शब्द और पद ( Shabd Aur Pad )

शब्द : दो या दो से अधिक वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं | जैसे – कमल, फूल, काला आदि शब्द हैं लेकिन अउइए, कफच, चबट आदि वर्णों का समूह होने पर भी शब्द नहीं हैं क्योंकि इनसे किसी अर्थ की अभिव्यक्ति नहीं होती | अतः वर्णों के ऐसे समूह को ही शब्द … Read more

वाक्य : अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप

भाषा का प्रमुख लक्ष्य विचारों का संप्रेषण है | इस दृष्टि से वाक्य का विशेष महत्व है क्योंकि वाक्य पूर्ण अर्थ की अभिव्यक्ति की क्षमता रखता है| वैसे तो शब्द भी अपने आप में सार्थक होते हैं परंतु किसी भाव की अभिव्यक्ति तभी हो पाती है जब सार्थक शब्दों को एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित … Read more

स्वरों का वर्गीकरण

देवनागरी लिपि की मानक वर्णमाला में 12 स्वर हैं – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, ऑ | स्वरों का वर्गीकरण मुख्यतः तीन आधार पर किया जा सकता है — 1️⃣ मात्रा के आधार पर 2️⃣ प्रयत्न के आधार पर 3️⃣ स्थान के आधार पर 1️⃣ मात्रा के आधार पर … Read more

भाषा का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं स्वरूप

भाषा का मूल अर्थ – बोलना या कहना है | साधारण शब्दों में मानव-मुख से निकलने वाली ध्वनियों को भाषा कहा जाता है | लेकिन मानव मुख से निकलने वाली प्रत्येक ध्वनि भाषा नहीं होती | वास्तव में मानव-मुख से निकलने वाली वह सार्थक ध्वनियां जो विचारों या भावों का संप्रेषण करती हैं, भाषा कहलाती … Read more

भाषा के विविध रूप / भेद / प्रकार ( Bhasha Ke Vividh Roop / Bhed / Prakar )

सामान्य शब्दों में भाषा शब्द का प्रयोग मनुष्य की व्यक्त वाणी के लिए किया जाता है | भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाता है और दूसरों के विचार समझ पाता है | यद्यपि कुछ कार्य संकेतों और शारीरिक कष्टों के द्वारा किया जा सकता है लेकिन यह पर्याप्त … Read more

देवनागरी लिपि की विशेषताएँ ( Devnagari Lipi Ki Visheshtayen )

हिंदी व संस्कृत की लिपि देवनागरी है | देवनागरी लिपि भारत की सर्वाधिक महत्वपूर्ण लिपि है | संविधान में इसे राज लिपि का पद प्राप्त है | हिंदी व संस्कृत का संपूर्ण साहित्य इसी लिपि में मिलता है | पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आदि भाषाओं का साहित्य भी इसी लिपि में मिलता है | यह लिपि … Read more

आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएं : एक परिचय ( Adhunik Bhartiy Arya Bhashayen : Ek Parichay )

अधिकांश विद्वान 1500 ईo पूo के काल को भारतीय आर्य भाषाओं का काल मानते हैं | तब से लेकर आज तक भारतीय आर्य भाषाओं की यात्रा लगभग 3500 वर्ष की हो चुकी है | अधिकांश विद्वान भारतीय आर्य भाषाओं के इस लंबे काल को तीन भागों में बांटते हैं :- प्राचीन भारतीय आर्य भाषा ( … Read more

मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएं ( Madhyakalin Bhartiy Arya Bhashayen )

अधिकांश विद्वान 1500 ईo पूo के काल को भारतीय आर्य भाषाओं का काल मानते हैं | तब से लेकर आज तक भारतीय आर्य भाषा की यात्रा लगभग 3500 वर्ष की हो चुकी है | अधिकांश विद्वान भारतीय आर्य भाषा के इस लंबे काल को तीन भागों में बांटते हैं : प्राचीन भारतीय आर्य भाषा ( … Read more

