केंद्रीयकरण एवं विकेंद्रीकरण : अर्थ, परिभाषा, स्वरूप व गुण-दोष )

संगठन के संबंध में कई समस्याएं हैं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण समस्या यह है कि प्रशासकीय संगठन को केंद्रीयकृत रखा जाए या विकेंद्रीकृत | किसी संगठन के प्रशासन में शक्तियों का केंद्रीयकरण एवं विकेंद्रीकरण उस संगठन के स्वरूप को निर्धारित करता है |

प्रशासन की समस्त शक्तियां पद सोपान की विभिन्न श्रेणियों से होती हुई अगर एक स्थान पर केंद्रित हो जाती है तो इसे केंद्रीयकरण कहते हैं और जब प्रशासन की शक्तियाँ विभिन्न शाखाओं में विकेंद्रित हो जाती है तो इसे हम विकेंद्रीयकरण कहते हैं |

विषय की स्पष्टता हेतु और केंद्रीयकरण एवं विकेंद्रीकरण के अंतर को जानने के लिए दोनों के विभिन्न पहलुओं पर विचार करना लाभप्रद होगा | इसलिए सर्वप्रथम केंद्रीयकरण एवं विकेंद्रीकरण के अर्थ व परिभाषा को जानना आवश्यक है |

केंद्रीयकरण का अर्थ एवं परिभाषा

जब निम्न स्तर के अधीनस्थ कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी अपने सभी कार्यों के लिए उच्च अधिकारियों से आदेश प्राप्त करना आवश्यक मानते हों तो ऐसी पद्धति को केंद्रीयकृत पद्धति कहते हैं |

विलोबी के अनुसार — “अत्यधिक केंद्रीयकृत व्यवस्था में स्थानीय इकाइयाँ केवल कार्यवाहक अभिकरण के रूप में कार्य करती हैं ; उन्हें अपनी तरफ से कोई कार्य करने की शक्ति प्राप्त नहीं होती | प्रत्येक कार्य केंद्रीय कार्यालय की ओर से किया जाता है |”

विकेंद्रीकरण का अर्थ एवं परिभाषा

जिस शासकीय व्यवस्था में निम्न स्तरीय संस्थाओं या अधिकारियों को अपने विवेक से कार्य करने की शक्ति दी जाती है, उसे विकेंद्रीकृत व्यवस्था कहते हैं |

हौज एन्ड जॉनसन के अनुसार — ” विकेंद्रीयकरण संगठन की वह स्थिति है जहाँ पर्याप्त मात्रा में सत्ता एवं उत्तरदायित्व प्रत्यायोजित रहते हैं |”

इस प्रकार विकेंद्रीयकरण व्यवस्था तब होती है जब निम्न स्तर के कर्मचारियों को इस बात की छूट होती है कि वह केंद्रीय कार्यालय को सूचित किए बिना अपने विवेक से ही अनेक मामलों में स्वयं निर्णय ले सकते हैं |

केंद्रीयकरण व्यवस्था / केंद्रीकृत व्यवस्था के गुण / लाभ

केंद्रीयकरण व्यवस्था के कुछ गुण / लाभ निम्नलिखित हैं —

(1) प्रभावशाली नियंत्रण

केंद्रीयकृत प्रशासनिक व्यवस्था में प्रभावशाली नियंत्रण बना रहता है | सभी अधीनस्थ कर्मचारी व कार्यालय केंद्रीय कार्यालय के नियंत्रण में रहते हैं और उसकी आज्ञाओं को मानने के लिए बाध्य होते हैं जिससे कार्य प्रणाली चुस्त-दुरुस्त बनी रहती है |

(2) प्रशासन में एकरूपता

केंद्रीयकृत व्यवस्था में सभी मामलों में एकरूपता बनी रहती है | किसी भी मामले में सभी निर्णय केंद्रीय कार्यालय के द्वारा लिए जाते हैं | इससे पक्षपात का भय नहीं रहता |

(3) शीघ्र निर्णय

केंद्रीयकरण व्यवस्था में किसी भी मामले में निर्णय शीघ्र लिए जा सकते हैं क्योंकि सभी निर्णय केंद्रीय कार्यालय के द्वारा लिए जाते हैं | किसी भी मामले में सारी सूचना केंद्रीय कार्यालय के पास होती है ; अतः वह तुरंत निर्णय ले सकता है | परंतु यदि विकेंद्रीयकरण व्यवस्था हो तो सूचनाएं एक लंबी प्रक्रिया के द्वारा नीचे से ऊपर की तरफ जाती हैं जिससे निर्णय में देरी लग जाती है | अतः केंद्रीयकृत व्यवस्था समय की बचत करती है | इससे धन की बचत भी होती है |

