वे मुस्काते फूल नहीं ( Ve Muskate Fool Nahin ) : महादेवी वर्मा
वे मुस्काते फूल नहीं – जिनको आता है मुरझाना, वे तारों के दीप नहीं – जिनको भाता है बुझ जाना ; (1) वे नीलम के मेघ नहीं – जिनको है घुल जाने की चाह, वह अनंत ऋतुराज, नहीं- जिसने देखी जीने की राह | (2) वे सूने से नयन, नहीं- जिनमें बनाते आँसू-मोती, वह प्राणों … Read more