प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत

भारतवर्ष का प्राचीन इतिहास अत्यन्त गौरवपूर्ण रहा है दुर्भाग्यवश हम प्राचीन इतिहास को सामग्री के अभाव में पूर्णत: पुनर्निर्मित करने में असमर्थ हैं | इसके अतिरिक्त प्राचीन भारत में यूनान, रोम आदि देशों की भांति इतिहास लेखकों का सदा अभाव रहा है | विदेशियों ने यहाँ तक आरोप लगाया है कि प्राचीन भारतीयों में इतिहास-बुद्धि … Read more

प्राचीन भारत में विवाह प्रणाली

प्राचीन भारत में जिस प्रकार वर्ण व जाति व्यवस्था को लेकर विभिन्न नियम स्थापित किये गए थे उसी प्रकार विवाह संस्कार को भी विभिन्न नियमों में बांधा गया था | वैदिक काल में विवाह को कानूनी बंधन न मानकर धार्मिक बंधन स्वीकार किया गया था | वैदिक समाज में विवाह जीवन के विभिन्न कार्यों को … Read more

ऋग्वैदिक काल / वैदिक काल का राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक जीवन

वैदिक सभ्यता हड़प्पा सभ्यता के लगभग 1000 वर्ष के पश्चात विकसित हुई | वैदिक सभ्यता को ऋग्वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल में बांटा जाता है | इसका काल 1500 ईo पूo से 500 ईo पूo माना जाता है | 1500ईo पूo से 1000 ईo पूo तक ऋग्वैदिक काल काल तथा 1000 ईo पूo से … Read more

स्वामी महावीर का जीवन और उनकी शिक्षाएँ ( Life and Teachings of Lord Mahavira )

स्वामी महावीर प्राचीन भारत के महान दार्शनिक कहे जा सकते हैं | उन्होंने धर्म के विषय में नई दृष्टि का प्रतिपादन किया जो वैदिक धर्म से कहीं अधिक तार्किक एवं व्यावहारिक है | उन्होंने धर्म को सभी मनुष्यों के लिए सुलभ एवं ग्राह्य बनाया | यद्यपि स्वामी महावीर जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थकर … Read more

अशोक का धम्म ( Ashoka’s Dhamma )

अशोक का निजी धर्म तो बौद्ध था, परन्तु जो लोग बौद्ध धर्म का अनुकरण नहीं कर सकते थे, उनके लिए एक नए धर्म का आविष्कार किया। महान अशोक अपनी प्रजा के भविष्य का भी सुधार करना चाहता था। उसने कुछ नैतिक नियमों का संग्रह किया। इस संग्रह में उसने बौद्ध धर्म के साथ-साथ हिन्दू धर्म … Read more

मौर्यकालीन कला और स्थापत्य कला

मौर्यकाल भारतीय इतिहास में राजनीतिक दृष्टि से स्थिर व परिपक्व आर्थिक दृष्टि से सुदृढ़ एवं कला की दृष्टि से सम्पन्न था। इस बात की पुष्टि तत्कालीन साहित्यिक एवं पुरातात्विक दोनों ही प्रकार के स्रोतों से होती है। इन स्रोतों में सम्राट अशोक के बनवाए हुए बौद्ध स्तूप, विहार, गुफाएँ तथा स्तम्भ विशेष उल्लेखनीय हैं। कला … Read more

कुषाणकालीन स्थापत्य कला, साहित्य और विज्ञान

कुषाणकाल में भी कला का विकास मुख्यत: राज्य के प्रयासों से हुआ परन्तु बहुत-से कला-प्रेमी धनी लोगों ने भी कलाकारों को संरक्षण दिया। इस काल में कला सम्बन्धी गतिविधियाँ मुख्यतः धर्म से जुड़ी हुई थीं। कुषाणकालीन वास्तुकला, मूर्तिकला, साहित्य तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास का वर्णन इस प्रकार है — (1) वास्तु कला (Architecture) वास्तुकला … Read more

