट लाए गए जिनके द्वारा मजदूरों के काम के घंटे निर्धारित किए गए और उनका न्यूनतम वेतन भी निर्धारित किया गया लेकिन इसके पश्चात भी पूंजीपति लोग मजदूरों का शोषण करते रहे |
(12) औद्योगिक क्रांति का सबसे भयानक परिणाम यह पड़ा कि विभिन्न औद्योगिक देशों में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई | कच्चे माल की प्राप्ति के लिए तथा तैयार माल को बेचने के लिए वे उपनिवेशों की स्थापना करने लगे | साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद के कारण औद्योगिक देशों के बीच शत्रुता बढ़ने लगी जो बाद में संपूर्ण विश्व के लिए घातक सिद्ध हुई |
अतः स्पष्ट है कि औद्योगिक क्रांति के अच्छे व बुरे दोनों प्रभाव पड़े | वस्तुतः औद्योगिक क्रांति ने एक नए युग का सूत्रपात किया |
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