रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद माने गए हैं – (क ) सरल या साधारण वाक्य, (ख ) संयुक्त वाक्य तथा (ग ) मिश्र या जटिल वाक्य |
(क ) सरल वाक्य – जिस वाक्य में एक कर्त्ता और एक क्रिया अथवा एक उद्देश्य और एक विधेय होता है, उसे सरल वाक्य कहा जाता है | इसे साधारण वाक्य भी कहते हैं |
यथा :- राम पढता है |
यहां ‘राम’ उद्देश्य है तथा ‘पढता है’ विधेय | अतः यह सरल वाक्य है |
(ख ) संयुक्त वाक्य – जिस वाक्य में एक से अधिक सरल वाक्य किसी समुच्चयबोधक, अथवा, या, परंतु, किंतु, अन्यथा, अतः, इसलिए द्वारा जुड़े हों, वह वाक्य संयुक्त वाक्य कहलाता है |
यथा – राम और दशरथ रोते हैं तथा प्रजा उन्हें रोते हुए देखती है |
यह वाक्य संयुक्त वाक्य है जो तीन सरल वाक्यों से बना है :-
▪️ राम रोता है |
▪️ दशरथ रोता है |
▪️ प्रजा उन्हें रोते हुए देखती है |
(ग ) मिश्र अथवा जटिल वाक्य – मिश्र वाक्य में दो या अधिक सरल वाक्य इस प्रकार मिले होते हैं कि उनमें से एक मुख्य वाक्य होता है और शेष उस पर आश्रित गौण वाक्य होते हैं |
उदाहरण – “उसने कहा कि हर किसी को अपना-अपना कार्य करने की स्वतंत्रता मिले ताकि हर कोई विकास कर सके |”
यह एक मिश्रित/ मिश्र /जटिल वाक्य है तथा इसमें तीन उपवाक्य हैं :-
▪️ उसने कहा | ( मुख्य वाक्य )
▪️ हर किसी को अपना-अपना कार्य करने की स्वतंत्रता मिले | ( गौण /आश्रित वाक्य )
▪️ हर कोई विकास कर सके | ( गौण / आश्रित वाक्य )
1 thought on “रचना के आधार पर वाक्य के भेद”