सतत पोषणीय विकास (Sustainable Development) वह विकास प्रक्रिया है जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग इस ढंग से किया जाता है कि वे भावी पीढ़ियों के लिये भी सुरक्षित रहें । सतत विकास की अवधारणा संसाधनों के संरक्षण व उनके उचित उपयोग पर बल देती है |
सतत विकास का इतिहास
सतत विकास की अवधारणा नई नहीं है, बल्कि इसका विकास विभिन्न वैश्विक सम्मेलनों और रिपोर्टों के माध्यम से हुआ है। इसकी जड़ें औद्योगिक क्रांति के बाद पर्यावरणीय क्षति के प्रति बढ़ती जागरूकता में देखी जा सकती हैं।
औद्योगिक क्रांति (18वीं – 19वीं सदी) के दौरान पर्यावरणीय क्षति और संसाधनों के अत्यधिक दोहन की समस्या बढ़ी। जिससे पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता अनुभव होने लगी |
1962 में रेचल कार्सन की पुस्तक “साइलेंट स्प्रिंग” ने पर्यावरणीय नुकसान पर ध्यान आकर्षित किया।
1987 में ब्रुंडलैंड रिपोर्ट ‘Our Common Future’ प्रकाशित हुई |
इसे “वर्ल्ड कमिशन ऑन एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट” (WCED) द्वारा प्रकाशित किया गया।
इसमें सतत विकास की परिभाषा दी गई — “सतत विकास वह विकास है जो भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं से समझौता किए बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करता है |”
सतत विकास के प्रमुख घटक
सतत विकास मुख्य रूप से तीन प्रमुख घटकों पर आधारित है, जिन्हें “सतत विकास के तीन स्तंभ” भी कहा जाता है। ये तीनों घटक एक साथ मिलकर संतुलित विकास को सुनिश्चित करते हैं।
(1) पर्यावरणीय सततता (Environmental Sustainability)
इसका उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और पर्यावरण की रक्षा करना है ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण बना रहे। इसके प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं —
(क ) प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण (जल, भूमि, वायु, खनिज आदि)।
(ख ) नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग (सौर, पवन, जलविद्युत आदि)।
(ग ) जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा।
(घ ) कचरा प्रबंधन और पुनर्चक्रण।
(ङ ) जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से निपटना।
(2) आर्थिक सततता (Economic Sustainability)
आर्थिक सतत विकास सुनिश्चित करता है कि आर्थिक विकास पर्यावरण और समाज को नुकसान पहुँचाए बिना हो, जिससे सभी लोगों को समान अवसर मिलें और संसाधनों का कुशल उपयोग हो। हरित अर्थव्यवस्था, समान और समावेशी आर्थिक विकास, रोजगार के सामान अवसर आदि इसके प्रमुख पहलू हैं |
(3) सामाजिक सततता (Social Sustainability)
सामाजिक सततता का उद्देश्य एक समावेशी और समान समाज का निर्माण करना है, जहाँ सभी नागरिकों को बुनियादी सुविधाएँ और समान अवसर प्राप्त हों। लैंगिक समानता, सामाजिक समानता व न्याय, गरीबी उन्मूलन, शिक्षा और चिकित्सा-सुविधाएँ आदि इसके प्रमुख पहलू हैं |
सतत विकास के उद्देश्य
(क) प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग
(ख) पर्यावरण की सुरक्षा
(ग) आर्थिक विकास और गरीबी उन्मूलन
(घ ) सामाजिक समावेशन और समानता
(ङ ) ऊर्जा संरक्षण
(च ) नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग