राजभाषा : अर्थ, परिभाषा और प्रकृति ( स्वरूप )

राजभाषा उस भाषा को कहते हैं जिसे किसी देश या राज्य में सरकारी कार्यों और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए आधिकारिक रूप से अपनाया जाता है। यह Official Language का हिंदी पर्याय है | भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343(1) के अनुसार, देवनागरी लिपि में हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया है।

संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया, और इस दिन को प्रतिवर्ष ‘हिंदी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

राजभाषा अधिनियम, 1963 के तहत, हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का उपयोग संघ के राजकीय कार्यों में किया जा सकता है।

राजभाषा का उद्देश्य सरकारी कार्यों को जनता की भाषा में संपन्न करना है, जिससे प्रशासन अधिक पारदर्शी और जनसुलभ हो सके।

राजभाषा की परिभाषा

विभिन्न विद्वानों ने राजभाषा की परिभाषा निम्नलिखित रूप में दी है —

आचार्य देवेंद्र नाथ शर्मा के अनुसार, “सरकार के शासन, विधानपालिका , कार्यपालिका और न्यायपालिका क्षेत्रों में जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है, उसी को राजभाषा कहते हैं।”

डॉ. हरिमोहन के अनुसार, “राजभाषा का सीधा अर्थ है, जिस भाषा में राज-काज किया जाता है।”

डॉ. श्यामसुंदर के अनुसार, “राजभाषा वह भाषा है जो सरकारी कामकाज और न्यायालयों के लिये स्वीकृत हो |”

डॉ. भोलानाथ तिवारी के अनुसार, “राजभाषा ऐसी भाषा है जिसका प्रयोग राज्य के कार्यों में किया जाता है |”

राजभाषा की प्रकृति या स्वरूप

राजभाषा की प्रकृति को समझने के लिए इसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालना प्रासंगिक होगा | राजभाषा में निम्नलिखित विशेषताओं का होना आवश्यक है —

(1) स्पष्टता और एकार्थता — राजभाषा में प्रयुक्त शब्द और वाक्य संरचना स्पष्ट और एकार्थी होनी चाहिए, ताकि सरकारी दस्तावेज़ों और संचार में भ्रम की स्थिति न उत्पन्न हो।

(2) औपचारिकता और निर्वैयक्तिकता — राजभाषा का स्वरूप औपचारिक और निर्वैयक्तिक होना चाहिए, जिसमें कर्मवाच्य का अधिक उपयोग किया जाए, जैसे “निर्णय लिया गया” या “सूचना प्रदान की गई”।

(3) पारिभाषिक शब्दावली का समावेश — राजभाषा में विशिष्ट प्रशासनिक और कानूनी शब्दावली का समावेश होना चाहिए, जो सरकारी कार्यों में सटीकता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करे। उदाहरणस्वरूप, “आयुक्त” (Commissioner), “निविदा” (Tender), “आयोग” (Commission) आदि शब्दों का प्रयोग।

(4) संवैधानिक मान्यता — राजभाषा को संविधान या विधिक प्रावधानों द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त होनी चाहिए, जिससे उसका उपयोग सरकारी कार्यों में विधिसम्मत हो सके। उदाहरण के लिए, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343(1) के अनुसार, देवनागरी लिपि में हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया है।

(5) सरलता — राजभाषा सामान्यजन की भाषा होती है | अतः इसमें सरलता का गुण होना चाहिए | इसका कारण यह है की प्रत्येक देश में सभी लोग सुशिक्षित नहीं होते | कुछ लोग पूर्णत: अशिक्षित और कुछ अल्प साक्षर होते हैं | ऐसे लोगों के लिए कठिन भाषा को समझना मुश्किल हो जाता है |

(6) प्रभावोत्पादकता — राजभाषा के माध्यम से सरकारी कामकाज किया जाता है | अतः राजभाषा समग्र रूप से प्रभावी होनी चाहिए जिसके माध्यम से प्रत्येक संदेश बिना किसी भ्रम के संप्रेषित होना चाहिए |

अतः स्पष्ट है कि राजभाषा संविधान द्वारा स्वीकृत ऐसी भाषा होती है जिसके माध्यम से सरकारी कामकाज किया जाता है | यह भाषा अधिकांश जनता के लिये बोधगम्य होती |

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