कोयले के पश्चात पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस ऊर्जा के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण साधन हैं | यद्यपि विद्युत और ऊर्जा के अन्य गैर परंपरागत साधनों के प्रचलन के कारण कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस जैसे परंपरागत साधनों के प्रयोग में कुछ कमी आई है परंतु अभी भी आने वाले अनेक दशकों तक इनका महत्त्व किसी न किसी रूप में बना रहेगा |
पेट्रोलियम (Petroleum)
भारत में खनिज तेल की खोज: भारत में तेल की प्राप्ति सबसे पहले ऊपरी असम के माकूम क्षेत्र से सन 1867 में हुई, जब यहाँ पर 36 मीटर गहरा कुआँ खोदा गया।
खनिज तेल प्रायः अवसादी चट्टानों में पाया जाता है। भारत में खनिज तेल युक्त अवसादी चट्टानों का विस्तार 17.2 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर है। इसमें से 3.20 लाख वर्ग किमी. महाद्वीपीय मग्नतट है, जो सागर-तल से 200 मीटर की गहराई तक है। शेष उत्तरी तथा तटीय मैदानी भाग में विस्तृत है।
तेल का उत्पादनः यद्यपि भारत में पहला तेल का कुआँ सन 1867 में असम के माकूम क्षेत्र में खोदा गया, परन्तु काफी समय तक तेल के उत्पादन में वृद्धि नहीं हो सकी।
हमारे तेल उत्पादन की स्थिति संतोषजनक नहीं है, क्योंकि तेल की खपत इसके उत्पादन से हमेशा ही अधिक रही है।
भारत में तेल का वितरण
भारत में तेल निम्नलिखित तीन क्षेत्रों में पाया जाता है —
(1) असम के तेल क्षेत्र,
(2) गुजरात के तेल क्षेत्र,
(3) अरब सागर के अपतटीय (Offshore) तेल क्षेत्र
(1) असम के तेल क्षेत्र
असम भारत का सबसे पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है। भारत में सबसे पहले तेल असम के माकूम क्षेत्र से ही प्राप्त हुआ था।
असम के तेल उत्पादक क्षेत्र इस राज्य के उत्तर-पूर्वी किनारों से ब्रह्मपुत्र तथा सुरमा घाटियों के पूर्वी किनारों तक लगभग 320 किमी. लम्बी पेटी में मिलते हैं। यहाँ का तेल डिग्बोई, ननमती, बरौनी तथा बोंगाइगाँव की तेल-शोधनशालाओं में साफ किया जाता है | असम के तेल को बरौनी तक ले जाने के लिए 1167 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन का निर्माण किया गया है |
(2) गुजरात के तेल क्षेत्र
गुजरात राज्य में तेल एवं तिक गैस आयोग के प्रयासों के फलस्वरूप तेल के क्षेत्रों का पता लगाया गया।
इस आयोग द्वारा किए गए सर्वेक्षणों के अनुसार गुजरात के 15,360 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में तेल के भंडार मिलते हैं।
यहाँ तेल की पेटी सूरत से लेकर अमरेली (राजकोट) तक फैली हुई है।
कच्छ, बड़ोदरा, भरूच, सूरत, खेड़ा, मेहसाणा आदि प्रमुख उत्पादक जिले है। इन जिलों में नवगाम, कलोल, बलोल कोसम्बा, सानन्द, सन्थील, कठाना, बावेल, ढोलंका, अहमदाबाद, मेहसाना, शोभासन, कादी, दबका आदि स्थानों पर तेल के कुएँ खोदे गए हैं।
(3) अरब सागर अपतटीय तेल क्षेत्र (Off-Shoreoil Field of Arabian Sea)
भारत के तेल उत्पादन क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन तब आया, जब सन 1976 में अरब सागर के अपतटीय तेल क्षेत्रों में तेल का उत्पादन होने लगा।
सन 1980-81 में यहाँ लगभग 50 लाख टन तेल का उत्पादन हुआ, जो बड़ी तेजी से बढ़कर 2005-06 में 208 लाख टन तक पहुँच गया। इस प्रकार अरब सागर का अपतटीय भाग भारत का सबसे अधिक महत्वपूर्ण तेल उत्पादक बन गया है।
अरब सागर के महाद्वीपीय मग्न तट पर तेल के विशाल भंडार हैं। अत: भविष्य में यहाँ तेल उत्पादन में और अधिक उन्नति होने की सम्भावना है।
अरब सागर के अपतटीय भागों में निम्नलिखित तीन प्रमुख तेल उत्पादक क्षेत्र हैं —
(i) मुम्बई हाई तेल क्षेत्र
यह महाराष्ट्र के महाद्वीपीय मग्न तट (ContinentalShelr) पर मुंबई की उत्तर-पश्चिम में 176 किमी. दूर स्थित है। इस तेल क्षेत्र की खोज 1974 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग द्वारा की गई थी।
मई, 1976 में यहाँ पर तेल का उत्पादन शुरू हो गया था। इस समय यह क्षेत्र भारत के कुल तेल उत्पादन का 65 प्रतिशत से अधिक तेल उत्पादित करता है।
यहाँ मायोसीन युग की तेलयुक्त चट्टानें लगभग 2,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 80 मीटर की गहराई पर फैली