(4) प्रशासन में मितव्ययिता

केंद्रीयकृत व्यवस्था में प्रशासन में मितव्ययिता बनी रहती है | इसका कारण यह है कि इस व्यवस्था में सभी साधन एक साथ जुटाए जा सकते हैं | माल की खरीद बड़े पैमाने पर की जा सकती है | यात्रा भत्ता तथा अन्य मदों पर खर्च कम आता है | काम जल्दी निपट जाते हैं | परिणामस्वरूप धन की बचत होती है |

(5) अंतर्विरोध नहीं

केंद्रीयकृत प्रशासनिक व्यवस्था का एक बड़ा गुण यह है कि इसमें किसी प्रकार का कोई संघर्ष या विरोध पैदा नहीं होता | अतः बनाई गई योजना के सफल क्रियान्वयन की संभावना बढ़ जाती है |

(6) राष्ट्रहित

केंद्रीयकृत प्रशासनिक व्यवस्था में राष्ट्रहित सर्वोपरि होता है | इस व्यवस्था में स्थानीय राजनीति प्रशासन पर हावी नहीं होती | अतः प्रशासन पक्षपात रहित व भ्रष्टाचार मुक्त रहता है |

केंद्रीयकृत व्यवस्था / केंद्रीयकरण व्यवस्था के अवगुण / दोष

यह सही है कि केंद्रीयकृत व्यवस्था के अनेक लाभ हैं परंतु अनेक विद्वान इस व्यवस्था को लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के लिए ठीक नहीं मानते | वे केंद्रीयकृत व्यवस्था के अनेक दोष बताते हैं जिनमें से कुछ का वर्णन इस प्रकार है —

(1) अलोकतान्त्रिक सिद्धांत

लोकतंत्र का सिद्धांत है – जनता का, जनता के लिए, जनता के द्वारा शासन | जब तक शासन को विकेंद्रीकृत नहीं किया जाएगा तब तक शासन की पहुंच जनता तक नहीं होगी | अतः केंद्रीयकृत प्रशासनिक व्यवस्था लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रतिकूल है |

(2) कार्य का अधिक बोझ

केंद्रीयकृत शासन व्यवस्था में कर्मचारियों पर काम का अधिक बोझ रहता है | वह इतना बोझ वहन नहीं कर पाते | परिणामस्वरूप काम कम होता है या उसमें त्रुटियों की संभावना बन जाती है |

(3) तानाशाही प्रवृत्ति को बल

केंद्रीयकृत शासन व्यवस्था में तानाशाही प्रवृत्ति को बल मिलता है | क्षेत्रीय संस्थान व कार्यालय का विकास रुक जाता है |

(4) हानिकारक निर्णयों की संभावना

केंद्रीयकृत शासन व्यवस्था में क्षेत्रीय आवश्यकताओं की उपेक्षा की जाती है | ऐसी स्थिति में लिए गए निर्णय कई बार बहुत अधिक हानिकारक सिद्ध होते हैं |

(5) कुशलता का अभाव

केंद्रीयकृत शासन व्यवस्था में अधीनस्थ कर्मचारी स्वविवेक का प्रयोग नहीं कर पाते | अतः उनकी कार्य कुशलता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है |

(6) कार्यों में विलंब

केंद्रीयकृत व्यवस्था में अधीनस्थ कर्मचारी कोई भी कार्य स्वविवेक से नहीं कर सकते | सभी कार्यों को प्रधान कार्यालय के आदेशों के अनुसार किया जाता है | कई बार प्रधान कार्यालय से आदेशों के आने में समय लगता है | अतः यह एक लंबी प्रक्रिया बन जाती है | परिणामस्वरूप कार्य विलंब से पूरे होते हैं |

विकेंद्रीयकरण व्यवस्था के गुण / लाभ

विकेंद्रीकृत व्यवस्था के कुछ गुण / लाभ निम्नलिखित हैं —

(1) लोकप्रिय पद्धति

विकेंद्रीयकृत शासन प्रणाली लोकप्रिय प्रणाली है क्योंकि इस शासन पद्धति में जनता का सक्रिय सहयोग बना रहता है | यह पद्धति लोकतंत्र के सिद्धांत के अनुकूल है |