प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएं : परिचय एवं विशेषताएं/ Prachin Bhartiya Arya Bhashayen : Parichay Evam Visheshtayen

अधिकांश विद्वान 1500 ईस्वी पूर्व के आसपास के काल को भारतीय आर्य भाषा का काल मानते हैं | तब से लेकर आज तक भारतीय आर्य भाषा की यात्रा लगभग 3500 वर्ष की हो चुकी है | अधिकांश विद्वान भारतीय आर्य भाषा के इस लंबे काल को तीन भागों में बांटते हैं : – प्राचीन भारतीय … Read more

अर्थ परिवर्तन के कारण ( Arth Parivartan Ke Karan )

            भाषा में अर्थ परिवर्तन ( Bhasha Me Arth Parivartan ) लगातार चलता रहता है | कारण यह है कि अर्थ का संबंध मन से है और मन विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों से प्रभावित होता रहता है | अर्थ परिवर्तन पहले व्यक्तिगत स्तर पर होता है परंतु बाद में यह … Read more

शब्द एवं अर्थ : परिभाषा एवं दोनों का पारस्परिक संबंध ( Shabd Evam Arth : Paribhasha Evam Parasparik Sambandh )

                    शब्द की अवधारणा              ( Shabd Ki Avdharna )  साधारण शब्दों में वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं अर्थात जब कुछ वर्ण जुड़कर ऐसी संरचना बनाते हैं जो किसी अर्थ की ओर संकेत करे, उसे शब्द कहते हैं … Read more

रूपिम की अवधारणा : अर्थ, परिभाषा और भेद ( Rupim Ki Avdharna : Arth, Paribhasha Aur Bhed )

  भाषा विज्ञान की दृष्टि से वाक्य भाषा की प्रथम महत्वपूर्ण सार्थक इकाई है परंतु वाक्य को अनेक खंडों में विभाजित किया जा सकता है यह खंड ही पद या रूप कहलाते हैं |  जब तक कोई शब्द केवल शब्दकोश तक सीमित होता है या वाक्य में प्रयुक्त नहीं होता तब तक वह केवल शब्द … Read more

वाक्य : अर्थ, परिभाषा एवं वर्गीकरण ( Vakya : Arth, Paribhasha Evam Vargikaran )

    ⚫️ वाक्य : अर्थ,  परिभाषा एवं वर्गीकरण ⚫️(Vakya : Arth, Paribhasha Evam Vargikaran)                  🔷 वाक्य का अर्थ 🔷                 ( Vakya Ka Arth ) भाषा का प्रमुख लक्ष्य विचारों का संप्रेषण है | इस दृष्टि से वाक्य का विशेष … Read more

राजभाषा : अर्थ, परिभाषा व हिंदी की संवैधानिक स्थिति ( Rajbhasha : Arth, Paribhasha Evam Hindi Ki Sanvaidhanik Sthiti )

 ⚫️ राजभाषा : अर्थ, परिभाषा व हिंदी की संवैधानिक स्थिति( Rajbhasha : Arth, Paribhasha Evam Hindi Ki Sanvaidhanik Sthiti )  🔷 राजभाषा का अर्थ : राजभाषा का अर्थ है – राज्य की भाषा अर्थात सामान्य शब्दों में किसी राज्य के  सरकारी कामकाज की भाषा को राजभाषा कहते हैं |  एक भाषाविद के अनुसार : ” … Read more

स्वन : अर्थ, परिभाषा, प्रकृति/स्वरूप व वर्गीकरण ( Svan : Arth, Paribhasha, Prakriti /Swaroop V Vargikaran )

       स्वन की अवधारणा : अर्थ, परिभाषा व प्रकृति      ( Svan  : Arth,  Paribhasha Evam Prakriti )   ‘स्वन’ शब्द के लिए हिंदी में प्राय:  ‘ध्वनि’ शब्द का प्रयोग किया जाता है | ‘ध्वनि’ शब्द ‘ध्वन’ धातु में ‘इ’ प्रत्यय लगने से बना है | ध्वनि का अर्थ है- आवाज करना या … Read more

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