कनिष्क की विजयें व अन्य उपलब्धियाँ

कनिष्क कुषाण वंश का सबसे प्रतापी राजा था | वह एक महान विजेता, महान निर्माता, अच्छा प्रशासक तथा उत्साही धर्म प्रचारक था | उसके शासनकाल को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है | डॉ वी ए स्मिथ तथा सर जॉन मार्शल आदि के अनुसार वह 120 ईस्वी के लगभग राजा बना और उसने 42 वर्ष तक … Read more

संगम साहित्य ( Sangam Sahitya )

संगम साहित्य ( Sangam Sahitya ) तमिल भाषा में रचित है जो दक्षिण भारत की प्राचीनतम भाषा है | तमिल साहित्य का आरंभिक ज्ञात साहित्य संगम साहित्य ( Sangam Sahitya ) है | तमिल साहित्य की रचना मदुरै के पांड्य राजाओं के दरबार में कवियों का संघ होता था | इस संघ को ही संगम … Read more

समुद्रगुप्त की विजयें ( Conquests of Samudra Gupta )

समुद्रगुप्त ( Samudra Gupta ) गुप्त वंश ( Gupta Dynasty ) का एक प्रसिद्ध शासक था | वह चंद्रगुप्त प्रथम का पुत्र था | उसकी माता कुमार देवी लिच्छवी वंश से संबंध रखती थी | इसलिए उसे ‘लिच्छवी दौहित्र’ भी कहा जाता है | ऐसा माना जाता है कि वह अपने पिता चंद्रगुप्त का सबसे … Read more

हर्ष की उपलब्धियां ( Achievements of Harsha )

हर्ष के पिता का नाम प्रभाकर वर्धन था जो पुष्यभूति वंश से संबंध रखता था | प्रभाकर वर्धन का राज्य वर्तमान हरियाणा में था जिसकी राजधानी थानेसर थी | हर्ष का जन्म 590 ईस्वी में हुआ | उसकी माता का नाम यशोमती था | उसके बड़े भाई का नाम राज्यवर्धन तथा बहन का नाम राज्यश्री … Read more

त्रिपक्षीय संघर्ष / त्रिकोणीय संघर्ष

सम्राट हर्षवर्धन ने 606 ईसवी से 647 ईसवी तक उत्तर भारत में शासन किया | कन्नौज उसकी राजधानी थी | 647 ईस्वी में हर्ष की मृत्यु के पश्चात उत्तरी भारत में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई | हर्ष के बाद शक्तिशाली केन्द्रीय शासन के अभाव में उसका साम्राज्य छोटे-छोटे राज्यों व रियासतों में बँट गया। इस … Read more

चोल प्रशासन ( Cholas Administration )

दक्षिण भारत के इतिहास में चोल वंश का महत्वपूर्ण स्थान है | यद्यपि चोलों का इतिहास बहुत अधिक पुराना है परंतु 9वीं सदी में यह वंश शक्तिशाली अवस्था में उभर कर सामने आया तथा 1200 ईस्वी तक दक्षिण भारत में सत्तासीन रहा | 9वीं सदी के उत्तरार्ध में चोलों ने तुंगभद्रा नदी के दक्षिण में … Read more

महमूद गजनवी के आक्रमण ( Mahmud Ghazanavi’s Invassions )

महमूद गजनवी का जन्म 971 ईस्वी में हुआ | उसके पिता का नाम सुबुक्तगीन था | अपने पिता के साथ अनेक युद्धों में शामिल होकर वह पहले ही अपनी वीरता तथा युद्ध कौशल का परिचय दे चुका था | परंतु उसके अपने पिता से संबंध अच्छे नहीं थे | इसलिए उसके पिता ने मृत्यु से … Read more

मुहम्मद गौरी के आक्रमण ( Mohammed Gauri’s Invassions )

महमूद गजनवी के बाद भारत पर आक्रमण करने वाले मुस्लिम आक्रमणकारियों में मोहम्मद गौरी का नाम आता है | 1173 ईस्वी में गजनी का शासक बनने के तुरंत पश्चात उस ने भारत पर आक्रमण करने की योजना बना ली थी उसने भारत पर अपना पहला आक्रमण 1175 ईस्वी में किया | उसका भारत पर आक्रमण … Read more

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