हिंदी नाटक : उद्भव एवं विकास ( Hindi Natak : Udbhav Evam Vikas )

हिंदी में नाटक के उद्भव एवं विकास को 19वीं सदी से  स्वीकार किया जाता है लेकिन दशरथ ओझा ने नाटक को 13वीं सदी से स्वीकार करते हुए ‘गाय कुमार रास’ को हिंदी का पहला नाटक ( Hindi ka Pahla Natak ) माना है | उन्होंने मैथिली नाटकों, रासलीला तथा अन्य पद्यबद्ध नाटकों की चर्चा करते … Read more

कृष्ण काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां/ विशेषताएं ( Krishna Kavya Parampara Evam Pravrittiyan / Visheshtaen )

कृष्ण काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां / विशेषताएँ  ( Krishna Kavya : Parampara Evam Pravrittiyan/Visheshtayen )   हिंदी साहित्य के इतिहास को मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल | हिंदी साहित्य-इतिहास के काल विभाजन और नामकरण को निम्नलिखित आलेख के माध्यम से भली  प्रकार समझा जा … Read more

देवनागरी लिपि की विशेषताएँ ( Devnagari Lipi Ki Visheshtayen )

हिंदी व संस्कृत की लिपि देवनागरी है | देवनागरी लिपि भारत की सर्वाधिक महत्वपूर्ण लिपि है | संविधान में इसे राज लिपि का पद प्राप्त है | हिंदी व संस्कृत का संपूर्ण साहित्य इसी लिपि में मिलता है | पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आदि भाषाओं का साहित्य भी इसी लिपि में मिलता है | यह लिपि … Read more

आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएं : एक परिचय ( Adhunik Bhartiy Arya Bhashayen : Ek Parichay )

अधिकांश विद्वान 1500 ईo पूo के काल को भारतीय आर्य भाषाओं का काल मानते हैं | तब से लेकर आज तक भारतीय आर्य भाषाओं की यात्रा लगभग 3500 वर्ष की हो चुकी है | अधिकांश विद्वान भारतीय आर्य भाषाओं के इस लंबे काल को तीन भागों में बांटते हैं :- प्राचीन भारतीय आर्य भाषा ( … Read more

मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएं ( Madhyakalin Bhartiy Arya Bhashayen )

अधिकांश विद्वान 1500 ईo पूo के काल को भारतीय आर्य भाषाओं का काल मानते हैं | तब से लेकर आज तक भारतीय आर्य भाषा की यात्रा लगभग 3500 वर्ष की हो चुकी है | अधिकांश विद्वान भारतीय आर्य भाषा के इस लंबे काल को तीन भागों में बांटते हैं : प्राचीन भारतीय आर्य भाषा ( … Read more

प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएं : परिचय एवं विशेषताएं/ Prachin Bhartiya Arya Bhashayen : Parichay Evam Visheshtayen

अधिकांश विद्वान 1500 ईस्वी पूर्व के आसपास के काल को भारतीय आर्य भाषा का काल मानते हैं | तब से लेकर आज तक भारतीय आर्य भाषा की यात्रा लगभग 3500 वर्ष की हो चुकी है | अधिकांश विद्वान भारतीय आर्य भाषा के इस लंबे काल को तीन भागों में बांटते हैं : – प्राचीन भारतीय … Read more

अर्थ परिवर्तन के कारण ( Arth Parivartan Ke Karan )

            भाषा में अर्थ परिवर्तन ( Bhasha Me Arth Parivartan ) लगातार चलता रहता है | कारण यह है कि अर्थ का संबंध मन से है और मन विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों से प्रभावित होता रहता है | अर्थ परिवर्तन पहले व्यक्तिगत स्तर पर होता है परंतु बाद में यह … Read more

शब्द एवं अर्थ : परिभाषा एवं दोनों का पारस्परिक संबंध ( Shabd Evam Arth : Paribhasha Evam Parasparik Sambandh )

                    शब्द की अवधारणा              ( Shabd Ki Avdharna )  साधारण शब्दों में वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं अर्थात जब कुछ वर्ण जुड़कर ऐसी संरचना बनाते हैं जो किसी अर्थ की ओर संकेत करे, उसे शब्द कहते हैं … Read more

