लोक प्रशासन एक विशिष्ट शैक्षिक क्षेत्र है | कोई भी योजना तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक कि उसके प्रशासकीय पहलुओं को पूरी तरह समझ न दिया जाए | अतः किसी देश का विकास उसके लोक प्रशासन पर निर्भर करता है | यदि लोक प्रशासन की व्यवस्था भंग हो जाए तो समाज का संपूर्ण ढांचा ही अस्त-व्यस्त हो जाए | यही कारण है कि लोक प्रशासन की भूमिका शासन-व्यवस्था का केंद्र बनती जा रही है | लोक प्रशासन का अर्थ जानने से पूर्व प्रशासन के अर्थ को जान लेना अति आवश्यक है |
‘प्रशासन’ शब्द का अर्थ
‘प्रशासन‘ को अंग्रेजी भाषा में एडमिनिस्ट्रेशन ( Administration ) कहते हैं | ‘एडमिनिस्ट्रेशन‘ शब्द लैटिन भाषा के Ad + Minestrar शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है – लोगों की देखभाल करना या एक व्यक्ति द्वारा दूसरे की सेवा करना |
इस आधार पर किसी कार्य को करने के लिए लोगों का आपसी सहयोग प्रशासन कहलाता है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि सड़क पर खड़े होकर बसों को जलाना या उन पर पत्थर फेंकना भी प्रशासन है | अतः हम कह सकते हैं कि प्रशासन का अर्थ मानव मात्र के सामूहिक क्रियाकलाप का उचित समायोजन है |
‘प्रशासन’ की परिभाषाएँ
विभिन्न विद्वानों ने प्रशासन की भिन्न-भिन्न परिभाषाएं दी हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं —
नीग्रो के अनुसार — “प्रशासन लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मनुष्य तथा सामग्री दोनों का संगठन है |”
प्रोफेसर एलo डीo वहाइट के अनुसार — “किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए बहुत से मनुष्यों का निर्देशन, समन्वय तथा नियंत्रण ही प्रशासन है |”
इस प्रकार सामान्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किए जाने वाला कार्य ही प्रशासन है | यह प्रशासन सरकारी भी हो सकता है और निजी भी | जब इसका संबंध घर-गृहस्थी, क्लब, निगम आदि के कार्यों से होता है तो इसे निजी प्रशासन कहते हैं लेकिन जब इसका संबंध राज्य की गतिविधियों से होता है तब यह लोक प्रशासन कहलाता है |
लोक प्रशासन की अवधारणा ( Lok Prashasan Ki Avdharana )
‘लोक प्रशासन‘ शब्द ‘लोक’ और ‘प्रशासन‘ शब्दों से मिलकर बना है | अतः ‘लोक‘ और ‘प्रशासन‘ दोनों शब्दों के अर्थ को अलग-अलग समझना होगा तभी लोक प्रशासन के अर्थ को समझा जा सकेगा | प्रशासन के अर्थ को हम ऊपर के अनुच्छेद में जान चुके हैं | ‘लोक‘ शब्द सार्वजनिकता का सूचक है तथा यह आम आदमी के लिए प्रशासन का द्वार खोलता है अर्थात जो प्रशासन आम लोगों के लिए हो वह लोक प्रशासन है | प्रशासन व्यक्तिगत और सार्वजनिक दोनों प्रकार का हो सकता है परंतु लोक प्रशासन कभी भी व्यक्तिगत नहीं हो सकता | अतः साधारण शब्दों में सरकारी कार्यों के प्रशासन को लोक प्रशासन कहा जाता है |
लोक प्रशासन के दो अर्थ : संकुचित एवं व्यापक
लोक प्रशासन के दो अर्थ प्रचलित हैं – संकुचित अर्थ एवं व्यापक अर्थ | लोक प्रशासन के संकुचित अर्थ के अनुसार लोक प्रशासन का संबंध केवल कार्यपालिका तक सीमित है | दूसरी ओर लोक प्रशासन के व्यापक अर्थ के अनुसार लोक प्रशासन का संबंध सरकार के तीनों अंगों – विधानपालिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका से है | अधिकांश विद्वानों का मानना है कि प्रशासन की समस्याएं तीनों अंगों से संबंधित हैं | इसलिए लोक प्रशासन का संबंध तीनों अंगों से होना चाहिए |
लोक प्रशासन की परिभाषा ( Lok Prashasan Ki Paribhasha ) को स्पष्ट करते हुए विलोबी ने कहा है —
“लोक प्रशासन उस कार्य का प्रतीक है जो सरकारी कार्यों के वास्तविक संपादन से संबंधित है |”
