मानव प्रजातियों का वर्गीकरण

मानव प्रजातियों का वर्गीकरण

प्रजाति का तात्पर्य है वर्तमान मानव की जीव वैज्ञानिक विशेषताओं के आधार पर उसके उस वर्गीकरण से है जिसका प्रत्येक वर्ग वंशानुक्रम के द्वारा शारीरिक लक्षणों में पर्याप्त समानता रखता है | किसी प्रजातीय वर्ग के सभी लोगों के बीच नस्ल या जन्मजात संबंध पाए जाते हैं और उनके द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी उनका वहन किया जाता है |

मानव प्रजातियों का वर्गीकरण

सर्वप्रथम लिनेकस ने विश्व की मानव प्रजातियों का वैज्ञानिक वर्गीकरण किया | मानव प्रजातियों को मुख्यतः तीन वर्गों में बांटा गया है — (क ) काकेशायड प्रजाति, (ख ) मंगोलायड प्रजाति, (ग ) नीग्रोयड प्रजाति |

(क ) काकेशायड प्रजाति

इस प्रजाति के मानव गोरे रंग के होते हैं | यह विश्व के सबसे अधिक विस्तृत क्षेत्रों में पाए जायी वाली प्रजाति है | यह प्रजाति सभी महाद्वीपों में पाई जाती है | विश्व की कुल जनसंख्या की लगभग आधी जनसंख्या इसी प्रजाति के लोगों की है |

इसका मूल स्थान काकेशस पर्वत के दक्षिण भाग हैं | इस प्रजाति की तीन शाखाएं हैं — (1) यूरोपियन शाखा, (2) इंडो-इरानियन शाखा तथा (3) सेमाइट एवं हेमाइट |

(1) यूरोपियन शाखा — काकेशियन प्रजाति की यूरोपियन शाखा विश्व के उन सभी क्षेत्रों में पाई जाती है जहां यूरोपीय उपनिवेश स्थापित हुए थे | इनका मूल स्थान यूरोप है |

(2) इंडो-इरानियन शाखा — काकेशियन प्रजाति की इंडो-इरानियन शाखा ईरान, इराक और पाकिस्तान के क्षेत्र में मिलती है | भारत के पश्चिमोत्तर एवं मध्य भाग में भी यह प्रजाति मिलती है |

(3) सेमाइट एवं हेमाइट — यह मानव प्रजाति उत्तरी और उत्तर पूर्वी अफ्रीका में फैली हुई है | इसके अंतर्गत मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, लीबिया, मिस्र, इथियोपिया, सोमालिया, सऊदी अरब, यमन, जॉर्डन आदि क्षेत्रों की जनसंख्या शामिल की जा सकती है |

(ख ) मंगोलायड प्रजाति

पीले भूरे रंग की मंगोल प्रजाति का मुख्य विस्तार मध्य व पूर्वी एशिया में है | दक्षिण पूर्वी एशिया व इंडोनेशिया में ऑस्ट्रेलॉयड लोगों से संपर्क के कारण इनका रंग हल्का भूरा हो गया है |

मंगोल प्रजाति का विशिष्ट लक्षण इनकी तिरछी आंखें हैं जो भारी पलकों के कारण मुड़ी हुई दिखती हैं | इनके बाल काले, खड़े और विरल होते हैं | इन के चार प्रमुख वर्ग हैं — (1) प्राचीन मंगोलॉयड, (2) आर्कटिक मंगोलॉयड, (3) अमेरिकन इंडियन तथा (4) इंडोनेशियन मलय |

(1) प्राचीन मंगोलॉयड — इस प्रजाति के लोग उत्तरी व मध्य चीन, मंगोलिया तथा तिब्बत में पाए जाते हैं |

(2) आर्केटिक मंगोलॉयड — ये लोग कनाडा, ग्रीनलैंड, अलास्का तथा साइबेरिया के भागों में मिलते हैं | एस्किमो एवं उसी से संबंधित से सेमोयेड्स व युकागीर जैसी अन्य जनजातियां इसी वर्ग के अंतर्गत आती हैं |

(3) अमेरिकन इंडियन — उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका के रेड इंडियन में मंगोलों के शारीरिक लक्षण मिलते हैं | इनमें काकेशियन व नीग्रो का बड़े पैमाने पर मिश्रण हुआ है | इसलिए इनकी आंखें तिरछी नहीं होती | इनकी आंखों का रंग भूरा होता है | ये मेक्सिको से अमेजन के उत्तरी व मध्य घाटी तक फैले हुए हैं |

(4) इंडोनेशियन मलय — इस प्रजाति के लोगों में मंगोलों के साथ-साथ काकेशियन व ऑस्ट्रेलॉयड तत्वों का मिश्रण मिलता है | यह प्रजाति दक्षिण चीन, लाओस, वियतनाम, कंबोडिया, थाईलैंड, म्यांमार, मलाया तथा इंडोनेशिया में पाई जाती है | इनका कद अपेक्षाकृत छोटा होता है और सिर कुछ लंबा होता है |

(ग ) नीग्रोयड प्रजाति

नीग्रो प्रजाति के लोग काले, भूरे तथा कत्थई रंग के होते हैं | इनका मूल स्थान अफ्रीका महाद्वीप है | इन्हें दो शाखाओं में विभाजित किया जा सकता है — (1) अफ्रीकन तथा (2) एशियाई शाखा |

(1) अफ्रीकन शाखा — नीग्रो प्रजाति की अफ्रीकन शाखा सहारा मरुस्थल के दक्षिण भागों में मिलती है | इनके कई उपवर्ग हैं | नाइजीरिया, घाना, आइवरी कोस्ट आदि देशों में वास्तविक नीग्रो पाए जाते हैं |

मध्य अफ्रीका में वनवासी नीग्रो तथा पूर्वी अफ्रीका में अर्द्ध हेमेटी प्रजातियां पाई जाती हैं | कीनिया, युगांडा, तंजानिया में पाई जाने वाली मसाई, बइसो आदि कबीले अर्द्ध हेमेटी प्रकार के हैं |

पिग्मी नीग्रो अफ्रीका के कांगो क्षेत्र में मिलते हैं | इनका कद ठीगना है |

(2) एशियाई शाखा — नीग्रो प्रजाति के अंतर्गत आने वाली एशियाई शाखा में द्रविड़ व ऑस्ट्रेलॉयड प्रजातियां आती हैं | दक्षिण भारत में द्रविड़ प्रजाति तथा दक्षिण पूर्व एशिया में ऑस्ट्रेलॉयड प्रजातियां पाई जाती हैं |

पूर्वी भारत के गोंड तथा उरांव द्रविड़ प्रजाति के हैं जबकि दक्षिण भारत में टोडा, कादर, कुरूँबा आदि जनजातियां ऑस्ट्रेलॉयड प्रजाति में आती हैं |

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