हामिद का चरित्र-चित्रण

‘ईदगाह’ कहानी मुंशी प्रेमचंद की एक ह्रदय-स्पर्शी कहानी है | हामिद इस कहानी का केंद्रीय पात्र है | कहानी एक अनाथ बच्चे हामिद की बाल-सुलभ आकांक्षाओं, कल्पनाओं, आशाओं, जिज्ञासाओं से गुजरती हुई एक ऐसे अंजाम तक पहुंचती है जहां वह सभी बाल-सुलभ बातों को छोड़कर प्रेम और त्याग की एक ऐसी मिसाल प्रस्तुत करता है कि पाठकों की आँखें छलक पड़ती हैं | हामिद के चरित्र की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं —

(1) निडर व साहसी

हामिद एक निडर और साहसी बालक है | उसकी दादी मां को चिंता है कि वह ईदगाह अकेला कैसे जाएगा | उसे डर है कि मेले की भीड़-भाड़ में वह कहीं खो ना जाए| उसे डर है कि उसके पास जूते भी नहीं है, पाँव में छाले पड़ जायेंगे | लेकिन हामिद अपनी दादी को समझाता है कि वह गांव के सभी बच्चों के साथ मेले में चला जाएगा | वह अपनी दादी को आश्वासन देते हुए कहता है कि अम्मा, डरना मत ; मैं सबसे पहले आ जाऊंगा |

(2) संयमी

हामिद संयमी लड़का है | उसे मेले में अनेक लुभावनी चीजें दिखाई देती है | सुंदर खिलौने और स्वादिष्ट मिठाइयां देखकर उसका मन भी उन्हें पाने को करता है | लेकिन वह अद्भुत संयम का परिचय देता है | और अपने मन की सभी इच्छाओं को मारकर अपने तीन पैसे बचा कर रखता है ताकि अपनी दादी माँ के लिए चिमटा खरीद सके |

(3) दृढ संकल्पी

हामिद दृढ़ संकल्पी बालक है | मोहसिन, सम्मी, नूरे, महमूद उसका मजाक उड़ाते हैं | वह चाहता तो उनके मजाक से व्यथित होकर अपने तीन पैसों को खर्च करके कोई खिलौना या मिठाई खरीद सकता था परंतु वह व्यर्थ की चीजों पर पैसा ना खर्च करने के अपने संकल्प पर अडिग रहता है | वास्तव में वह कोई उपयोगी वस्तु खरीदना चाहता था | अंत में एक लोहार की दुकान से वह एक लोहे का चिमटा खरीदता है ताकि ताकि रोटियां सेकते समय उसकी बूढ़ी दादी की उंगलियां न जलें | इस चिमटे को खरीदने के पश्चात उसे अपूर्व संतुष्टि का अनुभव होता है |

(4) तर्कशील

हामिद एक तर्कशील बालक है | जब वह खिलौनों को न खरीद कर एक चिमटा खरीदता है तो उसके दोस्त मोहसिन, नूरे, महमूद, सम्मी उसका मजाक उड़ाते हैं परंतु अपने अकाट्य तर्कों के बल पर वह अपने चिमटे को उनके खिलौनों से श्रेष्ठ सिद्ध कर जाता है |

इस प्रकार हम देखते हैं कि हामिद के चरित्र में अनेक ऐसी विशेषताएं हैं जो उसे इस कहानी का नायक सिद्ध करती हैं | उपर्युक्त विशेषताओं के अतिरिक्त उसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता अपनी दादी के प्रति प्रेम है | इस प्रेम के बल पर ही वह अपनी बाल-सुलभ आकांक्षाओं को दबाकर ऐसे महान त्याग का परिचय देता है कि दादी के साथ-साथ सभी पाठक द्रवित हो जाते हैं |

यह भी पढ़े

ईदगाह : मुंशी प्रेमचंद ( Idgah : Munshi Premchand )

‘ईदगाह’ कहानी की समीक्षा

महत्त्वपूर्ण प्रश्न ( बी ए चतुर्थ सेमेस्टर – हिंदी )

पुरस्कार ( जयशंकर प्रसाद )

‘पुरस्कार’ कहानी की तात्विक समीक्षा

फैसला ( मैत्रेयी पुष्पा )

‘फैसला’ कहानी का मूल भाव / उद्देश्य / सन्देश या प्रतिपाद्य

‘फैसला’ कहानी की तात्विक समीक्षा

ठेस ( फणीश्वर नाथ रेणु )

‘ठेस’ कहानी की तात्विक समीक्षा

‘गैंग्रीन’ सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय

गैंग्रीन कहानी की तात्विक समीक्षा ( Gangrene Kahani Ki Tatvik Samiksha )

मलबे का मालिक ( मोहन राकेश )

‘मलबे का मालिक’ कहानी की तात्विक समीक्षा

पच्चीस चौका डेढ़ सौ : ( ओमप्रकाश वाल्मीकि )

‘पच्चीस चौका डेढ़ सौ’ कहानी का मूल भाव

error: Content is proteced protected !!