प्रशासनिक भाषा का अर्थ व विशेषताएँ या तत्त्व

प्रशासनिक भाषा वह भाषा होती है जिसका उपयोग सरकार और उसके विभिन्न विभाग अपने प्रशासनिक कार्य, दस्तवेजों, नियमों, नोटिस और आधिकारिक संचार में करते हैं।


प्रशासनिक भाषा की परिभाषा:

प्रशासनिक भाषा वह भाषा होती है जिसे किसी देश की सरकार अपने विभिन्न विभागों, कार्यालयों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में संवाद स्थापित करने, आदेश देने, रिपोर्ट तैयार करने तथा दस्तावेज़ों के लेखन हेतु प्रयुक्त करती है।

सामान्य शब्दों में प्रशासनिक भाषा वह भाषा होती है जिसका प्रयोग सरकार अपने कार्यालयी और प्रशासनिक कार्यों में करती है।

उदाहरण

भारत में केंद्र सरकार के स्तर पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों को प्रशासनिक भाषा के रूप में उपयोग किया जाता है।

किसी राज्य विशेष में वहाँ की राजभाषा को प्रशासनिक भाषा के रूप में अपनाया जा सकता है, जैसे तमिलनाडु में तमिल, महाराष्ट्र में मराठी |

प्रशासनिक भाषा की विशेषताएँ या तत्त्व

प्रशासनिक भाषा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

(1) स्पष्टता और संक्षिप्तता: प्रशासनिक भाषा स्पष्ट, संक्षिप्त और बिना अस्पष्टता के होती है ताकि संदेश आसानी से समझा जा सके।

(2) औपचारिकता: यह औपचारिक और शिष्ट होती है, जिसमें अनौपचारिक या बोलचाल के शब्दों का उपयोग नहीं होता।

(3) वस्तुनिष्ठता: भाषा तथ्यपरक और निष्पक्ष होती है, जिसमें व्यक्तिगत भावनाओं या पूर्वाग्रहों की जगह नहीं होती।

(4) तकनीकी शब्दावली: इसमें प्रशासनिक कार्यों से संबंधित विशिष्ट तकनीकी शब्दों और कानूनी शब्दावली का उपयोग होता है।

(5) प्रामाणिकता: भाषा आधिकारिक और विश्वसनीय होती है, जो नियमों, कानूनों और नीतियों के अनुरूप होती है।

अतः प्रशासनिक भाषा का स्वरूप औपचारिक, संरचित, नियमानुसार और उद्देश्यपूर्ण स्वरूप होता है, जिसमें स्पष्टता, संक्षिप्तता और कानूनी मानकों का पूर्ण ध्यान रखा जाता है। यह भ्रामकता से मुक्त होकर प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने में सहायक होती है।

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