(ii) बसीन (Bassein) तेल क्षेत्र
यह मुंबई हाई के दक्षिण में स्थित है और इसकी खोज अभी हाल ही में हुई है। यह जंजीरबार से 48 किमी. की दूरी पर है। यहाँ 1,900 मीटर की गहराई पर तेल के विशाल भंडार मिले हैं। यहाँ के दो या तीन कुओं का उत्पादन मुंबई हाई के 16 कुओं के बराबर होगा।
(iii) अलियाबेट तेल क्षेत्र
यह गुजरात में भावनगर पश्चिम में खम्भात की खाड़ी में अलियाबेट द्वीप पर स्थित है। यहाँ पर तेल के विशाल भंडारों का पता चला है। यह क्षेत्र भारत के तेल की खोज कार्यक्रम में क्रांति ला देगा। शीघ्र ही यहाँ पर तेल का उत्पादन शुरू होने की सम्भावना है।
आंध्र प्रदेश भारत का एक प्रतिशत से कम तेल पैदा करता है। हाल ही में कृष्णा-गोदावरी बेसिन में तेल के भंडारों की खोज की गई है।
अरुणाचल प्रदेश भी अल्प मात्रा में तेल पैदा करता है। यहाँ पर मानभूम खारसंग तथा चेराली पर तेल के भंडार मिलते है।
खनिज तेल के सम्भावित क्षेत्र
गंगा के मैदान की अवसादी चट्टानों में तेल के विशाल भंडार मिलने की सम्भावना है। यद्यपि राजस्थान की अवसादी शैलों में अधिक तेल मिलने की सम्भावना नहीं है, तो भी यहाँ पर गैस के बड़े भंडार मिलने की आशा है। हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में लगभग एक लाख वर्ग किमी. क्षेत्र पर तेल प्राप्त होने की बड़ी सम्भावनाएँ हैं। यहाँ 800 मीटर की गहराई पर गैस प्रप्त हुई है।
इसके अतिरिक्त धर्मशाला तथा बिलासपुर में भी तेल मिलने की सम्भावना है।
पंजाब के होशियारपुर, लुधियाना तथा दसूआ क्षेत्रों में तेल उपस्थित है। जम्मू के मुसलगढ़ में भी तेल मिलने की सम्भावना है।
प्राकृतिक गैस (Natural Gas)
प्राकृतिक गैस हमारे आधुनिक जीवन में बड़ी तेजी से एक महत्वपूर्ण ईधन बनता जा रहा है। इसका प्रयोग विभिन्न उद्योगों में चालक शक्ति के रूप में किया जाता है।
प्राकृतिक गैस विद्युत उत्पादन के लिए भी प्रयोग की जाती है। आजकल बड़े पैमाने पर इसका प्रयोग घरों में खाना पकाने के लिए किया जाने लगा है। प्राकृतिक गैस सामान्यतः तेल के कुओं से प्राप्त होती है।
प्राकृतिक गैस का का वितरण
प्राकृतिक गैस मुक्त रूप में निम्नलिखित क्षेत्रों से प्राप्त की जाती है —
(i) बॉम्बे बेसिन के अपतटीय दक्षिणी-बेसिन में स्थित मुक्त गैस क्षेत्र (सर्वाधिक विशाल)।
(ii) खंभात बेसिन (गुजरात)
(iii) त्रिपुरा
(iv) तमिलनाडु का कावेरी अपतटीय बेसिन
(v) आंध्र प्रदेश
(vi) राजस्थान के जैसलमेर में स्थित तानोट
जब कभी तेल के लिए कुआँ खोदा जाता है, तो तेल से पहले गैस प्राप्त होती है; क्योंकि तेल की अपेक्षा गैस हल्की होती है।
मुंबई हाई भारत का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस उत्पादक है और देश की लगभग तीन चौथाई प्राकृतिक गैस पैदा करता है।
गुजरात से देश की 11.8 प्रतिशत गैस प्राप्त होती है। शेष गैस असम, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान तथा अरुणाचल प्रदेश से प्राप्त होती है।
प्राकृतिक गैस के बढ़ते हुए महत्व को देखते हुए गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड ( Gas Authority Of India, Ltd. ) का गठन अगस्त 1984 में किया गया।
इसका कार्य गैस पाइप लाइन का निर्माण करना था। इस समय गैस के प्रक्रमण, परिवहन तथा वितरण की दृष्टि से गेल भारत की सबसे बड़ी कम्पनी है।
अतः स्पष्ट है कि भारत में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस भंडारों की अपार संभावनाएं हैं | लेकिन वर्तमान में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस का जितना उत्पादन हम कर पा रहे हैं वह हमारी आवश्यकताओं की तुलना में बहुत कम है |
यह भी देखें
भारत के प्रमुख उद्योग : उर्वरक, सीमेंट, चीनी, एल्युमीनियम तथा कागज उद्योग
भारत के उद्योग : सूती वस्त्र, पटसन व लोहा-इस्पात उद्योग
भारत के प्राकृतिक प्रदेश : हिमालय पर्वत
भारत के प्राकृतिक प्रदेश : विशाल उत्तरी मैदान
भारत के प्राकृतिक प्रदेश : प्रायद्वीपीय पठार
भारत के प्राकृतिक प्रदेश : तटीय मैदान तथा द्वीप समूह
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