हिन्दी की प्रमुख बोलियाँ और उनका क्षेत्र

हिन्दी मुख्य रूप से उत्तर भारत में बोली जाती है | यह भाषा मुख्यतः हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार राज्यों में बोली जाती है | हिंदी को मुख्य रूप से पांच उपभाषाओं में बांटा जा सकता है : (1) पश्चिमी हिन्दी, (2) पूर्वी हिन्दी, (3) राजस्थानी, (4) बिहारी और (5) पहाड़ी |

(1) पश्चिमी हिंदी

पश्चिमी हिंदी की पांच उप भाषाएं हैं – (i) खड़ी बोली, (ii) ब्रजभाषा, (iii) बुंदेली, (iv) कन्नौजी तथा (v) हरियाणवी |

(i) खड़ी बोली

खड़ी बोली का क्षेत्र मेरठ, सहारनपुर, रामपुर तथा देहरादून तक है | खड़ी बोली का मानक रूप ही आज भारत की राजभाषा है | आज इस भाषा का प्रयोग साहित्यिक भाषा के रूप में किया जाता है | आज आधुनिक हिंदी साहित्य में भाषा का जो रूप मिलता है वह खड़ी बोली ही है | प्रसाद, पंत, निराला, महादेवी वर्मा, गुप्त, दिनकर आदि खड़ी बोली के महान कवि हुए हैं | इस बोली का भविष्य उज्जवल है |


(ii) ब्रजभाषा

ब्रजभाषा का क्षेत्र संपूर्ण ब्रजमंडल है | उसका क्षेत्र मथुरा, आगरा, अलीगढ़ तक है | मध्यकालीन साहित्य का बहुत बड़ा भाग ब्रजभाषा में रचा गया | भक्तिकाल तथा रीतिकाल के अधिकांश ग्रंथ ब्रज भाषा में रचित हैं | ब्रजभाषा अपने माधुर्य के कारण प्रसिद्ध है | ब्रजभाषा में सुंदरतम कृष्ण-काव्य की रचना हुई है |


(iii) बुंदेली

बुंदेली का क्षेत्र संपूर्ण बुंदेलखंड है | यह उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में बोली जाती है | इसमें लोक-साहित्य की समृद्ध परंपरा मिलती है |

(iv) कन्नौजी

कन्नौजी का प्रमुख क्षेत्र उत्तर प्रदेश का कन्नौज है इसमें भी लोक साहित्य की समृद्ध परंपरा मिलती है | चिंतामणि, भूषण आदि कवियों की भाषा में कन्नौजी भाषा की झलक मिलती है |


(v) हरियाणवी

हरियाणवी का क्षेत्र मुख्यतः हरियाणा है | इसके अनेक रूप हैं परंतु इसके प्रमुख रूप हैं -बांगरू, बागड़ी तथा अंबालवी आदि | इसमें उच्च कोटि का लोक-साहित्य मिलता है | गरीबदास, नितानंद, जैत राम, फौजी मेहर सिंह व लख्मीचंद हरियाणवी भाषा के प्रमुख कवि हुए हैं |

(2) पूर्वी हिन्दी

पूर्वी हिंदी का विकास अर्धमागधी से हुआ | पूर्वी हिंदी की प्रमुख बोलियां (i) अवधी, (ii) बघेली तथा (iii) छत्तीसगढ़ी हैं |

(i) अवधी

अवधी पूर्वी हिंदी की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाषा है | यह अवध के क्षेत्र में बोली जाती है | इसमें लोक-साहित्य तथा उच्च कोटि का साहित्य प्रचुर मात्रा में मिलता है | भक्तिकाल तथा रीतिकाल में अवधी भाषा का अत्यधिक प्रयोग हुआ | तुलसीदास कृत ‘रामचरितमानस’ तथा जायसी कृत ‘पद्मावत’ की भाषा अवधि ही है |

(ii) बघेली

बघेली रीवां ( मध्यप्रदेश ) क्षेत्र में बोली जाती है | इसमें केवल लोक साहित्य मिलता है |

(iii) छत्तीसगढ़ी

छत्तीसगढ़ी मुख्यतः छत्तीसगढ़ राज्य में बोली जाती है | इसमें प्रचुर लोकसाहित्य मिलता है |

(3) राजस्थानी

राजस्थानी उपभाषा के अंतर्गत लगभग 30 बोलियां आती हैं परंतु प्रमुख चार हैं – मारवाड़ी, मालवी, मेवाती तथा जयपुरी |

मारवाड़ी जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर की बोली है |

मालवी मालवा क्षेत्र की बोली है |

जयपुरी जयपुर व कोटा के आसपास बोली जाती है |

मेवाती मेवात क्षेत्र की बोली है | यह हरियाणा के मेवात, गुड़गांव आदि भागों में भी बोली जाती है |

(4) बिहारी

बिहारी वास्तव में अपने आप में कोई भाषा नहीं है अपितु बिहार राज्य में बोली जाने वाली विभिन्न बोलियों के समूह को ही बिहारी नाम दिया गया है | भोजपुरी, मगही और मैथिली इसकी प्रमुख बोलियां हैं |

(i) भोजपुरी

भोजपुरी बिहार की सबसे प्रमुख बोली है | यह बिहार के पश्चिमी तथा उत्तर प्रदेश के पूर्वी भागों में बोली जाती है | भोजपुरी में लोक-साहित्य प्रचुर मात्रा में मिलता है परंतु साहित्यिक रचनाएं कम हैं |

(ii) मगही

मगही मगध क्षेत्र में बोली जाती है | यह मुख्यत: हजारीबाग, पटना और गया में बोली जाती है |

(iii) मैथिली

मैथिली मिथिला क्षेत्र की बोली है | साहित्यिक दृष्टि से यह बोली सर्वाधिक महत्वपूर्ण है | विद्यापति ने अपनी रचना ‘पदावली’ में मैथिली भाषा का ही प्रयोग किया है |

(5) पहाड़ी

पहाड़ी भाषा मुख्यतः हिमालय में स्थित शहरों व गांवों में बोली जाती हैं इसकी प्रमुख बोलियां हैं – नेपाली, कुमाऊँनी, गढ़वाली आदि | कुमाऊँनी में लोक साहित्य मिलता है | गढ़वाली अपने लोकगीतों के लिए प्रसिद्ध है | नेपाली वर्तमान में नेपाल की राजभाषा है | इसकी लिपि देवनागरी है | यह लोक-साहित्य के साथ-साथ उच्च कोटि के साहित्य के लिए भी प्रसिद्ध है |

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