भारत के तटीय मैदान
भारत की तटरेखा लगभग 6,000 किमी. लम्बी है, जो पश्चिम में कच्छ के रन (Rann of Kutch) से पूर्व में गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा तक विस्तृत है। प्रायद्वीपीय पठार की पश्चिमी एवं पूर्वी सीमा तथा भारतीय तटरेखा के बीच स्थित सँकरे मैदान को तटीय मैदान कहते हैं |
पश्चिमी तटरेखा एवं पश्चिमी घाट के बीच स्थित मैदान को पश्चिमी तटीय मैदान तथा पूर्वी तटरेखा एवं पूर्वी घाट के बीच स्थित मैदान को पूर्वी तटीय मैदान कहते हैं।
ये मैदान या तो समुद्र की क्रिया से बने हैं या नदियों द्वारा निक्षेप क्रिया से बने हैं। इन मैदानों में धरातल तथा संरचना संबंधी विभिन्नताएँ स्पष्ट दिखाई देती हैं।
(1) पश्चिमी तटीय मैदान
यह पश्चिमी घाट (सह्यादि) के पश्चिमी में कच्छ की खाड़ी से कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। कुछ भूगोलवेत्ताओं का विचार है कि कच्छ-काठियावाड़ का मैदान तटीय मैदान नहीं है। इस मत के अनुसार पश्चिमी तटीय मैदान वास्तव में सूरत से कन्याकुमारी तक लगभग 1,500 किमी. की दूरी तक विस्तृत है।
पश्चिमी तटीय मैदान एक सँकरा मैदान है और पश्चिमी घाट तथा पश्चिमी तट के बीच इसकी औसत चौड़ाई केवल 64 किमी. है। इसकी चौड़ाई उत्तरी व दक्षिणी भागों में अधिक तथा मध्यवर्ती भाग में कम है।
कहीं-कहीं तो यह 50 किमी. से भी कम चौड़ा है। धरातल व संरचना की दृष्टि से समूचे पश्चिम तटीय मैदान को कई उपविभागों में बांटा जाता है। मुम्बई के उत्तर में कच्छ प्रायद्वीप, काठियावाड़ तथा गुजरात का मैदान है।
इस प्रदेश को मुम्बई से गोवा तक कोंकण, गोवा से मंगलौर तक ‘कर्नाटक का मैदान’ तथा मंगलौर से कन्याकुमारी तक ‘मालाबार का मैदान’ कहते हैं।
कोंकण की लम्बाई 500 किमी. है, जबकि कर्नाटक व मालाबार तट क्रमश: 225 किमी. तथा 500 किमी. लम्बे हैं। यह तट अधिक कटा-फटा है, जिसके कारण यहाँ पर मुम्बई, मंगलौर तथा कोच्चि जैसे बंदरगाह पाए जाते हैं।
इसके तट पर बालू के अनेक टीले तथा लैगून मिलते हैं। कोच्चि बन्दरगाह एक लैगून पर ही स्थित है।
(2) पूर्वी तटीय मैदान
पूर्वी घाट तथा पूर्वी तट के बीच पूर्व तटीय मैदान स्थित है, जो उड़ीसा व पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित स्वर्णरेखा नदी से कन्याकुमारी तक विस्तृत है |
यह पश्चिमी तट की अपेक्षा अधिक चौड़ा है। कुछ स्थानों पर इसकी चौड़ाई 200 किमी. से भी अधिक है, परन्तु कहीं-कहीं इसकी चौड़ाई केवल 32 किमी. रह जाती है।
यह मैदान महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी नदियों के डेल्टाओं द्वारा निर्मित होने के कारण बड़ा उपजाऊ है।
इसे महानदी एवं कृष्णा नदियों के बीच उत्तरी सरकार (Northern Circar) तथा कृष्णा एवं कावेरी नदियों के बीच कोरोमण्डल (Coromandel) कहते हैं।
इस मैदान के तट पर कई लैगून झीलें पाई जाती हैं, जिनमें चिल्का झील तथा पुलीकट झील प्रसिद्ध हैं।
भारतीय द्वीप समूह
भारत में मुख्य स्थल के अतिरिक्त हिन्द महासागर में बहुत से-द्वीप हैं | भारत में कुल 247 द्वीप हैं, जिनमें से 204 द्वीप बंगाल की खाड़ी में तथा शेष 43 द्वीप अरब सागर में हैं |
बंगाल की खाड़ी के द्वीप जलमग्न टर्शियरी पर्वतमाला के ऊपरी भाग हैं, जबकि अरब सागर के द्वीप प्राचीन भू-खंड के अवशिष्ट भाग हैं और प्रवाल भित्तियों द्वारा बने हैं।
(1) बंगाल की खाड़ी के द्वीप
बंगाल की खाड़ी के तट के निकट कई द्वीप हैं। गंगा के डेल्टाई भाग में द्वीपों की संख्या अधिक है। हुगली नदी के सामने 20 किलोमीटर लम्बा गंगासागर नामक द्वीप है।
चौबीस परगना के तट पर अनेक मग्नतटीय द्वीप पाये जाते हैं। हाल ही में यहाँ पर न्यू मूर द्वीप का निर्माण हुआ है।
महानदी-ब्राह्मणी डेल्टा के निकट श्रीहरिकोटा द्वीप 50 किलोमीटर लम्बा है, जहाँ पर भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र है।
