शब्द : दो या दो से अधिक वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं | जैसे – कमल, फूल, काला आदि शब्द हैं लेकिन अउइए, कफच, चबट आदि वर्णों का समूह होने पर भी शब्द नहीं हैं क्योंकि इनसे किसी अर्थ की अभिव्यक्ति नहीं होती | अतः वर्णों के ऐसे समूह को ही शब्द कहा जा सकता है जो किसी अर्थ के द्योतक हों |
पद : वाक्य में प्रयुक्त शब्द को पद कहते हैं | जब तक कोई शब्द अपनी शब्दकोशीय स्थिति में है तब तक वह ‘शब्द’ होता है, पद नहीं लेकिन जब वही शब्द लिंग, वचन, कारक, काल के अनुसार अपना रूप परिवर्तित कर वाक्य में प्रयुक्त होता है तो पद बन जाता है |
वास्तव में शब्द अर्थवान इकाई होते हुए भी किसी पूर्ण भाव को अभिव्यक्त नहीं कर पाता | उदाहरण के लिए अगर कोई वक्ता कहता है – ‘दूध’ तो इससे वक्ता के कहने के पूरे भाव के विषय में नहीं पता चलता | वह दूध पीना चाहता है, वह दूध देना चाहता है या आपको दूध लाने के लिए कहना चाहता है? कुछ स्पष्ट नहीं हो पाता | लेकिन जब यही शब्द ‘दूध’ वाक्य में प्रयुक्त हो जाता है तो स्पष्ट और पूर्ण अर्थ की अभिव्यक्ति होती है |
एक अन्य उदाहरण से समझिए | ‘काला’, ‘फूल’ आदि शब्द हैं लेकिन ‘काले फूल खिले हैं’ वाक्य में प्रयुक्त ‘काले’ और ‘फूल’ पद हैं | कुछ शब्द व्याकरण कोटियों के अनुसार अपना रूप बदल लेते हैं और कुछ अपरिवर्तित रहते हैं | जैसे यहाँ ‘काला’ शब्द वचन के अनुसार ‘काले’ में परिवर्तित हो गया |
2 thoughts on “शब्द और पद ( Shabd Aur Pad )”