जलीय पारिस्थितिक तंत्र : प्रकार व उदाहरण

जलीय पारिस्थितिक तंत्र वे प्राकृतिक तंत्र होते हैं जो जल में विकसित होते हैं। इसमें जल के भीतर और जल की सतह पर पाए जाने वाले सभी जीव-जंतु और वनस्पतियाँ शामिल होती हैं। यह तंत्र जैविक (जैसे मछलियाँ, पौधे) और अजैविक (जैसे पानी, धूप, पोषक तत्व) घटकों से मिलकर बनता है। इन तंत्रों में ऊर्जा का प्रवाह और पोषक चक्र होता है जो जीवन को बनाए रखने में सहायक होता है। यह पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने, जलचक्र को संचालित करने और खाद्य श्रृंखला को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

जलीय पारिस्थितिक तंत्र के प्रकार

जलीय पारिस्थितिक तंत्र मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं – मीठे जल के, लवणीय जल के, और आर्द्रभूमि के तंत्र।

(1) मीठे जल का पारिस्थितिक तंत्र — मीठे जल के तंत्र नदियों, झीलों, तालाबों, और झरनों में पाए जाते हैं। इनका पानी पीने योग्य होता है और इनमें विविध प्रजातियाँ रहती हैं।

मीठे जल के उदाहरण – गंगा और यमुना जैसी नदियाँ, नैनीताल झील, और भोपाल का बड़ा तालाब।

ये मानव जीवन के लिए पेयजल, सिंचाई और मत्स्य पालन का मुख्य स्रोत हैं। यहाँ मछलियाँ, जलकुंभी, और अनेक उभयचर जीव मिलते हैं।

(2) लवणीय जल का पारिस्थितिक तंत्र — लवणीय जल के तंत्र समुद्रों और महासागरों में पाए जाते हैं जहाँ पानी में नमक की मात्रा अधिक होती है। ये पृथ्वी की सतह का बड़ा भाग घेरे हुए हैं और इनमें जीवन अत्यधिक गहराई तक फैला होता है।

लवणीय जल के उदाहरण — बंगाल की खाड़ी, अरब सागर, और अंडमान सागर जैसे समुद्री पारिस्थितिक तंत्र।

(3) आर्द्रभूमि का पारिस्थितिक तंत्र — आर्द्रभूमि के तंत्र जलमग्न या दलदली भूमि पर आधारित होते हैं जो स्थायी या मौसमी जल स्रोतों से बने होते हैं। ये जैव विविधता के लिए बहुत समृद्ध क्षेत्र होते हैं और कई प्रजातियों का प्रजनन स्थल होते हैं।

आर्द्रभूमि के उदाहरण – सुंदरबन डेल्टा, चिल्का झील, और लोकटक झील (मणिपुर)। ये क्षेत्र पक्षियों, कछुओं, मेंढकों और अन्य जलजीवों के लिए आदर्श आवास प्रदान करते हैं।

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