प्रशिक्षण का अर्थ है – किसी विशेष कला या व्यवसाय में निर्देश या अनुशासन | सामान्य शब्दों में जब किसी अधिकारी के कौशल में वृद्धि करने के लिए कुछ निर्देश दिए जाते हैं तो उसे प्रशिक्षण कहते हैं |
ग्लैडन के अनुसार — “किसी व्यक्ति के कौशल, शक्ति या बुद्धि में वृद्धि तथा उसके विचारों को एक निश्चित दिशा में विकसित करने के प्रयासों को प्रशिक्षण कहते हैं |”
इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रशिक्षण का अर्थ कर्मचारियों की कार्य कुशलता में वृद्धि करने से है | प्रशिक्षण के माध्यम से कर्मचारियों को उनके समक्ष आने वाली समस्याओं का निराकरण करने की सूझबूझ को विकसित किया जाता है |
प्रशिक्षण के उद्देश्य या महत्त्व ( Prashikshan Ke Uddeshya Ya Mahatva )
प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को कार्यकुशल, निपुण तथा कर्तव्यनिष्ठ बनाना है | प्रशिक्षण के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं —
(1) कार्यकुशलता में वृद्धि
(2) उत्तरदायित्व का विकास
(3) कार्य करने की कला का ज्ञान
(4) वैज्ञानिक कौशल में वृद्धि
(5) मनोबल में वृद्धि
(6) स्वतंत्र निर्णय क्षमता का विकास
(7) नई समस्याओं से जूझने की क्षमता का विकास
(8) दृष्टिकोण व्यापक बनाना
(9) नवीनतम ज्ञान व कौशल का विकास
अतः स्पष्ट है कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य लोक सेवकों को प्रशासन की विभिन्न बारीकियों से अवगत कराना है ताकि प्रशासन सुचारू रूप से चलाया जा सके | वस्तुतः प्रशिक्षण सैद्धांतिक ज्ञान को व्यवहारिक ज्ञान में परिवर्तित करता है | प्रशिक्षण कर्मचारी की मानसिकता को वांछनीय आवश्यकताओं के अनुरूप बनाता है |
प्रशिक्षण के प्रकार ( Prashikshan Ke Prakar )
डॉo एमo पीo शर्मा ने प्रशिक्षण का वर्गीकरण पांच प्रकार से किया है जो निम्नलिखित हैं —
(1) औपचारिक प्रशिक्षण एवं अनौपचारिक प्रशिक्षण
(2) अल्पकालिक प्रशिक्षण एवं दीर्घकालिक प्रशिक्षण
(3) प्रवेश से पूर्व और प्रवेश के बाद प्रशिक्षण
(4) विभागीय प्रशिक्षण एवं केंद्रीयकृत प्रशिक्षण
(5) पृष्ठभूमि प्रशिक्षण एवं कार्यकुशलता प्रशिक्षण
निष्कर्षत: हम कह सकते हैं कि प्रशिक्षित लोकसेवक ही अपने कर्तव्यों को उचित प्रकार से निभा सकते हैं | नए प्रवेशियों तथा सेवारत कर्मचारियों दोनों के लिए प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है | प्रशिक्षण के अनेक प्रकार हैं और सभी का अपना-अपना महत्व है परंतु कुछ प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से आवश्यक हैं तो कुछ परिस्थितियों के अनुसार |
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