उपसर्ग ( Upsarg )
उपसर्ग वे वर्ण या शब्दांश हैं, जो किसी मूल शब्द के पहले जोड़े जाते हैं और उनके अर्थ में परिवर्तन करते हैं।
उदाहरण : अ — असफल, अभाव, असत्य
अप — अपमान, अपशकुन, अपयश
अधि — अधिकार, अधिभार, अधिनियम
उपसर्ग के प्रकार ( Upsarg Ke Prakar )
उपसर्ग मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं —
(क ) संस्कृत के उपसर्ग — अप ( अपमान, अधि ( अधिभार ), अन् ( अनादर ) आदि |
(ख ) हिन्दी के उपसर्ग — अन ( अनपढ़ ), अध ( अधपका ), क (कपूत ) आदि |
(ग ) विदेशी भाषाओं के उपसर्ग — अल ( अलविदा ), बे ( बेनाम ), सब ( सब इंस्पेक्टर ) आदि |
प्रत्यय ( Pratyay )
प्रत्यय वे शब्दांश हैं, जो किसी मूल शब्द के अंत में जुड़ते हैं और उसका रूप या अर्थ बदलते हैं।
ता — सुंदरता
ई — बंगाली
क — गायक
प्रत्यय को किसी शब्द की तरह वाक्य में एक पद के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता बल्कि वह किसी शब्द के पीछे जुड़कर ही वाक्य में प्रयोग किया जा सकता है |
प्रत्यय के प्रकार ( Pratyay Ke Prakar )
प्रत्यय मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं —
(क ) कृत प्रत्यय — वे प्रत्यय जो सदैव धातु ( क्रिया के मूल रूप ) के पीछे लगकर नए शब्द का निर्माण करते हैं उन्हें कृत प्रत्यय कहते हैं |
उदाहरण — पढ़ाई में आई प्रत्यय और टिकाऊ में आऊ प्रत्यय हैं जो कृत प्रत्यय के उदाहरण हैं क्योंकि ये क्रिया के मूल शब्द अर्थात धातु के पीछे लगे हैं |
(ख ) तद्धित प्रत्यय — वे प्रत्यय जो धातु से भिन्न किसी अन्य शब्द के अंत में जुड़कर नए शब्द बनते हैं उन्हें तद्धित प्रत्यय प्रत्येक कहते हैं |
उदाहरण — नौकरानी — नौकर ( संज्ञा ) + आनी ( प्रत्यय )
भोलापन — भोला ( विशेषण ) + पन (प्रत्यय )
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