रूपिम की अवधारणा : अर्थ, परिभाषा और भेद ( Rupim Ki Avdharna : Arth, Paribhasha Aur Bhed )

  भाषा विज्ञान की दृष्टि से वाक्य भाषा की प्रथम महत्वपूर्ण सार्थक इकाई है परंतु वाक्य को अनेक खंडों में विभाजित किया जा सकता है यह खंड ही पद या रूप कहलाते हैं |  जब तक कोई शब्द केवल शब्दकोश तक सीमित होता है या वाक्य में प्रयुक्त नहीं होता तब तक वह केवल शब्द … Read more

हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग : भक्तिकाल ( Hindi Sahitya Ka Swarn Yug :Bhaktikal )

      हिन्दी साहित्य का स्वर्ण युग : भक्तिकाल  ‘भक्तिकाल’ की समय सीमा संवत् 1375 से 1700 संवत् तक मानी  जाती है । भक्तिकाल हिंदी साहित्य का सबसे महत्वपूर्ण काल है जिसे इसकी विशेषताओं के कारण इसे स्वर्ण युग कहा जाता है । राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, दार्शनिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से अंतर्विरोधों से परिपूर्ण … Read more

भक्ति आंदोलन : उद्भव एवं विकास ( Bhakti Andolan : Udbhav Evam Vikas )

           भक्ति आंदोलन : उद्भव एवं विकास  ( Bhakti Andolan : Udbhav Evam Vikas )   ईश्वर के प्रति जो परम श्रद्धा, आस्था व प्रेम है – उसे भक्ति    कहते    हैं। नारद भक्ति-सूत्र    के अनुसार –“परमात्मा  के प्रति परम प्रेम को भक्ति कहते हैं |”  भक्ति शब्द की निष्पति … Read more

आदिकाल : प्रमुख कवि, रचनाएं व नामकरण ( Aadikal ke Pramukh Kavi, Rachnayen Evam Naamkaran )

       आदिकाल की प्रमुख रचनाएं एवं नामकरण  Aadikal ki Pramukh Rachnayen Evam Namkaran  ▪️ सरहपाद ( 769 ईस्वी ) – दोहाकोश▪️ स्वयंभू (आठवीं सदी) –  पउम चरिउ, णयकुमार चरिउ, नागकुमार चरिउ👉 [ पउम चरिउ ( राम कथा)  के कारण स्वयंभू को अपभ्रंश का वाल्मीकि कहा जाता है | ] ▪️ जोइंदु (आठवीं सदी) … Read more

वाक्य : अर्थ, परिभाषा एवं वर्गीकरण ( Vakya : Arth, Paribhasha Evam Vargikaran )

    ⚫️ वाक्य : अर्थ,  परिभाषा एवं वर्गीकरण ⚫️(Vakya : Arth, Paribhasha Evam Vargikaran)                  🔷 वाक्य का अर्थ 🔷                 ( Vakya Ka Arth ) भाषा का प्रमुख लक्ष्य विचारों का संप्रेषण है | इस दृष्टि से वाक्य का विशेष … Read more

राजभाषा : अर्थ, परिभाषा व हिंदी की संवैधानिक स्थिति ( Rajbhasha : Arth, Paribhasha Evam Hindi Ki Sanvaidhanik Sthiti )

 ⚫️ राजभाषा : अर्थ, परिभाषा व हिंदी की संवैधानिक स्थिति( Rajbhasha : Arth, Paribhasha Evam Hindi Ki Sanvaidhanik Sthiti )  🔷 राजभाषा का अर्थ : राजभाषा का अर्थ है – राज्य की भाषा अर्थात सामान्य शब्दों में किसी राज्य के  सरकारी कामकाज की भाषा को राजभाषा कहते हैं |  एक भाषाविद के अनुसार : ” … Read more

राम काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां /विशेषताएं ( Rama Kavya : Parampara Evam Pravrittiyan )

राम काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां / विशेषताएं  ( Rama Kavya : Parampara Evam Pravrittiyan / Visheshtayen ) हिंदी साहित्य के इतिहास को मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है – आदिकाल , मध्यकाल और आधुनिक काल | हिंदी साहित्य-इतिहास के काल विभाजन और नामकरण को निम्नलिखित आरेख के माध्यम से भली प्रकार समझा … Read more

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