अतः हम कह सकते हैं कि लोक प्रशासन सार्वजनिक हित की प्राप्ति के लिए मनुष्य तथा अन्य भौतिक साधनों का संगठित प्रयास है | लोक प्रशासन का संबंध उन कार्यों से है जो सरकार द्वारा मनुष्य के विकास तथा कल्याण के लिए किए जाते हैं |
लोक प्रशासन की विशेषताएँ या लक्षण ( Lok Prashasan Ki Visheshtaen Ya Lakshan )
उपर्युक्त वर्णित लोक प्रशासन के अर्थ एवं परिभाषाओं के आधार पर लोक प्रशासन की कुछ विशेषताओं को निम्नलिखित बिंदुओं के रूप में दर्शाया जा सकता है —
(1) लोक प्रशासन का संबंध है सार्वजनिक समस्याओं से है |
(2) लोक प्रशासन सार्वजनिक हित की प्राप्ति के लिए मनुष्य तथा अन्य भौतिक साधनों का संगठित प्रयास है |
(3) लोक प्रशासन का उद्देश्य निश्चित नियमों के अनुसार सरकारी कार्यों का निर्देशन तथा संचालन करना है |
(4) लोक प्रशासन का संबंध सरकार की नीतियों को लागू करने से है |
(5) लोक प्रशासन का संबंध सरकारी कार्यों से है |
(6) लोक प्रशासन का उद्देश्य लोकहित है |
निष्कर्षत: कहा जा सकता है कि लोक प्रशासन का संबंध सरकार के उन कार्यों से है जो जनहित के लिए किए जाते हैं |
लोक प्रशासन की प्रकृति या स्वरूप ( Lok Prashasan Ki Prakriti Ya Swaroop )
लोक प्रशासन की प्रकृति को जानने के लिए इसके अर्थ, परिभाषा, विशेषताओं को जानने के पश्चात लोक प्रशासन की प्रकृति के संबंध में प्रचलित दो दृष्टिकोणों पर विचार करना आवश्यक है | ये दृष्टिकोण है – (क ) एकीकृत दृष्टिकोण तथा (ख ) प्रबंधात्मक दृष्टिकोण |
(क ) लोक प्रशासन का एकीकृत दृष्टिकोण
लोक प्रशासन का एकीकृत दृष्टिकोण एक व्यापक दृष्टिकोण है | इस दृष्टिकोण के समर्थक फिफनर, एफo एमo मार्क्स, विल्सन, डिमॉक आदि हैं | लोक प्रशासन के एकीकृत दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन उन सभी कार्यों से मिलकर बना है जिनका प्रयोजन लोकनीति को पूरा करना या लागू करना होता है |
इस प्रकार एकीकृत दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन का संबंध सरकार के तीनों अंगों – कार्यपालिका, न्यायपालिका तथा विधानपालिका की क्रियाओं से है |
(ख ) लोक प्रशासन का प्रबंधात्मक दृष्टिकोण
लोक प्रशासन का प्रबंधात्मक दृष्टिकोण एक संकुचित दृष्टिकोण है | इस दृष्टिकोण के समर्थक साइमन, लूथर गुलिक, थॉम्पसन आदि हैं | प्रबंधात्मक दृष्टिकोण के अनुसार केवल उन्हीं लोगों के कार्यों को प्रशासन माना जा सकता है जो संगठन में प्रबंधकीय कार्य करते हैं |
उपर्युक्त दोनों दृष्टिकोण पर विचार करने के पश्चात हम कह सकते हैं कि प्रशासन में सभी कार्यों का समावेश होना चाहिए | अतः प्रशासन का एकीकृत दृष्टिकोण अधिक उचित है |
लोक प्रशासन का क्षेत्र ( Lok Prashasan Ka Kshetra )
लोक प्रशासन के क्षेत्र के संबंध में निम्नलिखित चार दृष्टिकोण प्रचलित हैं —
(1 ) पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण
(2) व्यापक दृष्टिकोण
(3) संकुचित दृष्टिकोण
(4) लोक कल्याणकारी दृष्टिकोण
(1 ) पोस्डकोर्ब ( POSDCORB ) दृष्टिकोण
लोक प्रशासन के क्षेत्र के संबंध में लूथर गुलिक ने जो मत प्रतिपादित किया उसे पोस्डकोर्ब कहा जाता है | पोस्डकोर्ब ( POSDCORB ) अंग्रेजी के सात शब्दों के प्रथम अक्षरों को मिलाकर बनाया गया है | यह शब्द निम्नलिखित प्रकार से हैं —
P – Planning ( योजना बनाना )
O – Organising ( संगठन बनाना )
S – Staffing ( कर्मचारियों की व्यवस्था करना )
D – Directing ( निर्देशन करना )
Co – Co-ordination ( समन्वय करना )
R – Reporting ( प्रतिवेदन करना )
B – Budgeting ( बजट तैयार करना )
(क ) P – Planning — प्रत्येक प्रशासकीय कार्य को संपन्न करने से पहले योजना बनाई जाती है | इसमें तय किया जाता है कि किसी कार्य को पूरा करने के लिए किन-किन तरीकों को अपनाया जाएगा |
(ख ) O – Organizing — योजना बनाने के बाद संगठन का निर्माण किया जाता है | इसमें अधिकारी वर्ग का ढांचा तैयार किया जाता है और उनके कार्यों को निर्धारित किया जाता है |
(ग ) S – Staffing — संगठन तैयार करने के पश्चात उसके विभिन्न पदों के लिए उपयुक्त कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है | उनको अपना कार्य करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है |
(घ ) D – Directing — संगठन में उच्च अधिकारी अपने अधीनस्थ अधिकारियों को समय-समय पर निर्देश देते हैं ताकि उद्देश्य को पूरा किया जा सके |
(ङ ) Co-ordination — संगठन में अनेक विभाग और उपविभाग होते हैं | उच्च अधिकारी उन सभी विभागों तथा उपविभागों में तालमेल बैठाता है ; इसे ही समन्वय कहा जाता है |
(च ) R – Reporting — प्रशासकीय प्रक्रिया का एक विशेष अंग रिपोर्ट देना भी है | इसके अंतर्गत कार्य की प्रगति के संबंध में सूचनाएं दी जाती हैं |
(छ ) B – Budgeting — संगठन में किसी कार्य को करने के लिए पहले से ही निर्धारित कर लिया जाता है कि इस पर कितना धन खर्च किया जाना है ; इसे बजट कहा जाता है |
पोस्टकोड ( POSDCoRB ) दृष्टिकोण की त्रुटियां
विद्वानों के अनुसार पोस्टकोड विचारधारा में अनेक त्रुट्टियां भी हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं —
(a ) यह विचारधारा संकुचित है | इससे लोक प्रशासन का अर्थ प्रकट नहीं होता |
(b ) लोक प्रशासन में लोक कल्याण भी समाहित है | परंतु पोस्डकोर्ब विचारधारा में इसका कहीं कोई स्थान नहीं है |
(c ) पोस्डकोर्ब विचारधारा में मानव को महत्व नहीं दिया गया | अतः लोक प्रशासन का वास्तविक तत्व छूट गया |
(2) व्यापक दृष्टिकोण
इस दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन का संबंध सरकार के तीनों अंगों – कार्यपालिका, विधानपालिका एवं न्यायपालिका से है | इस दृष्टिकोण के समर्थक फिफनर, एफo एमo मार्क्स, एलo डीo व्हाइट आदि हैं | इस मत के अनुसार लोक प्रशासन में वे सभी क्रियाकलाप शामिल हैं जिनका उद्देश्य लोकनीति को पूरा करने से है |
(3) संकुचित दृष्टिकोण
इस दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन का संबंध केवल कार्यपालिका से है | इस दृष्टिकोण के समर्थक लूथर गुलिक, साइमन आदि हैं | इसके अंतर्गत मुख्यत: पाँच चरण आते हैं – (क ) सामान्य प्रशासन, (ख ) संगठन, (ग ) कर्मचारी, (घ ) क्रियाविधि और (ङ ) बजट |
(4) लोक कल्याणकारी दृष्टिकोण
लोक प्रशासन के संबंध में एक अन्य दृष्टिकोण है – लोक कल्याणकारी दृष्टिकोण | इसे लोक प्रशासन का आदर्शवादी दृष्टिकोण भी कहा जाता है | प्राचीन समय में राज्य केवल रक्षक की भांति कार्य करता था किंतु अब राज्य मानव जीवन के हर पहलू में हस्तक्षेप करता है | इस प्रकार स्पष्ट है कि लोक प्रशासन का क्षेत्र जनता के हित के लिए किए जाने वाले सभी कार्यों तक फैला हुआ है | यही कारण है कि आज लोक प्रशासन का लोक कल्याणकारी स्वरूप स्वीकार किया जाने लगा है |
उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट हो जाता है कि लोक प्रशासन एक गतिशील एवं विकासशील विषय है | अतः इसे किसी भी सीमा में बांधना आसान नहीं है | आज लोक प्रशासन का महत्व ग्राम पंचायत से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ तक तथा जल, थल से लेकर वायु तक फैला हुआ है | अतः हम कह सकते हैं कि लोक प्रशासन के क्षेत्र और प्रकृति को निश्चित कर पाना संभव नहीं है | संक्षेप में लोक प्रशासन के स्वरूप को कल्याणकारी तथा इसके क्षेत्र को मानव हित के प्रत्येक क्षेत्र से जुड़ा हुआ माना जा सकता है |
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