पत्र लेखन : अर्थ, परिभाषा, भेद व विशेषताएँ

पत्र एक लिखित संवाद का रूप है, जिसे किसी व्यक्ति, संगठन, या संस्था को भेजा जाता है। यह एक औपचारिक या अनौपचारिक तरीके से जानकारी, विचार, अनुरोध, या संवाद सांझा करने का एक साधन है। पत्र आमतौर पर एक निश्चित प्रारूप और संरचना का पालन करता है |

इसमें निम्नलिखित तत्त्व शामिल होते हैं :

प्रेषक का पता और नाम — पत्र लिखने वाले का नाम और पता।

प्राप्तकर्ता का पता और नाम — पत्र प्राप्त करने वाले का नाम और पता।

तारीख — पत्र लिखने की तारीख।

विषय (यदि आवश्यक हो)-– पत्र के मुख्य विषय को संक्षेप में बताने वाला हिस्सा।

मुख्य सामग्री — पत्र में किया गया मुख्य संवाद, जानकारी, या अनुरोध।

समापन –पत्र को समाप्त करने का तरीका, जैसे “सादर”, “भवदीय”, आदि |

हस्ताक्षर — पत्र लेखक के हस्ताक्षर।

पत्र की परिभाषा

“पत्र एक लिखित दस्तावेज़ है, जिसे एक व्यक्ति या संस्था द्वारा दूसरे व्यक्ति या संस्था को सूचना, विचार, या अनुरोध भेजने के लिए लिखा जाता है। इसका प्रायः निश्चित प्रारूप होता है जैसे प्रेषक का पता, प्राप्तकर्ता का पता, तारीख, विषय (यदि आवश्यक हो), मुख्य सामग्री, और समापन।”

पत्र के प्रकार या भेद

पत्र के दो मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं :–

(1) औपचारिक पत्र (Formal Letter)

यह पत्र औपचारिक और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए लिखा जाता है। इसमें एक निश्चित प्रारूप और सम्मानजनक भाषा का प्रयोग होता है। यह सरकारी, व्यापारिक, या अन्य औपचारिक संचार के लिए होता है। जैसे — आवेदन पत्र, सरकारी नोटिस, व्यापारिक संवाद, अनुशंसा पत्र, शिकायत पत्र, आदि।

अनौपचारिक पत्र (Informal Letter)

यह पत्र घनिष्ठ मित्र व पारिवारिक सम्बंधियों को लिखा जाता है। इसमें दोस्ताना और सहज भाषा का प्रयोग होता है, और इसका प्रारूप अधिक लचीला होता है। जैसे मित्र को लिखा पत्र, परिवार के सदस्य को लिखा पत्र, प्रेम पत्र, आदि।

इन दोनों प्रकार के पत्रों में भाषा, संरचना, और उद्देश्य में अंतर होता है। औपचारिक पत्रों में पेशेवरता और औपचारिकता की आवश्यकता होती है, जबकि अनौपचारिक पत्रों में भाव व शिल्प के दृष्टिकोण से लेखक को अधिक स्वतंत्रता प्राप्त होती है |

अच्छे पत्र की विशेषताएँ

एक अच्छे पत्र में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहियें :

स्पष्टता — पत्र का उद्देश्य और मुख्य विचार स्पष्ट होना चाहिए। सरल भाषा में भाव को स्पष्ट किया जाना चाहिए |

संक्षिप्तता — पत्र को संक्षिप्त और सटीक रखना चाहिए, ताकि पाठक जल्दी समझ सके लेकिन संक्षिप्तता का अर्थ यह नहीं कि बात पूर्ण रूप से अभिव्यक्त न हो | संक्षेप में पूरा भाव स्पष्ट करना ही अच्छे पत्र विशेषता है |

विनम्र व शिष्ट भाषा — पत्र की भाषा विनम्र, शिष्ट और औपचारिक होनी चाहिए। औपचारिक भाषा से अभिप्राय निर्दिष्ट प्रारूप के अनुसार शब्दों के प्रयोग करने से है | जैसे बड़ों को ‘सादर प्रणाम’ कहना |

संरचना — पत्र की एक उचित संरचना होनी चाहिए, जिसमें अभिवादन, मुख्य विषय, और समाप्ति शामिल हों।

विषय का चयन — पत्र का विषय प्रासंगिक और महत्वपूर्ण होना चाहिए। विषयानुकूल ही पत्र की शैली में परिवर्तन किया जाना चाहिए | गंभीर विषयों में शब्द-चयन बहुत सोच-समझ कर करना चाहिए |

सही विवरण — पत्र में दी गई जानकारी सही होनी चाहिए | पत्र में दिये गये तथ्य सही और अद्यतन होने चाहिए। पत्र में कही गई गोलमोल बातें पत्र की विश्वसनीयता व महत्त्व को कम करती हैं |

उपर्युक्त विशेषताओं का ध्यान में रखकर एक प्रभावशाली पत्र लिखा जा सकता है।

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