तमिलनाडु तथा श्रीलंका के बीच मन्नार की खाड़ी में अनेक छोटे-छोटे प्रवाल द्वीप पाए जाते हैं। तट से दूर अंडमान तथा निकोबार द्वीप-समूह स्थित है जिसमें 220 द्वीप हैं |
अंडमान द्वीप समूह का विस्तार 14° उत्तर से 10° उत्तरी अक्षांश तथा 92° से 93° पूर्वी देशांतरों के बीच है। इस समूह के द्वीप लगभग 300 किलोमीटर लम्बाई में 8,300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं।
ये तीन मुख्य समूहों में बँटे हुए हैं, जिनमें उत्तरी अंडमान, मध्यवर्ती अंडमान तथा दक्षिणी अंडमान सम्मिलित हैं।
यह द्वीप टर्शियरी युग के बलुआ पत्थर, चूना-पत्थर तथा शैल के बने हुए हैं। ये काफी कटे-फटे हैं। अंडमान द्वीप समूह का सर्वोच्च शिखर सैंडल पीक (732 मीटर ) उत्तरी अंडमान द्वीप पर दिग्लीपुर के निकल स्थित है, जबकि निकोबार द्वीप समूह का सर्वोच्च शिखर माउंट थूलियर (642 मीटर ) है।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 222 द्वीप हैं, जिनमें से 204 द्वीप अंडमान द्वीप समूह में और 18 द्वीप निकोबार द्वीप समूह में हैं। इन द्वीपों में से 11 निर्जन हैं। ये प्रवाल भित्तियों से घिरे हुए है। यहाँ पर घने वन उगे हैं।
अंडमान द्वीप-समूह के दक्षिण में निकोबार द्वीप-समूह है। यह 18 द्वीपों का समूह है, जो 6°30′ उत्तर से 9°30′ उत्तरी अक्षांश के बीच स्थित है।
इस द्वीप समूह के उत्तरी भाग को कार निकोबार तथा दक्षिणी भाग को महान निकोबार कहते हैं। इनका क्षेत्रफल क्रमशः 168 वर्ग किलोमीटर तथा 200 वर्ग किलोमीटर है।
इस समूह का सबसे बड़ा द्वीप ‘महान निकोबार (The Great Nicobar) है, जिसका क्षेत्रफल 862 वर्ग किलोमीटर है।
बैरेन द्वीप बंगाल की खाड़ी के अण्डमान सागर में पोर्टब्लेयर से 135 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व में अवस्थित है। यह दक्षिण एशिया का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है। इस ज्वालामुखी से पहला उद्गार 1787 ई. में हुआ था।
श्रीहरिकोटा द्वीप आंध प्रदेश में पुलिकट झील के समीप स्थित है। यह द्वीप पुलिकट झील को बंगाल की खाड़ी से पृथक करता है। यहां भारत का उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र स्थित है जिसका नाम सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र है |
अन्य महत्वपूर्ण द्वीपों का नाम तिलानचोंग, चनूम्ता, कमोरटा, टैरेसा, कचाल, नानकरोड़ी, ट्रिकेंट आदि हैं । पोर्टब्लेयर के उत्तर में स्थित नारकोडम द्वीप है जो एक ज्वालामुखी है।
(2) अरब सागर के द्वीप
अरब सागर में काठियावाड़ के दक्षिणी तथा पूर्वी तटों के निकट कई चट्टानी द्वीप मिलते हैं। यहाँ पर पीरम तथा भौंसल द्वीप प्रमुख हैं। मुम्बई के निकट हैनरे, कैनरे, बुचर, स्वेलीफेंटा तथा अरनाला द्वीप प्रमुख हैं। मंगलौर के उत्तर में भटकल द्वीप है।
चट्टानी द्वीपों के अतिरिक्त काँप बिछे द्वीप भी है। खम्भात की खाड़ी में डयू द्वीप 12 किलोमीटर लम्बा है। कच्छ की खाड़ी में वैद, नोरा, पिरटान तथा करूभार द्वीप हैं ।
नर्मदा तथा तापी नदियों के मुहाने के निकट खड़ियावेट, अलियावेट आदि द्वीप भी काँपयुक्त द्वीप हैं।
केरल तट से कुछ दूरी पर पश्चिम की ओर लक्षद्वीप समूह है। पहले इस द्वीप समूह को लक्षद्वीप, मिनीकाय तथा अमीनदीवी नामों से पुकारा जाता था। ये द्वीप 8° उत्तरी अक्षांश से 11° उत्तरी अक्षांशों के बीच फैले हुए हैं।
ये छोटे-छोटे द्वीप हैं और इनका कुल क्षेत्रफल केवल 32 वर्ग
किलोमीटर है। सबसे बड़ा द्वीप लक्षद्वीप है। यहाँ की राजधानी कवरती इसी द्वीप पर स्थित है। अमीनदीवी एक छोटा-सा द्वीप है। सुदूर दक्षिण में मिनीकाय द्वीप है, जिसका क्षेत्रफल 45 वर्ग किलोमीटर है।
यह भी देखें
भारत के प्राकृतिक प्रदेश : हिमालय पर्वत
भारत के प्राकृतिक प्रदेश : विशाल उत्तरी मैदान
भारत के प्राकृतिक प्रदेश : प्रायद्वीपीय पठार
पवन : अर्थ, उत्पत्ति के कारण व प्रकार
समुद्री संसाधन और प्रवाल भित्तियां
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