बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ( Baba Saheb Bheemrav Ambedkar )

( यहाँ NCERT की बारहवीं कक्षा की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग -2’ में संकलित बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर द्वारा लिखित दो विचारात्मक लेख दिए गए हैं – श्रम विभाजन और जाति प्रथा व मेरी कल्पना का आदर्श समाज ) श्रम विभाजन और जाति प्रथा : डॉ बी आर अंबेडकर ( Shram Vibhajan Aur … Read more

नमक : रज़िया सज्जाद ज़हीर ( Namak : Razia Sajjad Zaheer )

( यहाँ NCERT की कक्षा 12वीं की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग -2’ में संकलित ‘नमक’ कहानी के मूल पाठ तथा अभ्यास के प्रश्नों को दिया गया है | ) उन सिख बीबी को देखकर सफिया हैरान रह गई थी, किस कदर वह उसकी माँ से मिलती थी | वही भारी भरकम जिस्म, छोटी-छोटी … Read more

चार्ली चैप्लिन यानी हम सब : विष्णु खरे

( यहाँ NCERT की 12वीं की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित ‘चार्ली चैप्लिन यानी हम सब’ का मूल पाठ व अभ्यास के प्रश्न दिए गए हैं | ) यदि यह वर्ष चैप्लिन की जन्मशती का न होता तो भी चैपलिन के जीवन का एक महत्वपूर्ण वर्ष होता क्योंकि आज उनकी पहली … Read more

पहलवान की ढोलक : फणीश्वरनाथ रेणु

जाड़े का दिन | अमावस्या की रात – ठंडी और काली | मलेरिया और हैजे से पीड़ित गाँव भर्यात्त शिशु की तरह थर-थर काँप रहा था | पुरानी और उजड़ी बाँस-फूस की झोपड़ियों में अंधकार और सन्नाटे का सम्मिलित साम्राज्य | अंधेरा और निस्तब्धता | अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी | निस्तब्धता करुण … Read more

काले मेघा पानी दे : धर्मवीर भारती ( Kale Megha Pani De : Dharmveer Bharti )

( यहाँ NCERT की कक्षा 12वीं की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग -2’ में संकलित ‘काले मेघा पानी दे’ अध्याय के मूल पाठ तथा अभ्यास के प्रश्नों को दिया गया है | ) उन लोगों के दो नाम थे – इंदर सेना या मेढक-मंडली | बिल्कुल एक दूसरे के विपरीत | जो लोग उनके … Read more

बाजार दर्शन : जैनेंद्र कुमार ( Bajar Darshan : Jainendra Kumar )

एक बार की बात कहता हूँ | मित्र बाजार गए तो थे कोई एक मामूली चीज लेने पर लौटे तो एकदम बहुत से बंडल पास थे | मैंने कहा – यह क्या? बोले – यह जो साथ थी | उनका आशय था कि यह पत्नी की महिमा है | उस महिमा का मैं कायल हूँ … Read more

भक्तिन ( महादेवी वर्मा )

अभ्यास के प्रश्न ( भक्तिन : महादेवी वर्मा ) (1) भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा? ( भक्तिन : महादेवी वर्मा ) उत्तर — भक्तिन का वास्तविक नाम लछमिन अर्थात लक्ष्मी था | लक्ष्मी धन की देवी होती है | परंतु भक्तिन के … Read more

बादल राग : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ( Badal Raag : Suryakant Tripathi Nirala )

अभ्यास के प्रश्न ( बादल राग : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ) (1) ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है और क्यों? उत्तर — ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ पंक्ति में ‘दुख की छाया’ अनिष्ट का प्रतीक है? प्रस्तुत कविता में ‘दुख की छाया’ क्रांति की आशंका … Read more

लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप ( Lakshman Murcha Aur Ram Ka Vilap ) : तुलसीदास

( यहाँ कक्षा 12वीं की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित तुलसीदास कृत रामचरितमानस से अवतरित ‘लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप’ काव्यांश का मूल पाठ तथा सप्रसंग व्याख्या दी गई है | ) दोहा तव प्रताप उर राखि प्रभु जैहउँ नाथ तुरंत ।अस कहि आयसु पाइ पद बंदि चलेउ हनुमंत ॥ … Read more

कवितावली ( तुलसीदास )

( यहाँ NCERT की हिंदी की कक्षा 12वीं की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कवितावली ( तुलसीदास ) की व्याख्या तथा अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं | ) किसबी, किसान-कुल, बनिक, भिखारी, भाट, चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी | पेटको पढ़त, गुन गढ़त, चढ़त गिरि, अटत गहन-गन अहन अखेटकी || … Read more

गज़ल ( फिराक गोरखपुरी )

( यहाँ कक्षा 12वीं की हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित ‘गज़ल ‘( फिराक गोरखपुरी ) की व्याख्या दी गई है |) नौरस गुंचे पंखड़ियों की नाजुक गिरहें खोले हैं या उड़ जाने को रंगो-बू गुलशन में पर तोले हैं | (1) प्रसंग — प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ … Read more

रुबाइयाँ ( Rubaiyan ) : फिराक गोरखपुरी

आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी हाथों पे झूलाती है उसे गोद-भरी रह-रह के हवा में जो लोका देती है गूँज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी | (1) प्रसंग — प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संस्कृत कविता ‘रुबाइयाँ’ में से अवतरित है | इसके शायर फिराक गोरखपुरी जी … Read more

बगुलों के पंख ( Bagulon Ke Pankh ) : उमाशंकर जोशी

नभ में पाँती-बँधे बगुलों के पंख, चुराए लिए जाती वे मेरी आँखें | कजरारे बादलों की छाई नभ छाया, तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया | होले होले जाती मुझे बांध निज माया से | उसे कोई तनिक रोक रक्खो | वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें नभ में पाँती-बँधे बगुलों की पाँखें | … Read more

छोटा मेरा खेत ( उमाशंकर जोशी )

छोटा मेरा खेत चौकोना कागज का एक पन्ना, कोई अंधड़ कहीं से आया क्षण का बीज वहां बोया गया | कल्पना के रसायनों को पी बीज गल गया नि:शेष ; शब्द के अंकुर फूटे, पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष | (1) प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘छोटा … Read more

उषा ( Usha ) शमशेर बहादुर सिंह

प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे भोर का नभ राख से लीपा हुआ चौका ( अभी गीला पड़ा है ) बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो सलेट पर या लाल खड़िया चाक मल दी हो किसी ने नील जल में या किसी की गौर झिलमिल देह जैसे … Read more

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