मानव जीवन में भाषा का स्थान या महत्त्व

मानव जीवन में भाषा का अत्यधिक महत्त्व है, क्योंकि यह संचार, विचार, संस्कृति और सामाजिक विकास का मूल आधार है। भाषा के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा है। निम्नलिखित बिंदुओं से भाषा के महत्त्व को समझा जा सकता है:

(1) संचार का माध्यम

भाषा मनुष्यों के बीच विचारों, भावनाओं और जानकारियों के आदान-प्रदान का प्रमुख साधन है। बिना भाषा के शिक्षा, व्यवसाय, राजनीति और सामाजिक संबंध असंभव हो जाएँगे।

(2) सामाजिक एकता

भाषा लोगों को आपस में जोड़ती है और समाज में सहयोग व सद्भाव बढ़ाती है। यह परिवार, समुदाय और राष्ट्र के बीच संबंध स्थापित करती है।

(3) ज्ञान और शिक्षा

भाषा के माध्यम से ही ज्ञान, विज्ञान, साहित्य और इतिहास को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाया जाता है। वस्तुतः शिक्षा प्रणाली का आधार भाषा ही है।

(4) सांस्कृतिक पहचान

भाषा किसी समाज की संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों को संजोकर रखती है। मातृभाषा व्यक्ति की पहचान और गौरव का प्रतीक होती है।

(5) विचार और तर्क

भाषा के बिना मनुष्य तार्किक चिंतन नहीं कर सकता। भाषा ही हमें अमूर्त विचारों जैसे न्याय, स्वतंत्रता, प्रेम आदि को समझने में सक्षम बनाती है।

(6) आर्थिक विकास

व्यापार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है। बहुभाषी कौशल रोजगार के अवसर बढ़ाता है।

(7) राजनीतिक और कानूनी व्यवस्था

कानून, न्याय व्यवस्था और शासन प्रणाली भाषा पर निर्भर करती है। भाषा के माध्यम से ही नागरिक अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझते हैं।

(8) साहित्य और कला

कविता, कहानी, नाटक, संगीत और फिल्में भाषा के बिना अधूरी हैं। भाषा मानवीय कल्पनाशीलता और रचनात्मकता को अभिव्यक्त करती है।

निष्कर्ष:

भाषा मानव सभ्यता की नींव है। यह न केवल व्यक्तिगत जीवन को सार्थक बनाती है, बल्कि समाज, राष्ट्र और विश्व के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। संक्षेप में कहा जा सकता है, “भाषा ही मनुष्य को मनुष्य बनाती है।”

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