(2) शीघ्र निर्णय

विकेंद्रीकृत शासन प्रणाली में स्थानीय अधिकारी को उच्च अधिकारियों से अनुमति लेनी नहीं पड़ती | अतः कार्य जल्दी संपन्न हो जाते हैं |

(3) प्रशासन में लचीलापन

विकेंद्रीकृत शासन व्यवस्था में स्थानीय कर्मचारियों को अनेक मामलों में स्वविवेक के आधार पर निर्णय लेने की छूट होती है | अतः प्रशासन में लचीलापन बना रहता है |

(4) लाल फीताशाही का अभाव

विकेंद्रीकृत शासन व्यवस्था में शक्तियां विकेंद्रित हो जाती हैं | इससे लाल फीताशाही तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता है |

(5 ) कार्य कुशलता में वृद्धि

इस व्यवस्था में किसी एक अधिकारी के पास कार्यों का ढेर नहीं होता | अतः कार्य पूरा करने में कोई दिक्कत नहीं होती | कार्य जल्दी तथा सही होता है | फलत: प्रशासन में कार्य कुशलता में वृद्धि होती है |

(6) अच्छे निर्णयों की संभावना

विकेंद्रीकृत व्यवस्था में अनेक निर्णय स्थानीय अधिकारी लेते हैं | स्थानीय अधिकारी स्थानीय परिस्थितियों से भली-भांति परिचित होते हैं | परिणामस्वरूप अच्छे निर्णयों की संभावना बढ़ जाती है |

विकेंद्रीकरण व्यवस्था के अवगुण / दोष

विकेंद्रीकृत व्यवस्था में कुछ अवगुण / दोष भी हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है —

(1) एकरूपता का अभाव

विकेंद्रीकृत शासन व्यवस्था में एकरूपता नहीं होती क्योंकि स्थानीय अधिकारी आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन कर लेता है | यह इस व्यवस्था का एक बड़ा दोष है |

(2) अपव्यय

विकेंद्रीयकरण प्रणाली में अधिक कर्मचारियों तथा अधिक संसाधनों की आवश्यकता होती है | किसी कार्य को पूरा करने में समय भी अधिक लगता है | अतः अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़ता है |

(3) राष्ट्रहित की अवहेलना

विकेंद्रीयकृत शासन व्यवस्था में स्थानीय अधिकारी स्थानीय समस्याओं को हल करने पर बल देता है | ऐसा करते हुए कई बार उसकी दृष्टि संकीर्ण हो जाती है और वह राष्ट्रहित की अवहेलना कर सकता है |

(4) केंद्रीय नियंत्रण का अभाव

विकेंद्रीकृत शासन प्रणाली में केंद्रीय नियंत्रण का अभाव बना रहता है | फलत: स्थानीय अधिकारी निरंकुश व स्वेच्छाचारी हो सकते हैं |

(5) स्थानीय राजनीति का कुप्रभाव

विकेंद्रीयकृत शासन व्यवस्था में स्थानीय अधिकारियों पर स्थानीय राजनीति का दुष्प्रभाव बढ़ जाता है | इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है और साथ ही पक्षपात की संभावना भी बढ़ जाती है |

(6) समन्वय का अभाव

विकेंद्रीकृत शासन प्रणाली में समन्वय का अभाव बना रहता है | क्योंकि कार्यालयों को जोड़ने वाला कोई उच्च अधिकारी नहीं होता |

निष्कर्ष

केंद्रीयकरण प्रशासन पद्धति व विकेंद्रीयकरण प्रशासन पद्धति के गुण-दोषों का तुलनात्मक अध्ययन करने के पश्चात यह कहा जा सकता है कि हर बात इन बिंदु ओं पर निर्भर करती है कि कैसा काम करना है और किस प्रकार की परिस्थितियों में करना है | हर काम के लिए हर परिस्थिति में एक ही प्रकार की व्यवस्था नहीं अपनाई जा सकती | अतः केंद्रीयकरण प्रणाली व विकेंद्रीकरण प्रणाली दोनों ही प्रणालियां परिस्थितियों के अनुसार समान रूप से उपयोगी हैं |

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